वायरल फीवर पर एक्शन में सीएम नीतीश, कोरोना महामारी के बीच पटना में स्वाइन फ्लू ने भी दी दस्तक

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वायरल फीवर पर एक्शन में सीएम नीतीश, कोरोना महामारी के बीच पटना में स्वाइन फ्लू ने भी दी दस्तक

हाइलाइट्स

  • PMCH और NMCH में बच्चो के लिए बेड और ICU बढ़ाने का फैसला
  • पटना एम्स में भी 60 बेड में से 56 पर पीड़ित बच्चों का इलाज जारी
  • राज्य में एक सप्ताह के भीतर बढ़ी है बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या
  • जांच में अभी तक कहीं से किसी बच्चे में नहीं मिला है कोरोना का लक्षण

पटना।
बिहार में तेजी से पांव पसारते वायरल बुखार को लेकर एक्शन में आए मुख्यमंत्री नीतीश ने शनिवार को समीक्षा बैठक कर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से पूरी स्थिति की जानकारी ली है। सीएम के इस बैठक में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय भी मौजूद रहे। बता दें कि वायरल बुखार की चपेट में अबतक कई बच्चे आ चुके हैं जिनमें से कई को चिंताजनक स्थिति में अस्पताल में एडमिट कराया गया है।

बिहार में तेजी से पांव पसार रहे वायरल बुखार की वजह से पीकू और नीकु ही नही बल्कि जनरल वार्ड भी बीमार बच्चों से भर चुके हैं। बीमार हो रहे बच्चों की संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (PMCH) में बच्चो के लिए नीकु के 20 बेड और NMCH में 42 बेड और बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसके अलावा पटना एम्स में भी बच्चों के लिए 60 बेड है जिनमें से 56 पर वायरल फीवर से पीड़ित बच्चों का इलाज चल रहा है।

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना के संभावित तीसरी लहर को देखते हुए पहले से ही तैयारी की जा रही थी। सुबे के तमाम अस्पतालों में बच्चों के लिए बेड की संख्या बढ़ाने के साथ आईसीयू भी तैयार की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जरूरत के अनुसार बेड और आईसीयू की संख्या को बढ़ाने की व्यवस्था भी की जा रही है। बिहार में जिस तेजी से वायरल बुखार फैल रहा है उसी तेजी से बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। राज्य के सभी अस्पतालों में बीमार बच्चों के भर्ती होने की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने शुक्रवार को कहा था कि एक सप्ताह से बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ी है, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच और जरूरी दवाओं की समुचित व्यवस्था की गई है। अस्पतालों में डॉक्टरों को बुखार से पीड़ित बच्चों को तत्काल बेहतर चिकित्सकीय सुविधा सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया गया है। मंगल पांडेय ने कहा कि यह एक तरह से वायरल है और इस बात की पुष्टि जांच में आ चुकी है। उन्होंने बताया था कि जांच में कहीं से कोई कोरोना का लक्षण प्राप्त नहीं हुआ है। इस मामले को लेकर निजी अस्पतालों से भी संपर्क किया जा रहा है, ताकि पीड़ित बच्चों का पता चल सके और उनका त्वरित इलाज हो सके।

पटना के एक निजी अस्पताल में पिछले ढ़ाई महीने के दौरान स्वाइन फ्लू के 9 मरीज भर्ती कराए गए थे। जिनमें से शुक्रवार को तीन मरीजों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि की गई है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शुक्रवार को ही अस्पताल पहुंचकर मरीजों की जानकारी ली और विभाग को अलर्ट कर दिया है। दरअसल H-1 N-1 वायरस के कारण फैलने वाले स्वाइन फ्लू से पीड़ित व्यक्ति में मौसमी सर्दी-जुकाम जैसे ही लक्षण होते हैं। इसमें लोगों के नाक से पानी बहना या नाक बंद हो जाना, गले में खराश, सर्दी-खांसी, बुखार, सिरदर्द, शरीर दर्द, थकान, ठंड लगना, पेट दर्द और कभी-कभी दस्त उल्टी आने जैसी शिकायत होती है।

स्वाइन फ्लू से सबसे अधिक खतरा कम उम्र के लोग, छोटे बच्चों और गर्भवती महिलाओं को होता है। स्वाइन फ्लू का संक्रमण लगभग कोरोना वायरस की तरह ही मरीजों के खांसने, छींकने और बोलते समय मुँह से निकलने वाले ड्रॉपलेट से हो सकता है। स्वाइन फ्लू का मरीज भी अगर मुंह या नाक पर हाथ रखने के बाद किसी चीज को छूता है, उस वस्तु को अगर सामान्य व्यक्ति छू ले तो स्वाइन फ्लू का वायरस उसे भी अपनी चपेट में ले लेता है।

डॉक्टरों के अनुसार कोविड के नए लक्षणों में पेट दर्द, उल्टी, दस्त जैसे लक्षण देखने को मिल रहे है। बच्चों में इस तरह के लक्षण पाए जाने पर फौरन किसी डॉक्टर से संपर्क करें। बाहर से कोई भी सामान लाने पर उन्हे बिना सैनिटाइज किए इस्तेमाल ना करें। बच्चों को आइसक्रीम, कोल्ड ड्रिंक, चॉकलेट बिल्कुल ही न दें बल्कि उन्हे हेल्दी फूड डाइट में हरी सब्जी, फल वगैरह खिलाएं। आसपास साफ सफाई का ध्यान रखें और बच्चे को कफ, खांसी, जुकाम होने पर बेसिक इलाज शुरू कर दें अगर फिर भी सुधार नहीं होता है तो डॉक्टर से संपर्क करें।

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