शिवराज सरकार का सबसे कमाऊ जिला, लेकिन यहां के गांवों में क्यों नहीं आती हैं बहुएं

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शिवराज सरकार का सबसे कमाऊ जिला, लेकिन यहां के गांवों में क्यों नहीं आती हैं बहुएं

शिवराज सरकार का सबसे कमाऊ जिला, लेकिन यहां के गांवों में क्यों नहीं आती हैं बहुएं

सिंगरौली: मध्य प्रदेश में कुछ महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसके साथ ही विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेता अपने अपने इलाकों में जाकर एक बार फिर से वादों की झड़ी लगाने में जुट गए हैं। ऐसे में नवभारत टाइम्स.कॉम मध्य प्रदेश में विकास की जमीनी हकीकत से रूबरू कराने की कोशिश कर रहा है। मध्य प्रदेश की उर्जाधानी के नाम से विख्यात सिंगरौली वैसे तो आज के दौर में अपनी पहचान बिजली, कोयला ,सोना उत्पादन के रूप में बना चुकी है। इस इलाके में खनिज संपदा का भंडार है। यहां बड़ी मात्रा में बिजली, कोयला और सोने का उत्पादन हो रहा है। यही वजह है कि प्रदेश को सबसे अधिक यहां से राजस्व प्राप्त होता है। पहले यह इलाका काला पानी की सजा के रूप में विख्यात था। क्या है इसके पीछे की कहानी आइए समझने की कोशिश करते हैं।

यहां मिलती थी कभी काला पानी की सजा

बताया जाता है कि सिंगरौली को मूल रूप से श्रृंगवल्ली कहा जाता था, जिसका नाम ऋषि श्रृंगी के नाम पर रखा गया था। ऋषि श्रृंगी प्राचीन भारत के रामायण युग के प्रसिद्ध हिंदू संत थे। स्वतंत्रता-पूर्व काल में सिंगरौली रियासत रीवा एस्टेट से संबंधित थे। यह घने जंगलों और दुर्गम इलाकों से आच्छादित राज्य का सबसे दुर्गम क्षेत्र था, जिससे पार करना लगभग असंभव हो गया था। इसी कारण से रीवा रियासत के राजाओं ने सिंगरौली को खुली जेल के रूप में इस्तेमाल किया ताकि वह गलत नागरिकों और अधिकारियों को बंदी बना सकें। रीवा रियासत के राजा जब भी किसी को काला पानी की सजा का फैसला करते थे तो उसे बंदी बनाकर इस इलाके में भेज देते थे, यही वजह है कि इस इलाके को *काला पानी की सजा* के रूप भी जाना जाता है।

जहां की रोशनी से देश-विदेश होता है रोशन, खुद की रोशनी के लिए है मोहताज

एशिया की बड़ी से बड़ी बिजली कंपनियों के पावर हाउस और इन पावर प्लांट के सामने बौने से लगते, बदहाल गांव और अंधेरी बस्तियां। तस्वीर है उर्जाधानी सिंगरौली की जहां की बिजली से देश और विदेश भी रोशन होता है, लेकिन फिर भी देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक है।

पड़ोस के जिले सीधी की बेटी नेहा विश्वकर्मा की शादी साल 2018 में उर्जाधानी सिंगरौली जिले के चितरंगी क्षेत्र के नौगई-2 में हुई, लेकिन उसका ज्यादातर समय मायका में ही बीत रहा है। गांव की बेटी निशा भी ब्याह के बाद ससुराल गई तो मायका कम ही आई है। यह दो नाम महज बानगी हैं। हकीकत में गांव की ज्यादातर बहुएं ससुराल के बजाए मायका या फिर दूसरे स्थानों में रह रही हैं। बेटियां भी मायका कम ही लौटती हैं। वजह गांव में अब तक बिजली व्यवस्था नहीं होना है।

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बिजली नहीं होने के चलते यहां ब्याही नहीं जाती बेटियां

सुसराल में बिजली नहीं होने के चलते मायका में रह रही नेहा का कहना है कि गांव में 200 घरों की आबादी है, लेकिन बिजली व सड़क का उचित बंदोबस्त नहीं है। यही वजह है कि चाह कर भी वह और उनके जैसी कई दूसरी बहुएं ससुराल में नहीं रह पा रही हैं। उनके जैसा हाल गांव की अन्य बेटियों का भी है, जो ब्याह के बाद समस्या को देखते हुए मायका नहीं आ पाती हैं। पूरा गांव बिना बिजली के परेशान है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। गांव में पहुंचने के लिए सड़क भी नहीं है।

गांव में दो साल पहले बिजली आपूर्ति के लिए व्यवस्था बनाए जाने के मद्देनजर खंभा तो लगा दिया गया, लेकिन अभी तक तार नहीं बिछाया जा सका है। कुछ महीने पहले ग्रामीणों की ओर से हायतौबा मचाई गई तो वहां ट्रांसफॉर्मर भी लगा दिया गया, लेकिन अभी तक न ही तार बिछाया गया है और न ही बिजली आपूर्ति शुरू की जा सकी है। नतीजा 42 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक तापमान में लोग गर्मी से बिलबिला रहे हैं।
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बेटों की नहीं हो रही शादी

यहां कोई बेटी की शादी नहीं करना चाह रहा है। यही वजह है कि गांव के लगभग हर घर में एक न एक शादी योग्य बेटा कुंवारा है। गांव में बिजली और सड़क की बदहाल स्थिति देखकर वहां कोई अपनी बेटी का रिश्ता नहीं करना चाहता है।
navbharat times -Singrauli News: चोरों के ‘गांव’ में जब अपनी ‘फौज’ लेकर उतरी दो जिलों की पुलिस तो मच गया हड़कंपवहीं बिजली विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सिंगरौली पूर्व में योजना के तहत बिजली आपूर्ति व्यवस्था बनाने के लिए कार्य शुरू किया गया था, लेकिन कार्य करने वाली एजेंसी बीच में ही काम छोड़कर भाग गई। बाद में योजना की बंद हो गई। अब नए सिरे से प्रयास किया जा रहा है। ऐसे कुछ और टोला-मजरा बाकी है।
रिपोर्ट: देवेंद्र पांडेय

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