संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह शेखावत को गिरफ्तारी का डर, खटखटाया HC का दरवाजा

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संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह शेखावत को गिरफ्तारी का डर, खटखटाया HC का दरवाजा

संजीवनी घोटाले में गजेंद्र सिंह शेखावत को गिरफ्तारी का डर, खटखटाया HC का दरवाजा


केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat) ने जोधपुर हाई कोर्ट (Jodhpur High Court) में एक याचिका दाखिल की है। शेखावत को संजीवनी क्रेडिट सोसाइडी केस में गिरफ्तारी का अंदेशा है। इसके चलते ही आज उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है।

 

हाइलाइट्स

  • केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की याचिका कोर्ट में पेश
  • सीएम गहलोत के बयानों के बाद शेखावत की गिरफ्तारी का अंदेशा
  • शेखावत ने भी कराया है सीएम गहलोत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा
जोधपुर: साल 2019 में एसओजी में दायर एफआईआर संख्या-32 के खिलाफ केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका के जरिए उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई गई है। शेखावत की ओर से अधिवक्ता युवराज सिंह ने यह याचिका पेश की है। सम्भवतः इस याचिका पर अप्रैल महीने में सुनवाई हो सकती है। दरअसल कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सार्वजनिक बयान देते हुए केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत और उनके परिजनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। गहलोत ने शेखावत और उनके परिजनों के संजीवनी घटाले के मामले में एसओजी की जांच में दोषी पाए जाने की बात कही थी, साथ ही शेखावत से उन्होंने अपील की थी कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव में अपने जीवन भर की कमाई गवां चुके गरीबो के पैसे पुनः दिलाने की मदद करने की बात कही थी।

शेखावत ने कराया है सीएम गहलोत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा

गहलोत की ओर से शेखावत और उनके परिवार के खिलाफ सार्वजनिक बयान देने के बाद केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्रसिंह ने दिल्ली की कोर्ट में मानहानि का वाद दायर कर दिया था। लेकिन गहलोत ने शेखावत के इस कदम पर भी जोधपुर प्रवास के दौरान वक्तव्य देते हुए कहा कि अगर गरीब का पैसा मिल जाता है तो वे जेल जाने के लिए भी तैयार है।

यह था संजीवनी घोटाला

संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी को राजस्थान सोसाइटी एक्ट के तहत 2008 के तहत रजिस्टर्ड कराया गया था। 2010 में इसे सोसाइटी मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में बदल दिया गया। इसके जरिए लोगों को अच्छे रिटर्न का लालच दिया गया। इसके बाद बड़ी संख्या में लोगों ने इसमें निवेशक करना शुरू कर दिया। सोसाइटी के प्रथम प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह थे, जिसे इस घोटाले का मास्टरमाइंड कहा जाता है। फिलहाल विक्रम सिंह जेल में बंद हैं। तकरीबन 1 लाख से ज्यादा लोगों ने इस सोसाइटी में करीब 900 करोड़ रुपये का निवेश किया था। लेकिन बाद में सोसाइटी की ओर से लोगों को लौटाया नहीं गया। आरोप है कि सोसाइटी ने फर्जी तरीके से लोन बांटे और उन पर ब्याज तक नहीं लिया गया।

इस तरह से किया गया फर्जीवाड़ा

इस सोसाइटी की शुरुआत बाड़मेर से की गई। गुजरात और राजस्थान में मात्र 12 सालों के भीतर 230 से अधिक शाखाएं खोल दी गईं। इस कंपनी ने खुद ही फर्जी कंपनियां बनाई और उन्हें करोड़ों के लोन बांट दिए। इसके बाद कुछ निवेशकों की ओर से इस सोसाइटी की शिकायत की गई। इसके बाद इस मामले को लेकर राजस्थान एसओजी को सौंपी गई। इस मामले की जांच के दौरान कई गिरफ्तारियां की गई और मास्टरमाइंड विक्रम सिंह, इन्द्रोई को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। हजारों खाते एसओजी की जांच में फर्जी साबित हुए। आरोप है कि विक्रम सिंह ने गलत तरीके से निवेशकों के पैसों को ऐसी कंपनी के शेयर खरीदने में लगाया, जिसके शेयर होल्डर गजेंद्र सिंह शेखावत भी हैं। (रिपोर्ट- लालिता व्यास)

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