विदेश के सपने दिखा रकम ऐंठने वाली निकली ‘बड़ी कंपनी’
पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया है कि गैंग के मास्टरमाइंड खजूरी खास निवासी मोहम्मद खालिद और डिफेंस कॉलोनी निवासी अंजलि है। ये दोनों नाम बदल-बदल कर कंपनियां खोलते हैं और अपने नाम भी बदलते रहते हैं। इनके शिकार दिल्ली-एनसीआर के अलावा दूसरे राज्यों के विदेश जाने की चाहत रखने वाले युवा भी हुए हैं। क्राइम ब्रांच फिलहाल पूरे गैंग की तह तक जाने में जुटी हुई है।
फर्जी आधार पर रेंट एग्रीमेंट
आरोपी किसी अनजान शख्स के आधार कार्ड का जुगाड़ करते थे। इस पर अपने गैंग के मेंबर का फोटो लगाकर रंगीन फोटोकॉपी निकाल लेते थे। इसके जरिए रेंट एग्रीमेंट और पुलिस वेरीफिकेशन करवाते थे। पुलिस की तरफ से इन आधार कार्ड की असलियत जाने बिना वेरीफिकेशन करने की बात भी सामने आई है। ऑफिस को शानदार बनाया जाता था, ताकि वहां आने वाले इंप्रेस हो सके।
ऐसे बिछाते थे ठगी का जाल
सोशल मीडिया पर विदेश भेजने के लिए ऐड करते हैं। सोशल मीडिया पर ही नौकरी के लिए कई ग्रुप बने हुए हैं, जहां विदेश जाने के इच्छुक युवक अपने फोन नंबर लिख देते हैं। इन सबसे कथित कंपनी के टेलिकॉलर बात करते हैं और उन्हें विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा दिया जाता है। वीजा दिलाने और जाने के लिए हवाई टिकट मुहैया कराने के लिए करीब एक लाख रुपये की डिमांड की जाती।
पैसे ऐंठ ऑफिस-फोन करते बंद
आरोपी तय रकम का बड़ा हिस्सा वीजा मिलने के बाद देने की बात करते थे। कुछ पीड़ितों को वर्किंग वीजा के बजाय टूरिस्ट वीजा दिला देते थे, ताकि दूसरे पीड़ितों पर भरोसा जम सके। इसके बाद सभी पीड़ितों को एक दिन बुलाते। सभी से इसी दिन कैश में बाकी रकम लेते थे। फर्जी वीजा और कैंसल एयर टिकट पकड़ा देते। रकम लेकर फरार हो जाते।
10 बैंक खातों का इस्तेमाल
रकम को ट्रांसफर करवाने के लिए किसी दूसरे शख्स का अकाउंट नंबर देते थे। दस खातों का खुलासा हुआ है। इन अकाउंट में पैसा जमा होने के बाद फिर अपने खाते में ट्रांसफर करवाते थे। गाजियाबाद के कौशांबी थाने में 28 अगस्त 2020 को एक केस दर्ज हुआ था। गैंग के फरमान और अनिल पकड़े गए थे। पीड़ितों ने कई शिकायतें अलग-अलग थानों में की थी, लेकिन सुनवाई नहीं हुई।