विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के बीच तेल-तिलहनों के भाव चढ़े

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विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के बीच तेल-तिलहनों के भाव चढ़े

विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के बीच तेल-तिलहनों के भाव चढ़े

नयी दिल्ली, 14 दिसंबर (भाषा) मलेशिया एक्सचेंज में तेजी के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों, सोयाबीन, मूंगफली तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ), बिनौला और पामोलीन तेल कीमतों में तेजी का रुख दिखाई दिया। सस्ते आयातित तेलों के मुकाबले देशी तिलहनों की पेराई की लागत अधिक बैठने से देशी तेल-तिलहन कीमतों में बढ़त कायम रही।

मलेशिया एक्सचेंज में डेढ़ प्रतिशत की तेजी रही और शिकॉगो एक्सचेंज फिलहाल लगभग 0.75 प्रतिशत नीचे चल रहा है।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सरकार को इस तथ्य की ओर ध्यान देना होगा कि खरीफ के अधिकांश देशी तेल-तिलहन (मूंगफली, बिनौला, कपास नरमा, सोयाबीन) नवंबर में मंडियों में आ जाते हैं और ऐसे में जब देश में तिलहन उत्पादन भी बढ़ रहा हो तो आयात कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। यह अच्छा संकेत नहीं है और इसका हल किया जाना जरूरी है।

सूत्रों ने कहा कि आयातित सूरजमुखी और सोयाबीन के रिफाइंड तेल का थोक भाव हमें लगभग 110 रुपये लीटर बैठता है। सारे खर्च जोड़ने के बाद इन दोनों ही तेलों का खुदरा बिक्री भाव 130-135 रुपये लीटर से अधिक नहीं होना चाहिये। अब सरकार अपने सूत्रों की मदद से बाजार में बिकने वाले इन तेलों के भाव की जानकारी ले तो पूरी तस्वीर साफ हो जायेगी कि कैसे ये तेल मनमानी कीमतों पर बेचा जा रहा है।

सूत्रों ने कहा कि जिस देश में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 60 प्रतिशत खाद्य तेलों का आयात किया जाता हो, वहां सोयाबीन जैसे तिलहनों का स्टॉक कैसे बढ़ रहा है? इसका साफ मतलब है कि सस्ते आयात के आगे देशी तेल-तिलहन मंडियों में खप नहीं पा रहे हैं। इस ओर तत्काल ध्यान देते हुए आयातित खाद्य तेलों पर आयात शुल्क लगाने की व्यवस्था की जानी चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि देश को आयात पर निर्भर होने के बजाय खुद का तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने से ही इस उलझन से मुक्ति मिल सकती है। इसकी सबसे अधिक जिम्मेदारी तो तेल संगठनों की है कि वे समय रहते सरकार को वस्तुस्थिति से अवगत कराये। सूत्रों ने कहा कि इन तेल संगठनों द्वारा सरकार को सस्ते आयात की मार से कराह रहे तेल उद्योग, किसानों की परेशानियों से भी अवगत कराना और उससे निकलने की सही राह सुझाना चाहिये। विदेशी आयातित तेलों के भाव लगभग पांच महीने से टूटे पड़े हैं और तेल संगठनों को सरकार से, सस्ते आयातित तेल के कारण देशी तेल- तिलहन किसानों, तेल उद्योग की भारी परेशानियों और उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिलने की समस्या को लेकर चर्चा करनी चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि जब खाद्य तेलों के दाम बढ़ते हैं तो सभी आयात शुल्क में राहत दिये जाने की मांग करने लगते हैं पर पिछले लगभग पांच महीनों से आयातित खाद्य तेलों के दाम टूटे हुए हैं, तो यह चर्चा होनी चाहिए कि इससे तेल-तिलहन उत्पादन का भविष्य प्रभावित हो रहा है, किसान और तेल उद्योग बुरी हालत में है तथा उपभोक्ताओं को विशेष राहत नहीं मिल रही है।

सूत्रों ने कहा कि हालांकि बिनौला के मंडी के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक हैं पर किसानों को पिछले साल बिनौला और सोयाबीन के लिए अधिक कीमत नहीं मिली थी। इसके अलावा किसानों को इस बार इन बीजों की अधिक कीमत में खरीद करनी पड़ी थी और इसलिए वे नीचे भाव पर बिक्री के लिए बाजार में कम फसल ला रहे हैं जिससे तेल मिलों का संचालन प्रभावित है। सस्ते आयातित तेल के रहते हुए सरसों, बिनौला, सोयाबीन और मूंगफली जैसे तिलहनों की पेराई में मिल वालों को भारी नुकसान है। वे दुधारी तलवार पर चल रहे हैं। मिल न चलायें तो उन्हें नुकसान और चलायें तो बिजली, पानी, वेतन, तमाम अन्य खर्च का नुकसान। इन सबके उपर सस्ते आयातित तेल के सामने उनके अधिक लागत वाले देशी तेलों के लिवाल कम हैं।

सूत्रों ने कहा कि सरकार को कुछ ऐसा कदम उठाना होगा जिससे आयात कम हो, किसानों और उपभोक्ताओं को राहत मिले। सस्ते खाद्य तेलों के कारण बिनौला खल महंगा होता जा रहा है।

बुधवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,035-7,085 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,460-6,520 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,150 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,435-2,700 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,050 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,130-2,260 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,190-2,315 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,400 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,650 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 11,600 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 9,250 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 5,525-5,625 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 5,335-5,385 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।

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