वन्यजीव गणना 16 मई से | Wildlife census from May 16 | Patrika News
एक बार फिर राज्य का वन विभाग वन्यजीवों की गणना के लिए तैयार है। हालांकि कोविड का असर इस बार वन्यजीव गणना पर देखने को मिलेगा लेकिन विभाग इसकी तैयारियों में जुट गया है। आगामी 16 मई को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वन्यजीवों की गणना शुरू होगी।
जयपुर
Published: May 11, 2022 08:18:33 pm
17 मई सुबह आठ बजे तक होगी गणना
वॉटर ***** पद्धति से होगी वन्यजीवों की गणना
वन विभाग कर रहा है तैयारियां
37 प्रजातियों के बिग कैट, बड्र्स और रेप्टाइल्स की होगी गणना
जयपुर। एक बार फिर राज्य का वन विभाग वन्यजीवों की गणना के लिए तैयार है। हालांकि कोविड का असर इस बार वन्यजीव गणना पर देखने को मिलेगा लेकिन विभाग इसकी तैयारियों में जुट गया है। आगामी 16 मई को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वन्यजीवों की गणना शुरू होगी। 16 मई को शुरू होने वाली गणना अगले 24 घंटे तक चलेगी। जानकारी के मुताबिक वन्यजीव बहुल क्षेत्रों में पानी की उपलब्धतानुसार 16 मई को मुख्य जलबिन्दु केन्द्रों पर वन्यजीव गणना होगी। विभाग ने वन्यजीव गणना के लिए जलबिन्दु केन्द्रों का आंकलन शुरू कर दिया है। ऐसे वॉटर हॉल्स जहां पर अधिक संख्या में विभिन्न प्रजाति के वन्यजीव आने की संभावना हैं वहां पर कैमरा ट्रेप लगाने की तैयारी की जा रही है।
दिया जाएगी ऑनलाइन ट्रेनिंग
वन्यजीव गणना में शामिल होने वाले कार्मिकों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जाएगी। स्क्रूटनिंग में ही साथ आए लोगों को अलग-अलग दल में शामिल किया जाएगा, जिससे संक्रमण का खतरा न हो। कार्मिकों को ट्रेनिंग भी ऑनलाइन ही दी जाएगी।
ऐसे की जाती है गणना
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को वन्यजीव गणना इसलिए करवाई जाती है क्योंकि रात को रोशनी अधिक रहती है। अभयारण्यों और जंगलों में मचान इस तरह से बनाए जाते हैं कि उनसे वन्यजीव डिस्टर्ब नहीं हो।
पैंथर की गणना मुख्यरूप से दो तरीके से की जाती है। एक वाटर गणना व दूसरी प्रत्यक्ष गणना। प्लास्ट ऑफ पेरिस से पैंथर का पगमार्ग लिया जाता है क्योंकि वह बदलता नहीं है। एक्सपर्ट के अनुसार पैंथर के पीछे वाले बाएं पैर का निशान फ्रेम में लिया जाता है। उसके पैर और अंगुली का नाप लिया जाता है। वहीं सांभर की गणना प्रत्यक्ष होती है। यह वॉटर बॉडीज पर आते हैं। पानी पीने हैं, पानी में बैठते हैं। पानी के अलावा कीचड़ वाले स्थान पर भी जाते हैं, ऐसे में वाटर गणना के अलावा वहां भी नजर रखी जाती है। इसी प्रकार चीतल, रोजड़ा आदि की गणना हेडकाउंटिंग से की जाती है। इसमें यह माना जाता है कि वन्यजीव 24 घंटे के अंदर पानी के पास आएगा। ऐसे में मचान से गणना करने वाली टीम को वह जरूर दिखेगा और उसकी गणना हो जाएगी।
प्रदेश में इन वन्यजीवों की होगी गणना
1. कार्नीवोर्स यानी मांसाहारी
बाघ, बघेरा, जरख, सियार, जंगली बिल्ली, मरू चिल्ली, मछुआरा बिल्ली, बिल्ली, लोमड़ी, मरू लोमड़ी, भेडिय़ा, भालू, बिज्जू छोटा, बिज्जू बड़ा, कबर बज्जू, सियार गोश और पैंगोलिन।
2. हर्बीबोर यानी शाकाहारी
चीतल, सांभर, काला हिरण, रोजड़ा, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, जंगली सुअर, सैही, उडऩ गिलहरी और लंगूर।
3.बड्र्स यानी पक्षी
गोडावण,सारस, राजगिद्ध, गिद्ध, व्हाइट ब्लैक वल्चर, रेड हैडेड वल्चर, इजिप्शियन वल्चर, शिकारी पक्षी और मोर।
4.् रेप्टाइल्स
घडिय़ाल, मगरमच्छ और सांडा।
वन्यजीव गणना 16 मई से
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एक बार फिर राज्य का वन विभाग वन्यजीवों की गणना के लिए तैयार है। हालांकि कोविड का असर इस बार वन्यजीव गणना पर देखने को मिलेगा लेकिन विभाग इसकी तैयारियों में जुट गया है। आगामी 16 मई को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वन्यजीवों की गणना शुरू होगी।
जयपुर
Published: May 11, 2022 08:18:33 pm
17 मई सुबह आठ बजे तक होगी गणना
वॉटर ***** पद्धति से होगी वन्यजीवों की गणना
वन विभाग कर रहा है तैयारियां
37 प्रजातियों के बिग कैट, बड्र्स और रेप्टाइल्स की होगी गणना
जयपुर। एक बार फिर राज्य का वन विभाग वन्यजीवों की गणना के लिए तैयार है। हालांकि कोविड का असर इस बार वन्यजीव गणना पर देखने को मिलेगा लेकिन विभाग इसकी तैयारियों में जुट गया है। आगामी 16 मई को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वन्यजीवों की गणना शुरू होगी। 16 मई को शुरू होने वाली गणना अगले 24 घंटे तक चलेगी। जानकारी के मुताबिक वन्यजीव बहुल क्षेत्रों में पानी की उपलब्धतानुसार 16 मई को मुख्य जलबिन्दु केन्द्रों पर वन्यजीव गणना होगी। विभाग ने वन्यजीव गणना के लिए जलबिन्दु केन्द्रों का आंकलन शुरू कर दिया है। ऐसे वॉटर हॉल्स जहां पर अधिक संख्या में विभिन्न प्रजाति के वन्यजीव आने की संभावना हैं वहां पर कैमरा ट्रेप लगाने की तैयारी की जा रही है।
दिया जाएगी ऑनलाइन ट्रेनिंग
वन्यजीव गणना में शामिल होने वाले कार्मिकों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जाएगी। स्क्रूटनिंग में ही साथ आए लोगों को अलग-अलग दल में शामिल किया जाएगा, जिससे संक्रमण का खतरा न हो। कार्मिकों को ट्रेनिंग भी ऑनलाइन ही दी जाएगी।
ऐसे की जाती है गणना
वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को वन्यजीव गणना इसलिए करवाई जाती है क्योंकि रात को रोशनी अधिक रहती है। अभयारण्यों और जंगलों में मचान इस तरह से बनाए जाते हैं कि उनसे वन्यजीव डिस्टर्ब नहीं हो।
पैंथर की गणना मुख्यरूप से दो तरीके से की जाती है। एक वाटर गणना व दूसरी प्रत्यक्ष गणना। प्लास्ट ऑफ पेरिस से पैंथर का पगमार्ग लिया जाता है क्योंकि वह बदलता नहीं है। एक्सपर्ट के अनुसार पैंथर के पीछे वाले बाएं पैर का निशान फ्रेम में लिया जाता है। उसके पैर और अंगुली का नाप लिया जाता है। वहीं सांभर की गणना प्रत्यक्ष होती है। यह वॉटर बॉडीज पर आते हैं। पानी पीने हैं, पानी में बैठते हैं। पानी के अलावा कीचड़ वाले स्थान पर भी जाते हैं, ऐसे में वाटर गणना के अलावा वहां भी नजर रखी जाती है। इसी प्रकार चीतल, रोजड़ा आदि की गणना हेडकाउंटिंग से की जाती है। इसमें यह माना जाता है कि वन्यजीव 24 घंटे के अंदर पानी के पास आएगा। ऐसे में मचान से गणना करने वाली टीम को वह जरूर दिखेगा और उसकी गणना हो जाएगी।
प्रदेश में इन वन्यजीवों की होगी गणना
1. कार्नीवोर्स यानी मांसाहारी
बाघ, बघेरा, जरख, सियार, जंगली बिल्ली, मरू चिल्ली, मछुआरा बिल्ली, बिल्ली, लोमड़ी, मरू लोमड़ी, भेडिय़ा, भालू, बिज्जू छोटा, बिज्जू बड़ा, कबर बज्जू, सियार गोश और पैंगोलिन।
2. हर्बीबोर यानी शाकाहारी
चीतल, सांभर, काला हिरण, रोजड़ा, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, जंगली सुअर, सैही, उडऩ गिलहरी और लंगूर।
3.बड्र्स यानी पक्षी
गोडावण,सारस, राजगिद्ध, गिद्ध, व्हाइट ब्लैक वल्चर, रेड हैडेड वल्चर, इजिप्शियन वल्चर, शिकारी पक्षी और मोर।
4.् रेप्टाइल्स
घडिय़ाल, मगरमच्छ और सांडा।
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