शिक्षा, शोध व विकास में उपलब्धियां शून्य
दरभंगा। मिल्लत कॉलेज में मंगलवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। प्रधानाचार्य डॉ. इफ्तेखार अहमद की…
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,दरभंगाTue, 09 May 2023 10:30 PM
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दरभंगा। मिल्लत कॉलेज में मंगलवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। प्रधानाचार्य डॉ. इफ्तेखार अहमद की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में बिहार में विकास की चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर विमर्श किया गया। मुख्य वक्ता लनामि विवि के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने कहा कि दो करोड़ की आबादी पर एक विश्वविद्यालय है। बिहार विद्यार्थी, बेरोजगार युवा व मजदूरों का सबसे बड़ा निर्यातक प्रदेश बनकर रह गया है। 1980 के बाद कोई कॉलेज नहीं खुला। विश्वविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं है। हम बेरोजगारों की फौज तैयार कर रहे हैं। साक्षरता दर निम्न है। मौजूदा दौर में बिहार में अशिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शोध व विकास में हमारी उपलब्धियां शून्य हैं जो कि प्रमुख चुनौतियां हैं। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, पटना के डॉ. रवींद्र कुमार वर्मा ने कहा कि सबसे पहले हमें इस चीज पर मंथन करना होगा कि किसका विकास किया जाय बिहार में। आधारभूत संरचनाओं पर पैसा झोंक दिया गया, लेकिन उसके आर्थिक आउटपुट का अध्ययन नहीं किया जा रहा है और यही स्थिति हर क्षेत्र की है। सीएम साइंस कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि आज कई मायनों में हिन्दुस्तान के कई प्रदेशों से बेहतर है बिहार। समय के साथ विकास की परिभाषा बदलती रहती है। बिहार में विकास को तेज रफ्तार की जरूरत है। लनामि विवि के उप परीक्षा नियंत्रक द्वितीय डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि आवश्यकता है विकास की संभावनाओं एवं संभाव्यताओं को ढूंढ निकालने की, आत्म-मंथन की और प्रगति के पथ पर अग्रसर होने की। शेष बिहार में भी विकास की संभावनाएं हैं। सेमिनार को विभागीय शिक्षक रघुवीर कुमार रंजन, डॉ. जोहा सिद्दीकी समेत कई वक्ताओं ने संबोधित किया। इससे पूर्व विषय प्रवेश डॉ. जमशेद आलम ने किया। उद्घाटन सत्र का संचालन पूर्व कुलसचिव डॉ. मुस्तफा कमाल अंसारी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सोनी शर्मा ने किया। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. जमशेद आलम ने की। इस सत्र में कई शिक्षकों, शोधार्थियों व छात्र-छात्राओं ने अपना आलेख प्रस्तुत किया।
यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
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दरभंगा। मिल्लत कॉलेज में मंगलवार को राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। प्रधानाचार्य डॉ. इफ्तेखार अहमद की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में बिहार में विकास की चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर विमर्श किया गया। मुख्य वक्ता लनामि विवि के राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव ने कहा कि दो करोड़ की आबादी पर एक विश्वविद्यालय है। बिहार विद्यार्थी, बेरोजगार युवा व मजदूरों का सबसे बड़ा निर्यातक प्रदेश बनकर रह गया है। 1980 के बाद कोई कॉलेज नहीं खुला। विश्वविद्यालय में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं है। हम बेरोजगारों की फौज तैयार कर रहे हैं। साक्षरता दर निम्न है। मौजूदा दौर में बिहार में अशिक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शोध व विकास में हमारी उपलब्धियां शून्य हैं जो कि प्रमुख चुनौतियां हैं। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान, पटना के डॉ. रवींद्र कुमार वर्मा ने कहा कि सबसे पहले हमें इस चीज पर मंथन करना होगा कि किसका विकास किया जाय बिहार में। आधारभूत संरचनाओं पर पैसा झोंक दिया गया, लेकिन उसके आर्थिक आउटपुट का अध्ययन नहीं किया जा रहा है और यही स्थिति हर क्षेत्र की है। सीएम साइंस कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि आज कई मायनों में हिन्दुस्तान के कई प्रदेशों से बेहतर है बिहार। समय के साथ विकास की परिभाषा बदलती रहती है। बिहार में विकास को तेज रफ्तार की जरूरत है। लनामि विवि के उप परीक्षा नियंत्रक द्वितीय डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि आवश्यकता है विकास की संभावनाओं एवं संभाव्यताओं को ढूंढ निकालने की, आत्म-मंथन की और प्रगति के पथ पर अग्रसर होने की। शेष बिहार में भी विकास की संभावनाएं हैं। सेमिनार को विभागीय शिक्षक रघुवीर कुमार रंजन, डॉ. जोहा सिद्दीकी समेत कई वक्ताओं ने संबोधित किया। इससे पूर्व विषय प्रवेश डॉ. जमशेद आलम ने किया। उद्घाटन सत्र का संचालन पूर्व कुलसचिव डॉ. मुस्तफा कमाल अंसारी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सोनी शर्मा ने किया। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ. जमशेद आलम ने की। इस सत्र में कई शिक्षकों, शोधार्थियों व छात्र-छात्राओं ने अपना आलेख प्रस्तुत किया।
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