संजय राउत को जमानत देते वक्त ईडी की खिंचाई करने वाले जज पहले भी एजेंसी को कई बार लगा चुके हैं कड़ी फटकार

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संजय राउत को जमानत देते वक्त ईडी की खिंचाई करने वाले जज पहले भी एजेंसी को कई बार लगा चुके हैं कड़ी फटकार

संजय राउत को जमानत देते वक्त ईडी की खिंचाई करने वाले जज पहले भी एजेंसी को कई बार लगा चुके हैं कड़ी फटकार

मुंबई: मुंबई की पीएमएलए अदालत ने शिवसेना सांसद संजय राउत और उनके दोस्त कारोबारी प्रवीण राउत को जमानत दी। इस दौरान कोर्ट के जज ने ईडी को जमकर फटकार लगाई। ईडी की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े किए और कहा कि संजय राउत पर पिक एंड चूज के तहत कार्रवाई की गई। जज ने इसे विच हंट भी करार दिया। यह पहली बार नहीं था जब विशेष न्यायाधीश एमजी देशपांडे ने जांच एजेंसी के खिलाफ इतनी कड़ी टिप्पणी की हो। पहले भी वह ईडी पर सवाल उठा चुके हैं।

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर को जमानत देते हुए इन्हीं जज ने कहा था कि जब से पीएमएलए मामलों के लिए विशेष अदालत की स्थापना हुई है, तब से एक भी मनी लॉन्ड्रिंग मामले का फैसला नहीं हो सका है। न्यायाधीश ने कहा, ‘ईडी ने लंबे समय से लंबित मामलों की सुनवाई शुरू करने के लिए कोई सक्रिय रुख नहीं दिखाया है।’

‘धारा 44 के बारे में बताा जरूरी’
बुधवार के आदेश में, न्यायाधीश ने कहा कि ईडी को ट्रायल से संबंधित पीएमएलए की धारा 44 के बारे में अवगत कराने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि बिना किसी डर के और बिना पक्षपात के काम करने के लिए ली गई शपथ के मद्देनजर ऐसा करने के लिए बाध्य है।

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‘दुर्भाग्यपूर्ण…ईडी जवाबदेह’
न्यायाधीश ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह अदालत भी भूल रही है कि सबूत दर्ज किए जाने हैं, परीक्षण किए जाने हैं और पीएमएलए विशेष मामलों में भी निर्णय दिए जाने हैं … क्या ईडी जवाबदेह नहीं है … एक भी ट्रायल की शुरुआत और समापन नहीं ह पाया है।’

ओंकार ग्रुप के प्रमोटर्स केस में भी हुई थी ईडी की फजीहत
इसी तरह 24 अगस्त को ओंकार ग्रुप के प्रमोटरों (डिवलपर्स) बाबूलाल वर्मा और कमलकिशोर गुप्ता को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले से बरी करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह ईडी जैसे तामसिक शिकायतकर्ता से हाथ नहीं मिला सकता है ताकि आरोपी को उसकी न्यायिक हिरासत जारी रख कर अपमानित किया जा सके, वह भी, देश के कानून की घोर अवहेलना करते हुए। अदालत ने प्रमोटरों की याचिका को स्वीकार कर लिया, जिन्होंने 27 जुलाई के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि जब कोई विधेय या अनुसूचित अपराध नहीं होता है, तो पीएमएलए का मामला जारी नहीं रह सकता है।

मांगी थी अंडरटेकिंग
दिल्ली में एक और मामले में जेल में बंद व्यवसायी की हिरासत की मांग करने वाली ईडी की याचिका भी कोर्ट ने स्वीकार की थी। इस पर कोर्ट ने कहा था कि जांच अधिकारी को एक अंडरटेकिंग दाखिल करनी होगी कि एक बार उनकी हिरासत खत्म हो जाने के बाद, उन्हें तुरंत मुंबई के आर्थर रोड जेल वापस भेज दिया जाएगा।

विशेष न्यायाधीश देशपांडे ने कहा, ‘मैं दृढ़ता से महसूस करता हूं कि एक बार जब आरोपी को बिना शपथपत्र के प्रवर्तन निदेशालय को सौंप दिया जाता है, तो इस बात का बहुत बड़ा खतरा है कि उसे इस अदालत में वापस नहीं किया जाएगा।’ देशपांडे ने ईडी के पुरजोर विरोध के बावजूद दोनों की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली थी।

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