विशेषज्ञों ने कहा, पीएम गतिशक्ति योजना से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा

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विशेषज्ञों ने कहा, पीएम गतिशक्ति योजना से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा

नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा) मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की शुरुआत से वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा। साथ ही इससे विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा और देश के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण में मदद मिलेगी। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को देश में मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए 100 लाख करोड़ रुपये के पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान की शुरुआत की।

मोदी ने योजना की शुरूआत के अवसर पर कहा कि पीएम गतिशक्ति योजना का लक्ष्य लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी, कार्गो हैंडलिंग क्षमता बढ़ाना और कार्यान्वयन को तेज करना है।

इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आईआरएफ) के मानद अध्यक्ष के के कपिला ने कहा कि आईआरएफ मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के शुभारंभ का स्वागत करता है, क्योंकि यह देश के लिए काफी जरूरी था तथा इससे देश के लिए विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे में सुधार करने और उसमें तेजी लाने में मदद मिलेगी।

उन्होंने साथ ही कहा कि विभिन्न मंत्रालयों के बीच समन्वय की भी बहुत जरूरत है।

जे सागर एसोसिएट्स (जेएसए) के पार्टनर विष्णु सुदर्शन ने कहा कि गतिशक्ति का शुभारंभ आत्मनिर्भर भारत के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, क्योंकि यह महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला और लॉजिस्टिक के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सुधार लाएगा।

भारतीय व्यापार संवर्धन परिषद (टीपीसीआई) के अतिरिक्त महानिदेशक विजय कुमार गौबा ने कहा कि गतिशक्ति एक नये भारत की परिकल्पना की परिणति है।

उन्होंने कहा कि भू-स्थानिक डिजिटल मंच के माध्यम से राज्यों, स्थानीय निकायों, कॉरपोरेट के एकीकरण के साथ-साथ रेल, सड़क, बंदरगाहों और नागरिक उड्डयन के बीच सहज संपर्क से रोजगार सृजन के अलावा विनिर्माण एवं निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

टेक्समैको रेल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड के उप प्रबंध निदेशक आशीष गुप्ता ने कहा कि यह देश में विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के सुचारू और निर्बाध निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम है।

उन्होंने कहा, “एक केंद्रीय पोर्टल के रूप में संस्थागत दृष्टिकोण से लागत में कटौती करने, आपूर्ति श्रृंखलाओं को एक बड़ा प्रोत्साहन देने और लोगों एवं सामानों की आवाजाही के लिए एक अधिक एकीकृत दृष्टिकोण प्रदान करने में मदद मिलेगी।”

डेलॉयट इंडिया में पार्टनर और लीडर (सरकार और सार्वजनिक सेवाएं) अरिंदम गुहा ने कहा कि गतिशक्ति जीडीपी वृद्धि को तेज करने के लिए बुनियादी ढांचे के निवेश को प्राथमिकता देने की एक और पहल है।

उन्होंने कहा कि लॉजिस्टिक की कुल लागत पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है और “शहरी विकास, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कई बुनियादी ढांचा परियोजनाएं राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आती हैं, यह देखा जाना बाकी है कि भारत सरकार राज्यों को इस पहल में शामिल होने के लिए कैसे प्रोत्साहित करती है।”

इसी तरह के विचार साझा करते हुए, फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ) के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि इससे न केवल विनिर्माण के संबंध में बल्कि भारत से निर्यात के संबंध में भी देश की उत्पादन क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा की स्थिति में सुधार होगा।

उन्होंने कहा, “लंबे समय से, हमारे बुनियादी ढांचे क्षेत्र में मंत्रालयों के बीच होने वाली देरी, हितधारकों के कई स्तरों और अकेले काम करने की संस्कृति देखी जा रही थी।”

टाटा प्रोजेक्ट्स के मुख्य रणनीति अधिकारी हिमांशु चतुर्वेदी ने कहा कि गतिशक्ति बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए उत्पादकता बढ़ाने वाली एक महत्वपूर्ण पहल है।

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