विधान परिषद चुनाव: राज्यसभा की तरह विधान परिषद चुनाव के भी निर्विरोध होने के आसार, समझिए पूरी गणित

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विधान परिषद चुनाव: राज्यसभा की तरह विधान परिषद चुनाव के भी निर्विरोध होने के आसार, समझिए पूरी गणित

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में विधानसभा और विधान परिषद के चुनाव बीते अभी चंद महीने ही हुए हैं कि जून का महीना चुनावों का महीना बनने जा रहा है। उत्तर प्रदेश की राज्यसभा की 11 सीटों पर दस जून को मतदान होगा। इसके बाद विधान परिषद की खाली हो रही 13 सीटों के लिए 20 जून को मतदान होगा। इसके चार दिन बाद ही आजमगढ़ तथा रामपुर की खाली लोकसभा सीट पर 24 जून को होने वाले उप चुनाव के लिए मतदान होगा। खास बात यह कि राज्यसभा की तरह ही यूपी विधान परिषद के चुनाव के भी निर्विरोध होने के आसार है।

देश के 15 राज्यों में होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए 10 जून को वोटिंग होनी है। इनमें सबसे ज्यादा 11 सीटें यूपी से खाली हो रही हैं। राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं। इनमें से 238 सदस्य चुने जाते हैं, जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नामित करते हैं। किस राज्य से कितने राज्यसभा सदस्य होंगे, ये वहां की आबादी के आधार पर तय होता है। जैसे, सबसे ज्यादा आबादी उत्तर प्रदेश की है, तो वहां 31 सीटें हैं। कई छोटे-छोटे राज्यों में एक-एक ही सीट है।

यूपी में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के 273 विधायक हैं। यानी, बीजेपी 8 सीट जीत सकती है। वहीं, सपा और आरएलडी के पास 125 सीट हैं तो बाकी की तीन सीटें इनके पास जा सकती हैं।

अब बात करते हैं यूपी में 20 जून को विधान परिषद की 13 सीटों पर होने वाले मतदान की। गुरुवार को इसकी अधिसूचना जारी हो गई है। अब नामांकन शुरू हो जाएंगे। नामांकन 9 जून तक होंगे। नामांकन पत्रों की जांच 10 जून व नाम वापसी 13 जून को होगी। 20 जून को सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक मतदान होगा। प्रदेश में विधान परिषद की 13 सीटें छह जुलाई को रिक्त हो रही हैं। इनमें भी सर्वाधिक छह सीटें समाजवादी पार्टी, तीन सीट भाजपा, तीन सीट बसपा तथा एक सीट कांग्रेस की है। एमएलसी की एक सीट के लिए 29 विधायकों के मतों की जरूरत है। इस लिहाज से एमएलसी का चुनाव भाजपा और सपा के बीच ही सिमट जाएगा। विधायकों की संख्या बल के हिसाब से भाजपा गठबंधन 9 और सपा गठबंधन चार सीटों पर जीत दर्ज कर लेगा।

4 सीटों पर सपा की जीत तय
यूपी की जिन 13 विधान परिषद सीटों पर चुनाव होना है उसमें 4 सीटों पर सपा जीत हासिल कर सकती है। विधान परिषद में भी पार्टी अपने गठबंधन के एक सहयोगी दल के एक सदस्य को उम्मीदवार बना सकती है। इसके अलावा सपा हाल में सदस्यता खत्म होने वाले एक पूर्व एमएलसी को फिर से अपना उम्मीदवार बना सकती है। वहीं विधानसभा चुनाव से पहले सपा जॉइन करने वाले एक बड़े नेता को भी विधान परिषद भेजे जाने की चर्चा है।

6 जुलाई को खत्म होगा कार्यकाल
वेस्टर्न यूपी के अल्पसंख्यक समुदाय से किसी एक नेता को सपा अपना उम्मीदवार बना सकती है। हालांकि राज्यसभा की तरह ही विधान परिषद में भी सपा किसी भी यादव समाज के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाने पर फिलहाल कोई विचार नहीं कर रही है।

बता दें कि यूपी में अभी विधान परिषद में बीजेपी के 66 सदस्य हैं, जबकि सपा के 11 सदस्य हैं। वहीं 6 जुलाई को विधान परिषद के 13 सदस्यों का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। जिनके लिए 20 जून को चुनाव प्रस्तावित है। जिन 13 सीटों पर चुनाव होना है, उसमें 9 पर बीजेपी और 4 सपा जीत दर्ज कर सकती है। विधान परिषद में एक सीट जीतने के लिए 31 सदस्यों की जरूरत होगी।

सिर्फ 6 राज्यों में है विधानपरिषद
देश के सभी राज्यों में जहां विधानसभा का अस्तित्व है। वहीं दूसरी ओर विधान परिषद देश के 6 राज्यों में ही है। जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक शामिल है।

कैसे चुने जाते हैं विधान परिषद के सदस्य
विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल छह साल के लिए होता है। चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 30 साल उम्र होनी चाहिए। एक तिहाई सदस्यों को विधायक चुनते हैं। इसके अलावा एक तिहाई सदस्यों को नगर निगम, नगरपालिका, जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के सदस्य चुनते हैं। वहीं, 1/12 सदस्यों को शिक्षक और 1/12 सदस्यों को रजिस्टर्ड ग्रैजुएट चुनते हैं। यूपी में विधान परिषद के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं। वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य (BDC) और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि चुनते हैं। 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं। इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती हैं।

विधानपरिषद की सीटों का गुणा-गणित जानिए
विधान परिषद में एक निश्चित संख्या तक सदस्य होते हैं। विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए। उदाहरण के तौर पर समझिए यूपी में 403 विधानसभा सदस्य हैं तो यूपी विधान परिषद में 134 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं। इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना जरूरी है। हालांकि एमएलसी का दर्जा विधायक के ही बराबर होता है।

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