शिवाजी को भुलाकर महाराष्ट्र को नामर्द बनाने की साजिश! बीजेपी की भूमिका पर सामना के जरिये संजय राउत का हमला

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शिवाजी को भुलाकर महाराष्ट्र को नामर्द बनाने की साजिश! बीजेपी की भूमिका पर सामना के जरिये संजय राउत का हमला

शिवाजी को भुलाकर महाराष्ट्र को नामर्द बनाने की साजिश! बीजेपी की भूमिका पर सामना के जरिये संजय राउत का हमला

मुंबई:उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की शिवसेना के मुखपत्र सामना के जरिए शिवाजी महाराज और वीर सावरकर (Veer Savarkar) के संबंध में बीजेपी की भूमिका को लेकर जमकर निशाना साधा गया है। सामना ने सवाल उठाया है कि जिस तरह का जोश बीजेपी ने वीर सावरकर के अपमान के समय दिखाया था। वैसा ही जोश छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) के अपमान के समय क्यों नहीं दिखाया। इसके उलट बीजेपी (BJP) ने तो शिवाजी महाराज का अपमान करने वाली प्रवृत्ति का समर्थन किया है। सामना (Samana Editorial) में यह भी कहा गया है कि विरोधियों ने तो विरोध का वह मौका भी गंवा दिया, जिसमें वो शिवाजी महाराज के अपमान के बदले महाराष्ट्र बंद का आव्हान कर सकते थे। राज्य में छत्रपति शिवाजी महाराज को भुलाया जा रहा है। महाराष्ट्र (Maharashtra) को नामर्द बनाने की साजिश शुरु है क्या? शिवाजी महाराज अगर नायक न होते तो क्या आजादी की लड़ाई के लिए बाल गंगाधर तिलक ने शिव जयंती का उत्सव मनाने का फैसला किया होता।

तिलक ने शिवाजी महाराज और गणपति को घर से सार्वजनिक पंडाल तक लाने का काम किया है। शिवाजी-भवानी के नाम से ही संयुक्त महाराष्ट्र की लड़ाई लड़ी और जीती गई। जिसके बाद मुंबई महाराष्ट्र को मिली। शिवसेना जैसे राजनीतिक संगठन भी तो शिवाजी महाराज की प्रेरणा से ही खड़े हुए थे। अगर अगर शिवाजी पुराने हो गए हैं तो फिर आज के नेता उनका नाम क्यों लेते हैं।

सामना ने लिखा है कि मोहम्मद पैगम्बर पर विवादित टिप्पणी के बाद इस्लामी और अरब राष्ट्र इसका विरोध किया तो फौरन नूपुर शर्मा को पद और पार्टी से हटा दिया गया। जबकि छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान करने वाले का समर्थन किया जा रहा है। बदनामी करने वाले का बाल भी बांका नहीं हुआ। वो आज भी अपने पद पर कायम है।

राज्यपाल और सुधांशु त्रिवेदी ने क्या कहा था?
कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में मंच से बोलते हुए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा था कि जब हम स्कूल में थे तो हमसे पूछा जाता था कि स्कूल में हमारा रोल मॉडल कौन है। उस समय हम छात्र वही कहते थे जो हमें अच्छा लगता था। यानी कुछ लोग सुभाष चंद्र को पसंद करते थे, कुछ नेहरू को, कुछ गांधीजी को। जिसे जो अच्छा समझता था, उसी का नाम लेता था। आज अगर आपको आदर्श तलाशने हैं तो बाहर जाने की जरूरत नहीं है। आप महाराष्ट्र में ही अपने आदर्श पा सकते हैं। अगर कोई आपसे पूछता है कि आपके नायक कौन हैं, तो मुझे लगता है कि आप इसे यहां प्राप्त कर सकते हैं। शिवाजी पुराने समय के आदर्श हैं। मैं एक नए युग की बात कर रहा हूं। डॉ अंबेडकर से डॉ. यहां तक नितिन गडकरी भी आपको यहां मिल जाएंगे।

वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब को पांच बार पत्र लिखकर माफी मांगी थी। त्रिवेदी के इस बयान के बाद महाराष्ट्र में बवाल मचा हुआ है। उन्होंने यह बयान एक निजी चैनल के डिबेट शो में बातचीत के दौरान दियाथा। इन दोनों बयानों के बाद पहली बार एकनाथ शिंदे गुट के किसी विधायक ने तल्ख़ टिपण्णी की है।

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