विप्रो के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन रिशद प्रेमजी पर भी मंदी का असर! सैलरी घटकर रह गई आधी

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विप्रो के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन रिशद प्रेमजी पर भी मंदी का असर! सैलरी घटकर रह गई आधी

विप्रो के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन रिशद प्रेमजी पर भी मंदी का असर! सैलरी घटकर रह गई आधी

नई दिल्ली: देश की बड़ी आईटी कंपनियों में शामिल विप्रो (Wipro) के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन रिशद प्रेमजी (Rishad Premji) को पिछले साल आधा वेतन मिला। रिशद प्रेमजी कंपनी के फाउंडर अजीम प्रेमजी के बेटे हैं। यूएस सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (US Securities and Exchange Commission) को दी गई जानकारी में कंपनी ने यह खुलासा किया है। इसके मुताबिक प्रेमजी ने फाइनेंशियल ईयर 2023 में अपने कंपनसेशन में वॉलंटरी कट लिया है। पिछले वर्ष उन्हें 951,353 डॉलर (करीब 7,87,13,329 रुपये ) मिले जबकि फाइनेंशियल ईयर 2022 में उन्हें 1,819,022 डॉलर (करीब 15,05,02,787 रुपये) का कंपनसेशन मिला था। इस तरह साल 2022 की तुलना में उन्हें करीब 50 फीसदी (8,67,669) कम कंपनसेशन मिला। प्रेमजी को मिले पैकेज में 861,620 डॉलर सैलरी और भत्ते, 74,343 डॉलर लॉन्ग टर्म कंपनसेशन बेनिफिट्स और 15,390 डॉलर की दूसरी इनकम शामिल है।

कंपनी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक प्रेमजी के कंपनसेशन में कैश बोनस शामिल है लेकिन फाइनेंशियल ईयर 2023 में उन्हें कोई स्टॉक ऑप्शंस नहीं दिया गया। फाइलिंग के मुताबिक उन्हें पिछले साल कोई कमीशन नहीं दिया गया क्योंकि कंपनी का इंक्रिमेंटल कंसोलिडेटेड नेट प्रॉफिट निगेटिव में रहा था। रिशद प्रेमजी 2007 में कंपनी से जुड़े थे और 2019 में कंपनी के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बने थे। उनका पांच साल का कार्यकाल 20 जुलाई, 2024 तक है। इससे पहले वह कंपनी में चीफ स्ट्रैजी अधिकारी रह चुके थे।

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कंपनी का रिजल्ट

चौथी तिमाही में विप्रो का नेट प्रॉफिट 0.4 परसेंट की गिरावट के साथ 3,074 करोड़ रुपये रहा। पिछले साल समान तिमाही में यह 3,087 करोड़ रुपये रहा था। हालांकि इस दौरान कंपनी का ऑपरेशंस से रेवेन्यू 11 परसेंट चढ़कर 23,190 करोड़ रुपये रहा। अमेरिका में बैंकिंग संकट गहराने से भारत की आईटी कंपनियों के भी प्रभावित होने की आशंका है। साथ ही यूरोप में भी मंदी की आहट सुनाई देने लगी है। यूरोप की सबसे बड़ी इकॉनमी जर्मनी में लगातार दूसरी तिमाही में जीडीपी में गिरावट आई है। लगातार दो तिमाही में गिरावट को ही मंदी कहा जाता है। एनालिस्ट्स का कहना है कि अगर बैंकिंग संकट गहराता है तो इसका सबसे ज्यादा असर टीसीएस (TCS), इन्फोसिस (Infosys), विप्रो और एलटीआईमाइंडट्री (LITMindtree) पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है। इसकी वजह यह है कि इन कंपनियों का अमेरिका के फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के साथ सबसे ज्यादा बिजनस है।

आईटी कंसल्टेंसी रिसर्च फर्म Everest Group के फाउंडर Peter Bendor-Samuel के मुताबिक टीसीएस, इनफोसिस, विप्रो और माइंडट्री का अपने बैंकिंग वर्टिकल के जरिए नॉर्थ अमेरिका के रीजनल बैंकों में एक्सपोजर है। बैंकिंग संकट के कारण शॉर्ट टर्म में उनके बीएफएसआई ग्रोथ पर असर पड़ेगा। विप्रो का 35 फीसदी रेवेन्यू बीएफएसआई से है। आईटी सेक्टर के दिग्गज और एचसीएल टेक्नोलॉजीज के पूर्व सीईओ विनीत नायर ने कहा कि यह बता पाना मुश्किल है कि आगे क्या होगा, लेकिन अनिश्चितता के माहौल से नए प्रोजेक्ट पर असर पड़ेगा। इससे कॉस्ट प्रेशर बढ़ेगा।

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