लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से कठिन ‘मोलभाव’ की तैयारी में हैं अखिलेश, उत्तराखंड में इस बयान का मतलब क्या है?

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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से कठिन ‘मोलभाव’ की तैयारी में हैं अखिलेश, उत्तराखंड में इस बयान का मतलब क्या है?

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से कठिन ‘मोलभाव’ की तैयारी में हैं अखिलेश, उत्तराखंड में इस बयान का मतलब क्या है?


लखनऊः लोकसभा चुनाव 2024 से पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव बीजेपी के खिलाफ देशव्यापी मोर्चेबंदी में जुट गए हैं। हाल ही में वह तेलंगाना जाकर केसीआर की रैली में शामिल हुए, जहां उन्होंने ऐलान किया कि वह यूपी से बीजेपी का सफाया करेंगे। अब रविवार को वह उत्तराखंड पहुंचे हैं। हालांकि, यहां वह सपा के प्रदेश प्रभारी के बेटे की शादी में पहुंचे थे लेकिन अपनी इस एकदिवसीय यात्रा में उन्होंने बड़ा राजनैतिक संदेश भी दे दिया है।

कभी उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहे उत्तराखंड में समाजवादी पार्टी का जनाधार नहीं है लेकिन अखिलेश यादव ने यहां दावा किया है कि वह आने वाली लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। अखिलेश ने कहा कि वह जल्दी ही प्रदेश में पार्टी के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की मीटिंग लेंगे और पहाड़ी राज्य में भी सपा को मजबूती देने की कवायद शुरू करेंगे। पता नहीं अखिलेश का यह प्रयास कितना सफल होगा लेकिन ऐसा लगता है कि सपा मुखिया उत्तराखंड के जरिए यूपी में किसी सियासी समीकरण का हल निकालने में जुटे हैं।

दरअसल, राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा निकाली है। इसके जरिए कांग्रेस ने हर प्रदेश में विपक्षी दलों के नेताओं को जोड़ने की कोशिश की। कहीं यह कोशिश सफल रही तो कहीं इसको सफलता नहीं मिली। उत्तर प्रदेश में भी राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बसपा मुखिया मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव को न्योता भेजा था। दोनों खुद तो यात्रा में शामिल नहीं हुए लेकिन अपनी सद्भावनाएं राहुल गांधी को जरूर भेजीं।

अखिलेश ने तो पहले यात्रा का न्योता मिलने से ही इनकार कर दिया था लेकिन बाद में निमंत्रण मिलने पर उन्होंने राहुल गांधी को न सिर्फ धन्यवाद किया बल्कि साफतौर पर कहा कि उनकी भावनाएं भारत जोड़ो यात्रा के साथ हैं। राहुल गांधी के साथ अपनी भावनाएं जोड़ने वाले अखिलेश के रवैये से लगता है कि वह लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन के द्वार खोले रखना चाहते हैं। हालांकि, इस बार गठबंधन का यह समझौता शर्तों की जटिल प्रक्रिया के रास्ते भी आ सकता है।

उत्तराखंड में अखिलेश ने ऐलान किया कि सपा प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। यूपी को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि वह यूपी में भी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे लेकिन इसके साथ ही अखिलेश ने यह साफ किया कि अगर यूपी में उनसे कोई सीटें मांगेगा तो वह उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में उससे सीटें मांगेंगे। यह ‘कोई’ कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस ही हो सकती है। उत्तराखंड और मध्य प्रदेश दोनों ही राज्यों में कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की भूमिका है और दोनों ही राज्यों में उसका बड़ा जनाधार है।

समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में अखिलेश यादव ने उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में भी सपा का प्रभाव बढ़ाने का अपना इरादा जाहिर करना शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश के सियासी कुरुक्षेत्र को समझौतों का अखाड़ा बनाना तय किया है। उनका यह कहना साफ इशारा करता है कि अगर यूपी में कांग्रेस ने उनके साथ गठबंधन किया और सीटों को लेकर दोनों के बीच पेच फंसा तो सपा कांग्रेस के अच्छे-खासे प्रभाव वाले उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में सीटें मांगकर समझौते को नियंत्रित कर सकती है।

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