शिक्षक से RPSC सदस्य बन कमाए करोड़ों, कौन है राजस्थान पेपर लीक का मास्टरमाइंड बाबूलाल कटारा

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शिक्षक से RPSC सदस्य बन कमाए करोड़ों, कौन है राजस्थान पेपर लीक का मास्टरमाइंड बाबूलाल कटारा

शिक्षक से RPSC सदस्य बन कमाए करोड़ों, कौन है राजस्थान पेपर लीक का मास्टरमाइंड बाबूलाल कटारा

जयपुर/ डूंगरपुर :वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक करने वाले RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा के बारे में आज हर कोई जानना चाहते है कि आखिर ये बला है कौन। राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल महोदय ने जिसे सरकारी नौकरियों की भर्तियां करने वाली सबसे बड़ी एजेंसी का सदस्य बनाया। उसी ने प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ सौदा कर डाला। जिस व्यक्ति की जिम्मेदारी निष्पक्ष रूप से योग्य अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरी देने की थी। उसी रुपयों के लालच में भर्ती परीक्षा के पेपर बेच दिए। इससे बड़ी दुखद घटना राजस्थान के लिए और क्या हो सकती है। आइए जानते हैं ये भ्रष्ट व्यक्ति कौन है और RPSC का सदस्य कैसे बन गया।

​पहले तृतीय श्रेणी शिक्षक बना था बाबूलाल कटारा​

बाबूलाल कटारा डूंगरपुर जिले के भाटपुर ग्राम पंचायत के मालपुर गांव का रहने वाला है। 2 नवंबर 1987 को वह तृतीय श्रेणी शिक्षक बना था। करीब 2 साल बाद 1990 में वह अर्थशास्त्र के व्याख्याता बन गया था। अगले ही साल 1991 में बाबूलाल कटारा जिला सांख्यिकी अधिकारी बन गया था। इस दौरान उदयपुर संभाग में विभिन्न जगह पर कटारा ने सेवाएं दी। वर्ष 1994 से लेकर 2005 तक विकास अधिकारी के रूप में काम किया। फिर संयुक्त निदेशक सांख्यिकी सचिवालय में सेवाएं दी। वर्ष 2013 से वीआरएस लेने तक उदयपुर के माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान में निदेशक का पद संभाला।

​2020 में गहलोत सरकार ने RPSC सदस्य बनवाया​

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अक्टूबर 2020 में गहलोत सरकार ने बाबूलाल कटारा को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बनने के लिए की सिफारिश की थी। राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने कटारा को आरपीएससी के सदस्य के रूप में नियुक्ति प्रदान की। इस नियुक्ति के पीछे गहलोत सरकार ने अनुसूचित जनजाति वर्ग को खुश करना था। दरअसल वर्ष 2020 में डूंगरपुर क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति और आदिवासी समुदाय के लोगों ने बड़ा आंदोलन किया था। डूंगरपुर बांसवाड़ा में अनुसूचित जनजाति के हजारों लोगों ने शिक्षक भर्ती 2018 में सामान्य श्रेणी के 1167 पदों पर अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को नियुक्त देने की मांग की थी। उस आंदोलन के दौरान भारी हिंसा हुई जिसने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। हिंसा के दौरान दो लोगों की मौत भी हुई। उन दिनों अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को खुश करने के लिए गहलोत सरकार ने बाबूलाल कटारा की नियुक्ति RPSC के सदस्य के रूप में करने की सिफारिश की थी।

​अकूत संपति का मालिक बन गया था कटारा​

​अकूत संपति का मालिक बन गया था कटारा​

कुछ सालों पहले तक बाबूलाल कटारा का परिवार एक सामान्य गरीब सा परिवार था। लेकिन पिछले कुछ सालों में कटारा ने करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित कर ली। ऐसे में साफ माना जा रहा है कि बड़े घोटाले करके ही कटारा ने करोडों रुपये की संपत्ति अर्जित की है। उदयपुर, डूंगरपुर और बांसवाड़ा सहित कई पॉश इलाकों में बाबूलाल कटारा की जमीनें है। बताया जा रहा है कि उदयपुर के सेक्टर-14 सीए सर्किल के पास पॉश एरिये में कटारा का एक मकान है। डूंगरपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पीछे सुभाष नगर में दो मंजिला मकान और अस्पताल रोड पर तीन मंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स भी है।

​अब भुगतेगा कर्मों की सजा

​अब भुगतेगा कर्मों की सजा

दिसंबर 2022 में जब वरिष्ठ अध्यापक पेपर लीक प्रकरण सामने आया तो इस मामले की जांच उदयपुर पुलिस के साथ एसओजी को सौंपी गई। एसओजी कड़ी से कड़ी जोड़ते हुई पेपर लीक माफियाओं को गिरफ्तार कर रही थी। पिछले दिनों सरकारी स्कूल का एक वाइस प्रिंसिपल शेर सिंह मीणा एसओजी की गिरफ्त में आया। शेर सिंह से हुई पूछताछ में यह पता चला कि उसे यह पेपर आरपीएससी के सदस्य बाबूलाल कटारा ने दिया था। इसके बाद एसओजी ने बाबूलाल कटारा, उसके ड्राइवर गोपाल सिंह और भांजे विजय डामोर को पेपर लीक प्रकरण में गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल कटारा एसओजी की रिमांड पर है। अब न्यायालय को उसके कर्मों की सजा सुनानी है। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)

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