वेब सीरीज रिव्यू: हंटर- टूटेगा नहीं, तोड़ेगा
‘हंटर: टूटेगा नहीं, तोड़ेगा’ की कहानी
‘हंटर: टूटेगा नहीं, तोड़ेगा’ की कहानी के केंद्र में एसीपी विक्रम है। वह एक बेखौफ और बेधड़क पुलिस अधिकारी है। विक्रम लापता लोगों की गुत्थी सुलझाने में जुटा हुआ है। लेकिन उसकी मुश्किलें तब बढ़ जाती हैं, जब उसके ऊपर हत्या का आरोप लगता है। क्या एसीपी विक्रम इस आरोप से बरी हो पाएगा? सच क्या है? यह सब जानने के लिए आपको यह सीरीज देखनी होगी।
‘हंटर: टूटेगा नहीं, तोड़ेगा’ का ट्रेलर
‘हंटर: टूटेगा नहीं, तोड़ेगा’ का रिव्यू
प्रिंस धीमान और आलोक बत्रा के डायरेक्शन में बनी यह मिनी सीरीज सौरभ कटियाल के उपन्यास ‘द इनविजिबल वुमन’ पर आधारित है। शुरुआत में इसकी कहानी आपको अजीब लगती है, लेकिन जैसे-जैसे प्लॉट आगे बढ़ता है, 8 एपिसोड की यह सीरीज आपको बांधती है। सीरीज में हर एपिसोड की लंबाई 30-35 मिनट है। कहानी के केंद्र में एसीपी विक्रम है। वह एक अनाथालय की मालकिन लीना थॉमस (स्मिता जयकर) की वीभत्स हत्या के आरोप में फंस गया है और अब भाग रहा है। लीना खुद अपने बेटे डेविड (सिद्धार्थ खेर) के साथ बड़े पैमाने पर अंगों की तस्करी में शामिल थी। विक्रम रातों-रात अपराधी करार दे दिया जाता है, लेकिन क्या वह अपने नाम पर लगा यह बदनुमा दाग साफ कर पाएगा?
सीरीज में सुनील शेट्टी ने एसीपी विक्रम सिन्हा का लीड रोल प्ले किया है। वह वन-मैन आर्मी की तरह हैं। पूरी सीरीज उनके कंधों पर टिकी हुई है। एसीपी विक्रम एक नशेड़ी, शराबी और उत्पात मचाने वाला पुलिस अफसर है, लेकिन बावजूद इसके वह दयालु है। उसकी एक्स वाइफ स्वाति (बरखा बिष्ट) और सबसे करीबी सहयोगी इंस्पेक्टर साजिद (करणवीर शर्मा) के अलावा ऐसा कोई नहीं है, जो यह मानता है कि विक्रम निर्दोष है। ये दोनों विक्रम को न सिर्फ सपोर्ट करते हैं, बल्कि उससे कहते हैं कि वह सच्चाई को सबके सामने लाए। अपनी बेगुनाही साबित करने के मिशन पर विक्रम को दिव्या (ईशा देओल) मिलती है। वह एक रिपोर्टर है। विक्रम के साथ जुड़कर दिव्या अब इंस्पेक्टर हुड्डा (राहुल देव) से भिड़ जाती है।
इस सीरीज में मेन प्लॉट के साथ कई और कहानियां भी चलती हैं। ऐसी ही एक दिलचस्प कहानी है कि विक्रम के खास हैकर सिदेश (मिहिर आहूजा) की। सिदेश को पल्लवी (गार्गी सावंत) से प्यार है। दोनों की मुलाकात एक डेटिंग ऐप पर हुई है। मजेदार बात यह है कि दोनों हैकर हैं और एक-दूसरे के काम से काफी प्रभावित हैं। लेकिन सीरीज की कहानी में दोनों की प्रेम कहानी को ज्यादा जगह नहीं दी गई है और वो अपनी हैकिंग स्किल्स दिखाने में ही व्यस्त हैं।
‘हंटर’ सीरीज की कहानी कई जगहों पर बिखरने लगती है। हालांकि, इसके एक्शन सीन्स की कोरियोग्राफी जबरदस्त है। स्लोमोशन में गुंडे-बदमाशों की धुलाई अपीलिंग लगती है। सुनील शेट्टी के एक्शन और स्टंट बेजोड़ हैं। राहुल देव ने हरियाणवी पुलिसवाले हुड्डा की भूमिका में असर छोड़ा है। वह एक भ्रष्ट पुलिसवाला है, जिसके अपने बनाए नियम हैं। ईशा देओल ने भी अपना काम अच्छे से किया है, लेकिन उनके विग के कारण आपका ध्यान भटकता है। मिहिर आहूजा और गार्गी ने भी अपनी भूमिकाओं को बखूबी निभाया है। लेकिन उनके किरदारों को और बेहतर बनाया जा सकता था।
सीरीज में नेहा कक्कड़ का आइटम सॉन्ग ‘दइया दइया’ है। लेकिन यह ऐसा नहीं है जो लंबे समय तक आपके साथ रहे। फाइट सीन्स के दौरान बैकग्राउंड में ‘रफ्ता रफ्ता देखो आंख मेरी लड़ी है…’, ‘चाहे कोई मुझे जंगल कहे…’ जैसे पुराने गानों के रीप्राइज वर्जन सुनाई देते हैं, जो ‘दइया दइया’ से ज्यादा अच्छे लगते हैं।
क्यों देखें- ‘हंटर: टूटेगा नहीं, तोड़ेगा’ कुल मिलाकर एक ठेठ बॉलीवुड मसाला एक्शन फिल्म की तरह है। लेकिन इसका लचर स्क्रीनप्ले इसे बनने से पहले बिगाड़ देता है। यह वेब सीरीज तभी देखें, जब आपके पास खाली समय हो या फिर आप सुनील शेट्टी के फैन हों।