वर्ष 1974 से ही लड़खड़ाया है बिहार विवि का सत्र

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वर्ष 1974 से ही लड़खड़ाया है बिहार विवि का सत्र

वर्ष 1974 से ही लड़खड़ाया है बिहार विवि का सत्र

मुजफ्फपुर, वरीय संवाददाता

बीआरए बिहार विवि का सत्र वर्ष 1974 से ही लड़खड़ाया हुआ है। बिहार विवि के पुराने शिक्षकों व सिंडिकेट सदस्यों का कहना है कि उस समय हुए छात्र आंदोलन के बाद जो सत्र बेपटरी हुआ, वह कभी पटरी पर नहीं लौट सका।

बिहार विवि के सिंडिकेट सदस्य हरेंद्र कुमार ने बताया कि बिहार विवि की स्थापना वर्ष 1952 में हुई थी। वर्ष 1974 में छात्र आंदोलन के बाद विवि का सत्र लड़खड़ाना शुरू हो गया और 1977 के बाद सत्र देर होना शुरू हो गया। इसके बाद लगातार सत्र लेट रहा। इसे ठीक करने के लिए कभी कोई गंभीर प्रयास नहीं हुआ। विवि प्रशासन छात्रों की इस मूल समस्या की तरफ हमेशा उदासीन रहा। बताया कि बिहार विवि में कुछ ऐसे परीक्षा नियंत्रक हुए जिन्होंने अपने समय कोई परीक्षा ली ही नहीं। इस बीच वर्ष 2017 में विवि के सत्र को जीरो सेशन कर दिया गया। इसके बावजूद सत्र नियमित नहीं हो सका। एक अन्य सिंडिकेट के सदस्य धनंजय कुमार सिंह ने बताया कि बिहार विवि के सत्र को नियमित करने के लिए कभी कोई गंभीर प्रयास नहीं हुआ। सिंडिकेट की बैठक में इसको लेकर आवाज भी उठाई गई, लेकिन कुछ नहीं हुआ है। वहीं, विवि के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष व पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रो. मनोज कुमार ने कहा कि वह जब पढ़ते थे तब भी सत्र दो वर्ष देर था। हालांकि, वर्ष 2019 में जब वह परीक्षा नियंत्रक के पद पर थे तब सत्र को पटरी पर लाने की कोशिश की थी।

कंप्यूटारइजेशन के लिए वर्ष 2012 में आयी थी एजेंसी

परीक्षा विभाग को कंप्यूटराइज्ड करने के लिए वर्ष 2012 में तत्कालीन कुलपति डॉ. विमल कुमार ने एक निजी एजेंसी से करार किया था। लेकिन, सफल नहीं हो सका। कंप्यूटराइजेशन के लिए 150 कंप्यूटर मंगाए गए थे। एजेंसी ने एक परीक्षा कराकर बीच में काम छोड़ दिया। एजेंसी को लेकर काफी विवाद भी हुआ। मामला कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट के आदेश से एजेंसी को डेढ़ करोड़ का भुगतान हुआ। इसके बाद वर्ष 2015 में तत्कालीन कुलपति पंडित पलांडे के समय आउटसोर्सिंग पर कंप्यूटर ऑपरेटर रखकर परीक्षा को कंप्यूटरीकृत करने की कोशिश की गई। इसके बाद वर्ष 2017 में सभी आउटसोर्सिंग के कर्मचारी को हटा दिया गया।

जीरो सेशन में नहीं हुई थी एक भी परीक्षा :

बिहार विवि में वर्ष 2017 में सत्र को जीरो सेशन कर दिया गया था। जीरो सेशन में विवि में एक भी परीक्षा नहीं हुई। इसके बाद वर्ष 2018 में जब परीक्षाएं शुरू हुई तो भी सत्र नियमित नहीं रहा। सत्र 2018-21 के छात्रों की परीक्षा और रिजल्ट इस वर्ष जारी हुआ है। वर्ष 2017-20 के छात्रों की परीक्षा भी एक वर्ष लेट रही। मामले में तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक डॉ. ओपी रमण ने बताया कि उस समय जहां से प्रश्नपत्र आना था, वहां से इसे भेजने से इनकार कर दिया था। इस कारण उस वर्ष कोई परीक्षा नहीं हो सकी थी।

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