शैक्षिक नियमों में भूल सुधार से पहले विभाग ने कर दिए तबादले | transfer in education department | Patrika News
लापरवाही छिपाने का खेल, पिछले साल से कैसे लागू होंगे नियम:
विभाग की ओर से 22 सितम्बर 2022 को जारी आदेश के लागू होने की तिथि को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, इस आदेश में बताया कि राजस्थान शैक्षिक सेवा नियम 2021 जारी होने की तिथि से यह आदेश प्रभावित माना जाएगा। यह नियम पिछले साल सितम्बर के महीने में ही लागू हुए थे। ऐसे में शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी लापरवाही छिपाने का खेल खेला है।
नए नियमों में अब इनको नियुक्ति के अधिकार
नए सेवा नियमों में नियुक्ति से लेकर पदोन्नति के अधिकार तय किए गए है। इसके अनुसार प्राचार्य, उप प्राचार्य, व्याख्याता, सहायक निदेशक शारीरिक शिक्षा, सीनियर डिप्टी शारीरिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षक प्रथम श्रेणी, पुस्तकालध्यक्ष प्रथम श्रेणी के नियुक्ति एवं पदोन्नति अधिकारी निदेशक माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर होंगे। वहीं वरिष्ठ अध्यापक, वरिष्ठ अध्यापक विशेष शिक्षा, वरिष्ठ शारीरिक शिक्षक, पुस्तकाध्यक्ष सैकण्ड ग्रेड, वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक, वरिष्ठ कम्प्यूटर अनुदेशक पदों पर नियुक्ति और पदोन्नति संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा की ओर से की जाएगी। अध्यापक, शारीरिक शिक्षक, पुस्तकाध्यक्ष ग्रेड थर्ड, प्रयोगशाला सहायक व कम्प्यूटर अनुदेशक की नियुक्तियां जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय माध्यमिक शिक्षा की ओर की जा सकेगी।
तबादला सीजन में जमकर हुए तबादले
पिछले दिनों सरकार ने कर्मचारियों व अधिकारियों के तबादला करने की छूट दी थी। शिक्षा विभाग ने भी प्रिसिंपल से लेकर प्रथम श्रेणी व्याख्याता और द्वितीय श्रेणी अध्यापकों के खूब तबादले किए। लेकिन विभाग ने नए शिक्षा नियमों की तरफ ध्यान नहीं दिया। इस मामले में शिक्षकों में काफी नाराजगी है।
एक्सपर्ट व्यू: कानूनी तौर पर गलती, इसलिए हो कार्रवाई
पिछले दिनों शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापकों के हुए तबादला आदेश बिना सक्षम अधिकारी ने जारी किए है। नए नियमों के हिसाब से जिस अधिकारी को अधिकार ही नही दिए गए उस अधिकारी ने तबादला आदेश जारी कर दिए। जो विभाग की लापरवाही को दर्शाता है। बिना सक्षम अधिकारी के जारी किया गया आदेश कानून की दृष्टि में अनुचित है। ऐसे आदेश की कोई वैधता नही होती है। इसलिए सरकार को ऐसे आदेशों को वापस लेना चाहिए और जिस स्तर पर भी चूक हुई है उनके खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए।
एडवोकेट संदीप कलवानिया, हाईकोर्ट जयपुर
इनका कहना है… नए नियमों में कमी छोडऩा गलत
1970 और 1971 के दशकों पुराने नियमों को समेकित कर बनाए नए नियमों में भी कमी छोडऩा सरकार की शिथिलता की पराकाष्ठा है। शिक्षकों की आपत्ति वाजिब है। नए नियमों को लागू करने से विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर अध्ययन कराना चाहिए जिससे बाद में किसी तरह के विवाद नहीं हो। नए शैक्षिक नियम विभाग की ओर से काफी जल्दबाजी में लागू किए गए थे।
महेन्द्र पांडे, महामंत्री, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
लापरवाही छिपाने का खेल, पिछले साल से कैसे लागू होंगे नियम:
विभाग की ओर से 22 सितम्बर 2022 को जारी आदेश के लागू होने की तिथि को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल, इस आदेश में बताया कि राजस्थान शैक्षिक सेवा नियम 2021 जारी होने की तिथि से यह आदेश प्रभावित माना जाएगा। यह नियम पिछले साल सितम्बर के महीने में ही लागू हुए थे। ऐसे में शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने अपनी लापरवाही छिपाने का खेल खेला है।
नए नियमों में अब इनको नियुक्ति के अधिकार
नए सेवा नियमों में नियुक्ति से लेकर पदोन्नति के अधिकार तय किए गए है। इसके अनुसार प्राचार्य, उप प्राचार्य, व्याख्याता, सहायक निदेशक शारीरिक शिक्षा, सीनियर डिप्टी शारीरिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षक प्रथम श्रेणी, पुस्तकालध्यक्ष प्रथम श्रेणी के नियुक्ति एवं पदोन्नति अधिकारी निदेशक माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर होंगे। वहीं वरिष्ठ अध्यापक, वरिष्ठ अध्यापक विशेष शिक्षा, वरिष्ठ शारीरिक शिक्षक, पुस्तकाध्यक्ष सैकण्ड ग्रेड, वरिष्ठ प्रयोगशाला सहायक, वरिष्ठ कम्प्यूटर अनुदेशक पदों पर नियुक्ति और पदोन्नति संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा की ओर से की जाएगी। अध्यापक, शारीरिक शिक्षक, पुस्तकाध्यक्ष ग्रेड थर्ड, प्रयोगशाला सहायक व कम्प्यूटर अनुदेशक की नियुक्तियां जिला शिक्षा अधिकारी मुख्यालय माध्यमिक शिक्षा की ओर की जा सकेगी।
तबादला सीजन में जमकर हुए तबादले
पिछले दिनों सरकार ने कर्मचारियों व अधिकारियों के तबादला करने की छूट दी थी। शिक्षा विभाग ने भी प्रिसिंपल से लेकर प्रथम श्रेणी व्याख्याता और द्वितीय श्रेणी अध्यापकों के खूब तबादले किए। लेकिन विभाग ने नए शिक्षा नियमों की तरफ ध्यान नहीं दिया। इस मामले में शिक्षकों में काफी नाराजगी है।
एक्सपर्ट व्यू: कानूनी तौर पर गलती, इसलिए हो कार्रवाई
पिछले दिनों शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापकों के हुए तबादला आदेश बिना सक्षम अधिकारी ने जारी किए है। नए नियमों के हिसाब से जिस अधिकारी को अधिकार ही नही दिए गए उस अधिकारी ने तबादला आदेश जारी कर दिए। जो विभाग की लापरवाही को दर्शाता है। बिना सक्षम अधिकारी के जारी किया गया आदेश कानून की दृष्टि में अनुचित है। ऐसे आदेश की कोई वैधता नही होती है। इसलिए सरकार को ऐसे आदेशों को वापस लेना चाहिए और जिस स्तर पर भी चूक हुई है उनके खिलाफ कार्रवाई भी होनी चाहिए।
एडवोकेट संदीप कलवानिया, हाईकोर्ट जयपुर
इनका कहना है… नए नियमों में कमी छोडऩा गलत
1970 और 1971 के दशकों पुराने नियमों को समेकित कर बनाए नए नियमों में भी कमी छोडऩा सरकार की शिथिलता की पराकाष्ठा है। शिक्षकों की आपत्ति वाजिब है। नए नियमों को लागू करने से विशेषज्ञों की कमेटी बनाकर अध्ययन कराना चाहिए जिससे बाद में किसी तरह के विवाद नहीं हो। नए शैक्षिक नियम विभाग की ओर से काफी जल्दबाजी में लागू किए गए थे।
महेन्द्र पांडे, महामंत्री, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ