विशेष कोर्ट ने एमसीयू की जांच बंद करने की याचिका की खारिज, ईओडब्ल्यू को नए सिरे से जांच के आदेश | special court refused eow proposal for withdraw case | Patrika News

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विशेष कोर्ट ने एमसीयू की जांच बंद करने की याचिका की खारिज, ईओडब्ल्यू को नए सिरे से जांच के आदेश | special court refused eow proposal for withdraw case | Patrika News

-माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि में अवैध नियुक्तियों समेत भ्रष्टाचार के मामले की ईओडब्ल्यू ने की थी जांच
-कोर्ट ने जांच अधिकारी द्वारा अहम बिंदुओं की अनदेखी करने की कही बात
-पूर्व कुलपति बृजकिशोर कुठियाला समेत अन्य को बनाया गया था आरोपी

भोपाल

Published: April 16, 2022 09:30:01 pm

भोपाल. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में अवैध नियुक्तियों और भ्रष्टाचार के मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू द्वारा मामले की जांच बंद करने के लिए कोर्ट में पेश की गई याचिका को खारिज कर दिया है। विशेष न्यायाधीश अमित रंजन समाधिया ने कहा है कि अनुसंधान अधिकारी विश्वविद्यालय में हुई नियुक्तियों की फिर से जांच करें और मूल दस्तावेजों का मिलान संबंधित विश्वविद्यालयों से किया जाए। साथ ही भर्ती के संबंध मेें दस्तावेजों एवं नियमों के पालन की भी जांच की जाए। कोर्ट ने कहा, जांच के दौरान अन्य और साक्ष्य इकट़्ठा करने के साथ ही जांच रिपोर्ट अभिलेखागार में जमा कराई जाए। कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी ने सही तरीके से जांच नहीं की है। जांच के दौरान आपत्तिकर्ता ने इसकी शिकायत भी की थी। मालूम हो कि ईओडब्ल्यू ने वर्ष 2019 में पूर्व कुलपति बृज किशोर कुठियाला समेत 20 अन्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। इसके पहले कमलनाथ सरकार ने विवि में हुई अवैध नियुक्तियों और अवैधानिक खर्च की जांच के लिए राज्य सरकार ने 18 जनवरी 2019 को जांच समिति गठित की थी, जिसमें एम गोपाल रेड्डी अध्यक्षत तो संदीप दीक्षित और भूपेंद्र गुप्ता सदस्य थे। समिति ने सात मार्च 2019 को जांच प्रतिवेदन दिया। इस पर तत्कालीन कुलसचिव दीपेंद्र सिंह बघेल ने 11 अपे्रल 2019 को ईओडब्ल्यू में शिकायत की थी। इसमें वर्ष 2003 से 2018 तक की अवधि में हुई अवैध नियुक्तियों व अवैधानिक खर्च की विस्तृत जानकारी थी। ईओडब्ल्यू द़्वारा दर्ज की गई एफआइआर में18 लोगों की अवैध नियुक्तियों के साथ ही तत्कालीन कुलपति बृज किशोर कुठियाला द्वारा अनवाश्यक शिक्षण केंद्र खोलने और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं आरएसएस से जुड़ी संस्थाओं के ॅकार्यक्रम के लिए 21 लाख रुपए से अधिक राशि विवि के खाते से अवैध रूप से दिए जाने के आरोप प्रमुख थे।

विशेष कोर्ट ने एमसीयू की जांच बंद करने की याचिका की खारिज, ईओडब्ल्यू को नए सिरे से जांच के आदेश

कोर्ट ने कहा- कुठियाला पर लगे कई आरोपों की नहीं की जांच
-पूर्व कुलपति बृज किशोर कुठियाला से भोपाल, जयपुर, दिल्ली और वाराणसी यात्रा की राशि 28196 रुपए और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली में विवि द़्वारा जमा कराए गए 12218 रुपए यानी कुल 40484 रुपए की वसूली नहीं की गई। इस मामले की जांच नहीं की गई।
-पूर्व कुलपति द्वारा खरीदे गए 10200 रुपए के फिश एक्वेरियम की उपयोगिता की भी जांच अधूरी है।
-कुठियाला को विवि से दिए 1.17 लाख रुपए के लैपटॉप और 7100 रुपए के चार रिचार्जेबल सेल के मामले की जांच भी नहीं हुई, जबकि दो साल में लैपटॉप में 90 फीसदी नुकसान बताकर महज 13104 रुपए जमा करवाए गए थे। पुस्तकालय का भी 3842 रुपए बकाया है।
– कुठियाला ने आवासीय कार्यालय के लिए फर्नीचर, वाइन कैबिनेट समेत अन्य फर्नीचर खरीदा। अनुसंधान अधिकारी ने इस संबंध में पता नहीं किया कि कुलपति को अवासीय कार्यालय के लिए क्या सुविधाएं मिलती हैं?
-विवि से लिए गए आइफोन- 4 की जगह आइफोन 6 की राशि का समायोजन कराया गया। इसकी भी स्क्रीन टूटी हुई थी।
-विवि के खाते से कुठियाला ने पत्नी के साथ हवाई यात्रा के लिए 39600 रुपए दिए गए। दिल्ली में शराब की दो बोतलों का खर्च भी विवि के खाते से उठाया गया। हालांकि दो महीने बाद ये राशि जमा कराई गई, पर ईओडब्ल्यू ने पद के दुरुपयोग की जांच नहीं की।

ईओडब्ल्यू ने खात्मे के लिए दिए ये तर्क
-विश्वविद्यालय में अवैध निुयक्तियों के मामले में जिन लोगों पर आरोप लगे है, उनमें से कुछ लोगों के प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित होने से निष्क र्ष नहीं निकला।
-विसनखेड़ी स्थित विवि के नवीन परिसर के निर्माण में किसी भी तरह की अनियमिता सामने नहीं आई।
-अन्य आरोपों के मामले में सबूत नहीं मिलने की बात कही गई।
इधर कांग्रेस ने कोर्ट के फैसले का किया स्वागत
विशेष न्यायाधीश द्वारा माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि की जांच बंद करने की याचिका खारिज किए जाने के फैसले का स्वागत किया है। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि इस जांच के जारी रहने से सरकार को अपनी छवि सुधारने में मदद मिलेगी। कोर्ट का ये फैसला मील का पत्थर साबित होगा।

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