वेब सीरीज रिव्‍यू: राणा नायडू

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वेब सीरीज रिव्‍यू: राणा नायडू

वेब सीरीज रिव्‍यू: राणा नायडू

‘राणा नायडू’ वेब सीरीज की कहानी

राणा नायडू यानी राणा दग्‍गुबाती एक फिक्‍सर है। फिक्‍सर यानी उसका काम है बड़े और रसूखदार लोगों की जिंदगी में आई परेशानियों को दूर करना। खासकर सेलेब्‍स की जिंदगी। राणा इस काम में माहिर है। साम-दाम-दंड-भेद, वह इस काम में हर हथकंडा अपनाता है। राणा की एक बीवी है, दो बच्‍चे हैं। राणा की जिंदगी थोड़ी पेचीदा है, लेकिन अपनी रफ्तार में आगे बढ़ रही है। लेकिन इस बीच राणा के पिता नागा नायडू (वेंकटेश) को जेल से रिहाई मिलती है। अब दूसरों की जिंदगी को फिक्‍स करने में जुटा राणा खुद की‍ लाइफ में मची खलबली से जूझ रहा है। पिता के साथ उसका एक बीता हुआ कल है, जिसकी परछाई भी वह अपनी मौजूदा जिंदगी में नहीं रहने देना चाहता है।

‘राणा नायडू’ वेब सीरीज का रिव्‍यू

करण अंशुमन और सुपर्ण वर्मा की यह सीरीज अमेरिकी टीवी शो ‘रे डोनोवन’ का रीमेक है। क्राइम-थ्र‍िलर-एक्‍शन जॉनर की इन दिनों ओटीटी पर बढ़‍िया पकड़ है। ऐसे में यह सीरीज भी पहले एपिसोड से ही थ्र‍िल का अनुभव देती है। लेकिन 10वें एपिसोड में क्‍लाइमेक्‍स तक पहुंचते-पहुंचते स्‍क्रीनप्‍ले की कमियां आपको अखड़ने लगती हैं।

कहानी का लीड कैरेक्‍टर राणा नायडू अपने काम में माहिर है। ऐसी कोई समस्‍या नहीं, जिसका वह समाधान नहीं कर सकता। फिर चाहे किसी स्‍टार क्रिकेटर का स्‍पर्म चुरा लिया गया हो या एक बड़े बिजनसमैन की प्रेमिका का किसी दूसरे मर्द से चक्कर चल रहा हो, राणा के पास सबकुछ का हल है। उसकी अपनी एक टीम है, जिसमें लारा (लॉरेन रॉबिन्सन) और श्रीनि (आदित्य मेनन) अपने हुनर में पारंगत हैं। राणा के भाइयों में एक तेज (सुशांत सिंह) पार्किंसंस है, जो फिल्‍मों में स्टंट कॉर्डिनेटर है, जबकि दूसरा भाई जाफा (अभिषेक बनर्जी) एक दर्द भरे अतीत के साथ जी रहा है। राणा की पत्‍नी नैना (सुरवीन चावला) कभी टॉप की हीरोइन हुआ करती थी, लेकिन अब बच्चे और घर संभाल रही है।

‘राणा नायडू’ वेब सीरीज का ट्रेलर

राणा और उसकी फैमिली 15 साल पहले हैदराबाद से मुंबई आई है। राणा का बाप नागा नायडू (वेंकटेश) का भी एक अतीत है। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, एपिसोड दर एपिसोड बीते हुए कल से जुड़ी बातें सामने आती हैं। राणा को अपने बाप से चिढ़ है। उसे अपने पिता से खतरा भी महसूस होता है, इतना कि वह उसे मारने की भी प्‍लानिंग करता है। लेकिन हर मोर्चे पर चट्टान की तरह खड़ा राणा कहीं न कहीं अपने मुंहफट, धोखेबाज और झूठे बाप का सामना करने से बचता रहता है। एक मंत्री है ओबी महाजन (राजेश सैस) और एक है एक्शन मूवी स्टार प्रिंस रेड्डी (गौरव चोपड़ा), ये दोनों राणा के सबसे प्रमुख क्‍लाइंट्स हैं।

राणा नायडू के रूप में राणा दग्‍गुबाती प्रभावित करते हैं। गैर-हैदराबादियों को नागा का उच्चारण, तेलुगू में कही जाने वाली एक-दो लाइनें थोड़ी ड्रैमेटिक लग सकती है, लेकिन असल में यह हैदराबाद से मुंबई आए कैरेक्‍टर्स को अच्‍छे से स्‍थापित करती हैं। सीरीज में सेक्स, ड्रग्स, गालियां, अश्‍लील डायलॉग्‍स, बंदूक और गोलीबारी की भरमार है। लेकिन इन सब से आगे सीरीज की कहानी में बताने के लिए बहुत कुछ है। सीरीज कई मौकों पर थोड़ी बोझ‍िल होती है। लेकिन अलग-अलग किरदारों के डायनामिक्स को दिखाने में यह असरदार साबित होती है। राणा एक ऐसे आदमी का किरदार है, जो अपने पिता से ही नफरत करता है। उसके पिता को देखकर भी आप समझने लगते है कि नागा के लिए शायद बेटे और परिवार बाद में आते हैं। हालांकि, 15 साल जेल से निकलने के बाद वह सुधरने की बात कहता है।

पूरी सीरीज में हम राणा नायडू को अलग-अलग क्‍लाइंट्स की प्रॉब्‍लम सॉल्‍व करते हुए देखते हैं। लेकिन हर क्लाइंट कॉल मजेदार नहीं है। अगर राइटिंग टेबल पर इन क्‍लाइंट्स की कहानी को थोड़ा और दिलचस्‍प बनाया जाता तो यह सीरीज में थ्र‍िल ज्‍यादा होता।

सीरीज का पूरा फोकस राण दग्‍गुबाती और वेंटकेश के किरदार पर है। सीरीज में सभी साइड किरदारों में से जाफा की कहानी सबसे ज्‍यादा प्रभावित करती है। अभिषेक बनर्जी ने एक दर्द भरे अतीत में जी रहे शराबी लड़के के किरदार को बखूबी निभाया है। राणा दग्‍गुबाती पहले सीन से लेकर आख‍िर तक एक सुर में लगते हैं, जबकि वेंकटेश के किरदार में एक सरप्राइजिंग पंच है। आपको नहीं पता कि नागा आगे क्‍या करेगा। सीरीज में एक इच्‍छा अधूरी रह जाती है। बतौर दर्शक आप लारा और श्रीनि‍ की भी बैकस्टोरी देखना चाहते हैं, लेकिन मेकर्स ने इस पर ध्‍यान नहीं दिया। गौरव चोपड़ा ने सुपरस्‍टार प्रिंस के रोल में जान डाल दी है।

क्‍यों देखें- यदि आपने ‘रे डोनोवन’ देखी है तो यह सीरीज भले ही आपको पूरी तरह संतुष्‍ट नहीं कर पाए, लेकिन अच्‍छी जरूर लगेगी। अगर आपने अमेरिकी सीरीज नहीं देखी है, तो फिर यह आपको 10वें एप‍िसोड तक बांधकर जरूर रखेगी।