शहर को रोशन करने वालों की जिंदगी में अंधेरा | Darkness in the life of those who light up the city | Patrika News

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शहर को रोशन करने वालों की जिंदगी में अंधेरा | Darkness in the life of those who light up the city | Patrika News

शहर को रोशन करने वालों की जिंदगी में अंधेरा | Darkness in the life of those who light up the city | Patrika News

कर्मचारियों का आरोप है कि कंपनी कर्मचारियों से काम तो पूरा करा रही है लेकिन उन्हें सुरक्षा उपकरण देने में कौताही बरती जाती है। 40 साल पुराने हैंड गल्ब्स से काम चलाया जा रहा है। जिसे हाथों में पहनकर ठीक तरह से करंट का काम करना मुश्किल होता है। बारिश में खंभे पर चढ़ने के दौरान करंट का खतरा बना रहता है। चढ़ने के लिए न तो उच्चकोटि के रबर शू दिए जाते हैं न ही हेल्मेट, प्लास एवं सबस्टेशन में काम करने ऑपरेटिंग रॉड, डिस्चार्ज राड जैसे अन्य उपकरण।

करंट का कराया जा रहा काम

– करंट से जुड़ा कार्य नियमित कर्मचारियों से कराया जाना चाहिए, लेकिन कर्मचारियों की कमी के कारण संविदा और ठेका कर्मियों से काम कराया जाता है। कार्य के दौरान निगरानी के लिए अधिकारी भी मौजूद नहीं रहते। बिजली कम्पनी में करीब 400 कर्मचारियों की कमी है।

नहीं बची जान

शिवलाल यादव पाटन डिवीजन के अंतर्गत 33 केवी सबस्टेशन में ऑपरेटर का काम करता था। 11 जनवरी 2022 को उस पर अचानक 11 केवी का जम्पर टूटकर गिर गया। जिससे उसका दाहिना हाथ और पैर झुलस गया। इलाज में परिवार ने घर की सारी पूंजी खर्च कर दी, लेकिन उसकी जान नहीं बच सकी। अब उसकी पत्नी और पिता के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।

हाथ पड़ा काटना

सिलुआ डीसी में कार्यरत कर्मी अजय पाल काछी 11 केवी लाइन का फाल्ट सुधारने के लिए पोल पर चढ़ा था। करंट लगने से उसके हाथ और दोनो पैर झुलस गए। 5 अप्रेल को उसे साथी कर्मियों ने मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया। कर्मचारी का एक हाथ काटना पड़ा। पीड़ित की पत्नी और दो बच्चे हैं। अब इनकी परवरिश की परिवार के सामने मुश्किलें खड़ी हैं। क्रिस्टल कम्पनी ने कोई राहत नहीं दी।

दाहिना हाथ बुरी तरह झुलसा

शहर सम्भाग के अंतर्गत पदस्थ लाइन परिचालक महेंद्र पटेल घमापुर के पास लाइन शार्ट होने पर 8 फरवरी को सुधार कार्य कर रहा था। डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स में शार्ट सर्किट होने से उसका दाहिना हाथ बुरी तरह झुलस गया। घटना के बाद आनन-फानन में साथी कर्मियों ने निजी अस्पताल भेजा, लेकिन कोई भी राहत पीड़ित को नहीं मिली।

यह है स्थिति

03 लाख बिजली उपभोक्ता

400 ठेका कर्मी

300 नियमित कर्मी

182 फीडर

20 से 22 घटनाएं हर साल

यह समस्या

बिजली कर्मियों की कमी

आउट सोर्सिंग पर काम

तकनीकी उपकरणों का अभाव

सुधार के समय निगरानी नहीं

फ्यूज लगाने से झुलसा

ठेका कंपनी जिम्मेदार

सुधार कार्य के दौरान यदि कर्मचारी घायल होता है तो ठेका कम्पनी उसका पूरा इलाज कराएगी। यदि नहीं कराया जा रहा है तो शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी। मत्यु होने की स्थिति में पीड़ित परिवार को राशि देने का प्रावधान है।

-सुनील त्रिवेदी, अधीक्षण यंत्री

प्रतिनिधि बोले

सुरक्षा उपकरणों का अभाव बना हुआ है। बिजली कर्मियों के साथ लगातार घटनाएं हो रहीं है, लेकिन न तो इलाज मिल रहा है, न ही राहत राशि दी जा रही है।

-हरेंद्र श्रीवास्तव, तकनीकी कर्मचारी संघ



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