शादी से पहले सवाल फिट तो जोड़ी रहेगी हिट

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शादी से पहले सवाल फिट तो जोड़ी रहेगी हिट

इश्क शादी से पहले हो या शादी के बाद, पर हो जरूर। अपने पार्टनर को पूरी तरह जाने बिना इश्क करने से कई बार ज़िदगी समझौतों में ही गुजर जाती है। अगर समझौते में परेशानी हुई तो बात तलाक तक पहुंच जाती है। जब नौबत ऐसी बन जाए तो लोग सोचते हैं कि आखिर शादी क्यों की या फिर मैंने प्यार क्यों किया? वहीं जिन्हें कोई पार्टनर नहीं मिलता, वे इस बात से परेशान रहते हैं कि काश! मुझे भी कोई मिल गया होता, पल भर के लिए कोई मुझे भी प्यार कर ले, झूठा ही सही। देश के बेहतरीन एक्सपर्ट्स से बात करके ऐसे इश्क-विश्क और रिस्क के बारे में जानकारी दे रहे हैं लोकेश के. भारती

चंद सवालों से परखें
नीचे कुछ सवाल दिए गए हैं जो शादी से पहले जरूर पूछे जाने चाहिए। ये सवाल किसी शख्स के बारे में 100 फीसदी जानकारी नहीं दिला सकते, लेकिन व्यक्तित्व और उनके स्वभाव के बारे में बता जरूर सकते हैं। वैसे भी शादी को एक सामाजिक समझौता ही माना जाता है। पर समझौता हमें किस हद तक करना चाहिए, यह देखने वाली बात है। अगर कोई चाहे तो इस पूरी प्रक्रिया में मैरिज काउंसलर की मदद भी ले सकता है।

प्यार से लेकर लाइफस्टाइल तक की लें जानकारी
क्या आप अभी या पहले किसी के साथ रिलेशन में थे या थीं? अगर हां तो अभी क्या स्थिति है? क्या अब भी उसके संपर्क में हैं? उसे छोड़े हुए कितना वक्त हुआ है? संबंध कितना गहरा था?
इस सवाल का जवाब अमूमन लोग न में ही देते हैं या फिर यह कह देते हैं कि अब कोई बात नहीं होती। पर इतने से नहीं मानना चाहिए। सामनेवाले को आप यह जरूर बताएं कि अगर आपने सही जानकारी नहीं दी तो हमारी शादीशुदा ज़िंदगी खराब हो सकती है। बातों के दौरान चाहें तो यह पूछ सकते हैं कि पहले के रिलेशन की कुछ अच्छी यादें बताएं। अगर वह अपनी पुरानी पहचान में ही गलतियां बताता/बताती है और खुद को पाक साफ तो इससे यह भी पता चलेगा कि शादी के बाद भी वह अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करेगा या करेगी।

अपने पिछले बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड से चैटिंग अब भी होती है? अगर हां तो अपना रुख जरूर बताएं इससे आपको कोई परेशानी है की नहीं?
कई बार दूसरे को लगता है कि इसका अब भी पुराना अफेयर चल रहा है। आजकल संबंधों में बिखराव की यह एक बड़ी वजह के रूप में देखा गया है।
क्या आपको कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी है? क्या आपकी फैमिली में गंभीर बीमारी का इतिहास रहा है?
इन बीमारियों में कैंसर, हार्ट, लिवर और किडनी से जुड़ी परेशानी हो सकती है। अगर उस शख्स के पैरंट्स आदि को ऐसी बीमारी रही है तो बहुत ज्यादा आशंका है कि उस शख्स में भी ऐसी परेशानी आ जाए।

क्या किसी चीज की लत है?
यह लत शराब, ड्रग्स पॉर्न आदि की हो सकती है। ऐसे में इसे पहले जान और समझ लेना बेहतर है कि शादी के बाद इस लत से आपकी लाइफ कितनी प्रभावित होगी।

क्या देर तक सोने की आदत है?
इस बात को लेकर भी पति-पत्नी में अक्सर लड़ाई होती है। किसी को देर रात तक टीवी या मोबाइल देखने की आदत है तो वह स्वाभाविक तौर पर सुबह देर से उठेगा या उठेगी। उसके उठने तक ऑफिस जाने का टाइम हो जाएगा। सुबह के सभी काम वक्त पर पूरे करने की जिम्मेदारी दूसरे साथी पर ही आ जाती है।

काम-धंधे से हो जाएं वाकिफ
आपने कितनी पढ़ाई की है और जो जॉब या बिजनेस आप करते हैं या करती हैं, उसमें किस तरह का काम होता है?
एजुकेशनल डिग्री से यह पता चलता है कि पढ़ाई के प्रति वह कितना गंभीर रहा है या रही है। साथ ही उस जॉब में उसके आगे बढ़ने की कितनी गुंजाइश है। जब हम जॉब प्रोफाइल को खंगालते हैं तो यह पता चल जाता है कि वह शख्स हर दिन घर पर कितने बजे तक लौटेगा। अगर उसकी जॉब दूसरे शहर में भी जाने की है और कई दिनों तक घर से दूर रहने की है तो उसके साथ तालमेल बिठाने में कोई परेशानी तो नहीं होगी।

आपकी कमाई कितनी है?
वर्तमान कमाई कितनी है, यह जान लेना जरूरी है। इससे यह भी पता चलेगा कि कमाई पूरे महीने के खर्च के लिए पर्याप्त है। अगर पति-पत्नी दोनों वर्किंग हैं तो अमूमन पैसे की दिक्कत नहीं होती, लेकिन कोई एक वर्किंग है तो कभी-कभी परेशानी हो भी जाती है। कोरोना ने कई लोगों की नौकरी छीन ली तो तलाक तक पहुंच गया था।

…ताकि परिवार को लेकर न हो वॉर
आपको न्यूक्लियर फैमिली में रहना पसंद है या फिर जॉइंट फैमिली में?
चूंकि अब पुराने सिस्टम में बदलाव साफतौर पर देखा जा रहा है। लोग अब अपना परिवार छोटा (पति-पत्नी और बच्चे) रखना चाहते हैं। कई बार पैरंट्स की मौजूदगी ऐसे लोगों को खटकने लगती है। अगर इस बारे में शादी से पहले बात हो जाए तो बाद में विवाद से बचा जा सकता है। कई लड़के शादी के बाद अपने पैरंट्स को साथ में रखना चाहते हैं। यही आदर्श स्थिति भी है क्योंकि वे बुजुर्ग भी होते हैं। लेकिन यह कई लड़कियों को पसंद नहीं आता। उन्हें यह अपनी जिंदगी में बाधा लगता है। घर के बुजुर्ग भी घर को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं। वे बदलाव और अपनी स्थिति को स्वीकार नहीं करना चाहते। इससे परेशानी खड़ी हो जाती है। कुछ हालात में लड़कियां भी अपने पैरंट्स को साथ रखना चाहती हैं। यही आदर्श स्थिति होनी चाहिए लेकिन ज्यादातर आदमी स्वीकार नहीं कर पाते और घर में झगड़े होने लगते हैं।

बच्चा कब पैदा करना है?
यह सवाल भी काफी अहम हो जाता है। दरअसल, पुरानी सोच यह है कि शादी हुई तो एक साल के भीतर बच्चा हो जाना चाहिए, नहीं तो लोग कई तरह की बातें करना शुरू कर देते हैं कि दोनों में से किसी को सेक्स संबंधी परेशानी तो नहीं है आदि। इसलिए इस विषय पर भी पति और पत्नी दोनों को एक-दूसरे की राय जानना जरूरी है। साथ ही कितने बच्चे पैदा करना है, संतान में बेटा या बेटी में फर्क तो नहीं करेंगे। बेटा न हुआ तो 3 बच्चे पैदा करने का दबाव तो नहीं होगा?

जब बच्चा होगा तो जॉब तो नहीं छोड़नी होगी?
अमूमन यह स्थिति महिलाओं के लिए खासतौर पर तब बनती है जब पति और पत्नी दोनों ही जॉब कर रहे हों। जब बच्चा होता है तो उसकी परवरिश पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। ऐसे में बच्चे को ज्यादा वक्त देने के लिए किसी एक को जॉब छोड़नी पड़ती है या फिर ‘लीव विदाउट पे’ पर जाना पड़ता है। यह त्याग अक्सर महिलाएं ही करती हैं। लेकिन कई बार महिलाओं को यह लगता है कि वे ही त्याग क्यों करें, जो सही भी है। वहीं एक स्थिति यह भी बनती है कि पति की कमाई इतनी नहीं होती कि उसकी कमाई से अकेले घर चल सके। इसलिए वह खुद ही अपनी पत्नी को जॉब छोड़ने से मना करते हैं। वहीं ऐसी वर्किंग महिलाओं को बच्चा पैदा होने के बाद घर के कामों में पति की मदद की दरकार होती है। उन्हें दो मोर्चों पर काम करना होता है। शादी से पहले ही पूछना जरूरी है कि आगे बच्चा होने पर घर के कामों में मदद करेंगे या नहीं। कोरोना के दौर में तलाक की वजह का यह भी एक कारण रहा है।

एक हिंदी गाने का बोल है, ‘शादी करके फंस गया यार, अच्छा खासा था कुंवारा।’ वैसे तो ये बातें हल्की-फुल्की अंदाज में कहे गए हैं, लेकिन शादी के बाद होने वाली परेशानी को बखूबी बयां कर रहे हैं। शादी करके फंसने से बचने के लिए यह जरूरी है कि कुंडली मिलान के साथ चंद मेडिकल टेस्ट के मिलान भी कराए जाएं। वैसे किसी इंसान की सोच को 1-2 मुलाकातों में समझ लेना पूरी तरह मुमकिन नहीं होता, लेकिन चंद बातों और सवालों से व्यक्तित्व को कुछ समझने का मौका जरूर मिलता है।

सेहत की कुंडली मिलाएं
मन की हालत का लें जाएजा
हमारे देश में मन की सेहत पर अमूमन ज्यादा चर्चा नहीं होती। इसे अब भी हेल्थ इशू नहीं माना जाता। लेकिन किसी को अपना जीवनसाथी बनाने से पहले अगर यह समझ में आ जाए कि जिसके साथ वह ज़िंदगी गुजारने जा रहा/रही है, उसे मानसिक समस्या है तो पहले इलाज जरूरी है न कि शादी। कई बार परिवार वाले यह सोचकर शादी करा देते हैं कि शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा। यह बहुत बड़ी गलती है। इतना तो तय है कि उसे पहले इलाज की जरूरत है। मेंटल हेल्थ के मरीजों में अमूमन स्ट्रेस एक बड़ा कारण होता है। वैसे स्ट्रेस तो सभी को होता है, लेकिन जब यह किसी की रातों की नींद खराब करने लगे, ऑफिस के काम को डिस्टर्ब करने लगे, बात-बात में गुस्सा आए, गुस्से की वजह से व्यवहार हिंसक हो जाए तो शादी से पहले इलाज जरूरी हो जाता है। ऐसा देखा गया है कि ऐसी परिस्थितियां मन की सेहत डवांडोल होने की स्थिति की ही वजह ज्यादा बनती है। जिनकी मानिसक सेहत कमजोर होती है, मुलाकात के दौरान अमूमन ऐसे लोगों का स्वभाव कुछ जुदा होता है। वे खोए-खोए रहते हैं। सामने बैठे रहने पर भी ध्यान कहीं दूसरी जगह होता है। सामने जो दिए गए सवाल हैं, उनके जवाब कैसे देता है या देती है। तर्कपूर्ण जवाब मिलते हैं या नहीं, देखना भी जरूरी है।

ब्लड टेस्ट खोल देगा शरीर की जन्मपत्री

बीपी पर काबू है या नहीं
बीपी की जांच भी जरूरी है। वैसे तो बीपी की परेशानी आजकल ज्यादातर लोगों को होती है, लेकिन यह किस हद तक बढ़ी हुई है। इसके लिए कौन-सी और कितने पावर की दवा ली जा रही है, इसे जानना भी जरूरी है। सबसे अहम कि इसे काबू में करने के लिए सामने वाला शख्स खुद से कोई कोशिश कर रहा है या नहीं। सीधे कहें तो उसका रुटीन कैसा है। सुबह उठने और एक्सरसाइज आदि करने की आदत है या नहीं। शादी से पहले ये बातें भले ही हल्की लगे, लेकिन शादी के बाद ये आदतें बहस और विवाद का कारण बनती हैं। दूसरी बात यह कि जब रुटीन को लेकर पैरंट्स में जागरुकता कम होती है तो बच्चे भी इसे ज्यादा अहमियत नहीं देते और बीमारी जमा करने लगते हैं।

खून की जांच से यह पता चल जाता है कि उस शख्स को कोई बड़ी गंभीर बीमारी तो नहीं है या ऐसी बीमारी जो अभी छोटी है लेकिन आने वाले समय में यह बड़ी हो सकती है।

शुगर और KFT
शुगर की फास्टिंग और पीपी, किडनी की केएफटी जांच करा लेनी चाहिए। इन दोनों जांच से यह पता चल जाता है कि शरीर की सामान्य स्थिति बेहतर है। ये समस्याएं शादी से पहले भले ही सामान्य और छोटी लगती हैं, लेकिन समय के साथ बड़ी होती जाती हैं।

STD (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डीजीज)
बेहतर लाइफ के लिए जरूरी है कि हेल्दी सेक्स लाइफ भी हो। अगर किसी को एसटीडी की समस्या है तो उसका पहले इलाज जरूरी है। यह परेशानी अमूमन कई लोगों से असुरक्षित यौन संबंध बनाने या फिर अपने प्राइवेट पार्ट की सही तरीके से साफ-सफाई न करने से होती है। इससे ग्रसित लोगों के प्राइवेट पार्ट से पीले और हरे रंग का द्रव निकलना, सेक्स के दौरान प्राइवेट पार्ट में दर्द की समस्या होती है। यह पुरुषों से महिलाओं में और महिलाओं से पुरुषों में फैल सकती है।
HIV की जांच
शादी से पहले इसका टेस्ट होना सबसे ज्यादा जरूरी है। अगर कोई एचआईवी पॉजिटिव है और लक्षण भी उभरने लगे हैं तो समझ लें कि उसे एड्स हो चुका है। अगर लक्षण नहीं भी उभरे हैं तो कुछ महीनों के बाद ही एचआईवी पॉजिटिव मरीज एड्स मरीज में बदल जाता है। इसके लिए एलाइसा टेस्ट कराया जाता है।

हीमोफीलिया और थैलेसीमिया की जांच
ये बीमारियां बहुत ज्यादा परेशान करती हैं। शादी टूटने की वजह के रूप में भी इसे देखा जाता है। जब किसी वजह से शरीर में चोट या कट लग जाए तो खून बहना या तो बंद नहीं होता या फिर बहुत ज्यादा परेशानी से बंद होता है। इसे हीमोफीलिया का लक्षण माना जा सकता है। इससे ग्रसित शख्स की नाक से अक्सर खून बहने लगता है। त्वचा का रंग नीला पड़ने लगता है। दिमाग में सूजन आ जाती है।
वहीं थैलेसीमिया का मरीज बहुत कमजोर होता है। उसका वजन नहीं बढ़ता। पीलिया जैसे लक्षण दिखते हैं।
क्या है टेस्ट: इसके लिए थैलेसीमिया माइनर HPLC ( High-Prformance Liquid Chromatography) टेस्ट करना जरूरी होता है। यह उतना गंभीर नहीं है। लेकिन अगर लड़का और लड़की दोनों थैलेसीमिया के मरीज रहे हैं तो बच्चे में थैलेसीमिया मेजर की समस्या होने का खतरा बढ़ जाता है। थैलेसीमिया मेजर एक गंभीर बीमारी है।

सीमन एनैलिसिस
हेल्दी स्पर्म से ही हेल्दी बच्चा पैदा होता है। अगर शादी से पहले किसी पुरुष का स्पर्म काउंट कम है तो बच्चा पैदा होने में परेशानी हो सकती है, लेकिन इसका यह कतई मतलब नहीं कि उसकी सेक्स लाइफ अच्छी नहीं होगी। अगर इरेक्शन संबंधी परेशानी है तो वह दवाओं से दूर हो जाती है। वहीं लड़की मामले में यह जानना जरूरी है कि उसके पीरियडस सामान्य रहते हैं या नहीं। इसके अलावा PCOD और PCOS के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं।
वैसे आजकल आईवीएफ के माध्यम से या फिर स्पर्म डोनर की मदद से बच्चे पैदा हो जाते हैं। इसलिए इसे ज्यादा तरजीह नहीं दी जाती।
सभी जांचों पर कुल खर्च: 5 से 7 हजार रुपये। परेशानी से बचने के लिए यह खर्च बहुत ही कम है। कीमत में बदलाव मुमकिन है।
नोट: कोई भी टेस्ट वर्तमान के बारे में बता सकता है, भविष्य के बारे में नहीं । यह भी मुमकिन है कि जो शख्स अभी स्वस्थ है, वह बीमार भी हो सकता है।

अकेले हैं तो क्या गम है…
‘तन्हाई-तन्हाई, तन्हाई, हम दोनों को साथ ले आई’। लेकिन यह हर बार और हर किसी के साथ हो, जरूरी नहीं। कई बार तन्हाई मिटती ही नहीं। ऐसे लोगों को अकेलापन बाकी दिनों को तो चुभता ही है, लेकिन 14 फरवरी यानी वैलंटाइन डे पर खास तौर पर तकलीफ देता है। सच तो यह है कि सिंगल होना बुरी बात नहीं है, लेकिन अकेला होने से परेशानी होती है।
14 फरवरी आने से पहले ही सोशल मीडिया और मार्केट सब जगह इसे भुनाने की कोशिश होने लगती है। 14 फरवरी को तो मानो सोशल मीडिया ऐसे ही कपल्स की तस्वीरों से पटा रहता है। ऐसे में जिनका कोई पार्टनर नहीं हैं, वे खुद में अधूरापन महसूस करते हैं।

मैं खुद को प्यार करूं…
अगर आप खुद से प्यार करेंगे तो परेशानी नहीं होगी। दूसरों के हिसाब से नहीं चलेंगे। कभी दूसरों से खुद की तुलना करके परेशान नहीं होंगे। सीधे कहें तो हर शख्स को पहले खुद का यानी सेल्फ वैलंटाइन बनना चाहिए। ऐसा होने से पार्टनर न होने पर भी फर्क नहीं पड़ेगा।

जब दोस्तों की शादी हो जाए तो कुछ जुदा हो जाएं…
अगर आप अपनी इच्छा से सिंगल रहना चाहते हैं और आपको इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपके दोस्तों के पार्टनर हैं और आपके नहीं, तब तो ठीक है। लेकिन फर्क पड़ता है तो ऐसे ग्रुप से दूरी बना लें। आजकल सिंगल्स के ग्रुप भी खूब बनते हैं।

तस्वीर है रील, यह रीयल भी हो जरूरी नहीं
फिल्मों की ज्यादातर कहानियों में प्यार से बात शुरू होती है और उतार-चढ़ाव के साथ वह शादी पर जाकर खत्म हो जाती है। इसे हैपी एंडिंग कहते हैं। वहीं जिन कहानियों में बात शादी से शुरू होती है, उनमें कई बार बात अलग-अलग होने पर खत्म होती है। इंस्टाग्राम, फेसबुक आदि पर खुशहाल जोड़ों की तस्वीरें कई बार अकेले रह रहे जोड़ों का जीवन मुहाल कर देती हैं। पर, हम सिर्फ इसका एक पक्ष देखते हैं। दूसरा पक्ष यह भी हो सकता है कि उनकी आपस में ज्यादा बनती नहीं हो। वे आपस में खूब लड़ते हों। चूंकि आजकल सोशल मीडिया पर लाइक और व्यू स्टेटस सिंबल हो चुका है।

एक बार शादीशुदा से पूछकर तो देखो
कई कपल्स ऐसे होते हैं जिनकी शादी नहीं हुई होती, फिर भी वे उस रिश्ते को ढो रहे होते हैं और अलग होने के रास्ते तलाशते रहते हैं। वहीं शादीशुदा कपल्स की स्थिति को समझना हो तो उनसे एक बार यह पूछकर देखना चाहिए कि क्या वे एक दिन के लिए बैचलर जिंदगी जीना चाहेंगे? ज्यादातर मामलों में जवाब हां में ही आएगा। सच तो यह है कि सिंगल होने के अपने फायदे हैं। अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से जीने का बेहतरीन जरिया है।

सिंगलहुड को एंजॉय करना
जब जिम्मेदारी नहीं होती तो आप रिस्क लेने से भी नहीं चूकते। आपका करियर तेजी से ऊपर जाता है। कई तरह की टेंशन कम हो जाती हैं। कई तरह की जिम्मेदारियों से बच जाते हैं। पर अगर इसे एंजॉय नहीं कर रहे, खुद को कोसते रहते हैं तो यह सजा हो जाती है। इसलिए जो है उसका मजा लें।

काबू करने की कोशिश होती है कपल्स में
ज्यादातर कपल्स में देखा जाता है कि वे अपने पार्टनर की पसंद और नापसंद को काबू करने की कोशिश में रहते हैं। अपनी पसंद को थोपते रहते हैं। इसलिए हर दिन टेंशन में ही गुजरता है।

अकेला चला था मैं…
आजकल ऐसे तमाम ग्रुप और क्लब हैं जहां सिंगल्स की भरमार है। हर सिंगल आपस में मिलकर या फिर अकेले भी कहीं घूमने निकल जाते हैं। खूब एंजॉय करते हैं। सच तो यह है कि आप खुद को किस रूप में देखना चाहते हैं, वही अहम है। कई तलाकशुदा पुरुष और महिलाएं अलग होकर अपनी ज़िंदगी को बेहतर तरीके से जी रहे/रही हैं। जब तक वे अपने पार्टनर से अलग नहीं हुए थे, तब उनकी जिंदगी में सिर्फ तनाव और लड़ाइयां ही थीं। इसका बुरा नतीजा उनके बच्चों पर भी पड़ता था।

ऐसे लोगों से रहें दूर
बिना मांगे दे डेटिंग की सलाह: आप सिंगल ही रहना चाहते हैं लेकिन जब आपका कोई दोस्त या संबंधी डेटिंग को लेकर सलाह देने लगे कि ऐसे डेटिंग पर जाओ, उस दौरान यह करो यह न करो तो उनसे दूरी बनाने में ही फायदा है।

जबर्दस्ती बनाए जोड़ी
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो आपकी जोड़ी किसी भी शख्स के साथ जोड़कर मजाक बनाने की कोशिश करते हैं। यह आपके लिए असहज स्थिति होती है। ऐसे लोगों से भी दूरी बना लें इतना ही नहीं कुछ लोग तो सिंगल्स को दया का पात्र समझने लगते हैं। सिंगल होना बदकिस्मती समझ लेते हैं।

टीन एजर्स को ज्यादा परेशान करता है सिंगल होना
कॉलेज में जोड़ियां बन जाती हैं। लड़के-लड़कियां साथ में घूमते हैं। जरूरी नहीं कि वे प्यार में ही हों। वे दोस्त भी हो सकते हैं। पर परेशानी ऐसे टीनएजर्स को होती है जिन्हें कोई पार्टनर नहीं मिलता। ऐसे में चाहिए कि वह सिंगल होने को ही एंजॉय करे। सिंगल्स का ग्रुप बना ले। उसी में पार्टी करें।

एक्सपर्ट पैनल

  • डॉ. प्रकाश कोठारी, जाने-माने सेक्सॉलजिस्ट
  • डॉ. राजेश खडगावत, प्रफेसर, एंडोक्राइन डिपार्टमेंट, AIIMS
  • डॉ. समीर पारिख, सीनियर साइकायट्रिस्ट
  • डॉ. सुरेश बीएम, प्रफेसर, NIMHANS
  • डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी, मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट
  • प्रेरणा कोहली, सीनियर क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट
  • पूजा प्रियंवदा, मेंटल हेल्थ फर्स्ट एड प्रोवाइडर
  • राजीव कुमार मलिक, एडवोकेट हाई कोर्ट, मैरिज काउंसलर
  • डॉ. आर. पी. पाराशर, सीनियर, साइकॉलजिस्ट



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