लोकतंत्र की ताकत है हमारी ग्रोथ के पीछेः नादिर गोदरेज

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लोकतंत्र की ताकत है हमारी ग्रोथ के पीछेः नादिर गोदरेज

लोकतंत्र की ताकत है हमारी ग्रोथ के पीछेः नादिर गोदरेज

देश के स्वदेशी मूवमेंट का हिस्सा रही भारत की 125 साल पुरानी गोदरेज इंडस्ट्रीज आज कंस्यूमर गुड्स, कैपिटल, केमिकल, एग्रोवेट और प्रॉपर्टीज जैसे कई क्षेत्रों में दखल रखती है। लगभग 1.5 बिलियन देशी-विदेशी कंस्यूमर्स से जुड़ी गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर व गोदरेज एग्रोवेट के चेयरमैन नादिर गोदरेज से सुधा श्रीमाली ने देश के मौजूदा आर्थिक-समाजिक परिवेश, आगे की चुनौतियों और वास्तविक लोकतंत्र पर खुलकर बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश :

एक कारोबारी समूह के तौर पर आप वैश्विक संदर्भों में इस समय देश की इकॉनमी को कहां देखते हैं?
देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और इस समय विश्व के अन्य देशों के मुकाबले हमारी इकॉनमी अच्छी स्थिति में है। विश्व में पेडेंमिक, रूस-यूक्रेन वॉर से उपजी स्थितियों और कमोडिटी की ऊंची कीमतों ने मुश्किलें पैदा कर दी हैं। कई विकसित और विकासशील देशों में इन वजहों से मंदी के हालात बन रहे हैं। चीन में कोविड को लेकर सरकार के सख्त रवैये ने वहां की इकॉनमी को स्लोडाउन पर ला पटका है। श्रीलंका से लेकर अफ्रीका तक कितनी प्रॉब्लम हैं, लेकिन हम बेहतर स्थिति में हैं। उदारीकरण के बाद जिस तरह देश ग्रोथ के रास्ते पर चला और डेमोक्रेसी के चलते जिस तरह यहां लोगों की बात सुनी गई, उसी का परिणाम है कि आज हम सेलिब्रेट करने की स्थिति में हैं।

क्या आप आज की स्थिति को संतोषजनक मानते हैं?
उदारीकरण के बाद इकॉनमी ने बढ़ना शुरू किया और इसके साथ रिफॉर्म भी जारी रहे। बहुत काम हुआ है, लेकिन बहुत काम अभी किए जाने हैं। विशेष रूप से प्राइमरी हेल्थ केयर, प्राइमरी एजुकेशन में, वरना हम ग्रोथ के रास्ते पर आगे नहीं बढ़ सकेंगे। जहां तक राजनीति की बात है तो लोकतंत्र की सच्ची भावना हमेशा रहनी चाहिए। सरकार और विपक्ष के बीच बेहतर डायलॉग होना चाहिए। जहां डायलॉग नहीं होगा, वहां तरह-तरह की समस्याएं पैदा होंगी। हम चीन की अथॉरिटेरियन सरकार को देख ही रहे हैं। पहले वहां हर दस साल में सरकार में बदलाव आता था और कम्युनिस्ट सरकार भी लोगों की बात सुनती थी। बाद में चीन के राष्ट्रपति शी चिन फिंग ने जिस तरह अथॉरिटेरियन रुख अपना लिया, तो वहां की इकानॅमी आज मेस में आ गई है। इसलिए जरूरी है कि सरकार लोगों की आवाज सुनती रहे।

तो क्या अभी सरकार लोगों की आवाज नहीं सुन रही?
डेमोक्रेसी बहुत हेल्पफुल टूल है। भले ही हमारी सरकार बहुत स्ट्रॉन्ग है, लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि वह लोगों की आवाज को सुनेगी। यह लगातर याद रखने की जरूरत है कि अथॉरिटेरियन होकर चीन जैसा हाल हो जाता है।

महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। आरबीआई इंटरेस्ट रेट लगातार बढ़ा रहा है। कब तक रहेगी ऐसी स्थिति?
कमोडिटी की कीमतें घट रही हैं। फूड इन्फ्लेशन में भी कमी आ रही है। मेरा अनुमान है कि अब ब्याज दरों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी। बारिश अगस्त में भी जारी रही तो सब्जियों की कीमतें कम होंगी। फूड इन्फ्लेशन कम होने के साथ सरकार द्वारा एक्साइज ड्यूटी कम करने से फ्यूल प्राइसेज भी कम होंगी।

एफएमसीजी कंपनियों ने भी कीमतें बढ़ाई हैं। क्या इनपुट कॉस्ट कम होने पर कंपनियां कीमतें कम करेंगी?
रेट ऑफ इन्फ्लेशन कम होगा, लेकिन जो कीमतें पहले बढ़ाई जा चुकी हैं, वे वापस नहीं होंगी। जहां तक इन्फ्लेशन की बात है तो वह 4-5 पर्सेंट तक आएगी और डिमांड बढ़ेगी।

अमेरिका, यूरोप में मंदी का साया दिखाई दे रहा है, जबकि इंडिया में मैक्रो-इकॉनमी के बूते शेयर बाजार में तेजी जारी है। क्या यह कहना सही है कि इंडियन इकॉनमी अब अमेरिका से डी-लिंक हो रही है?
यह कहना तो बहुत जल्दबाजी होगी। अभी भी हमारा इंपोर्ट, एक्सपोर्ट से ज्यादा है। इसी वजह से चालू खाता घाटा बढ़ रहा है। हम अभी पूरी तरह आत्मनिर्भर नहीं हैं। हां, इंडिया एक बड़ा मार्केट है और हमें इसे सही परिपेक्ष्य में समझना चाहिए।

महंगाई बढ़ने से पाम ऑयल इंपोर्ट और गेहूं के एक्सपोर्ट को लेकर सरकार ने जो फैसले किए… और अब सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाया है, उन्हें आप किस तरह से देखते हैं?
पाम ऑयल को लेकर तो सरकार की पॉलिसी बहुत अच्छी रही। सरकार ने इंडस्ट्री से भी बात की। हमने भी बहुत सारे राज्यों में अलोकेशन एक्सपैंड किया है। हमारे किसानों को फायदा हुआ और उत्पादन बढ़ रहा है। गेहूं एक्सपोर्ट पर ड्यूटी अचानक बिना राय-मशविरे के बढ़ाई गई, लेकिन बाद में लगा कि महंगाई पर तुरंत कंट्रोल करने के लिए यह जरूरी था। जहां तक प्रतिबंध की बात है तो नॉन बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक पर प्रतिबंध होना चाहिए। प्लास्टिक रिसाइकल पर ध्यान देने की जरूरत है। प्रतिबंध प्लास्टिक पर नहीं, बल्कि इसके वेस्ट पर होना चाहिए।

आप एक कवि भी हैं। देश की 75वीं वर्षगांठ पर कुछ लिखा हो तो सुनाइए…

There are problems in the world

Each year more are unfurled

Climate change has been there.

The pandemic brought its share.

Inequality is very dire

And maybe getting even higher.

And since the Russia-Ukraine War

The World has had to then endure

An unexpected commodity boom

All these dangers constantly loom.

Some countries succumbed to all this flack.

But we are on a better track!

But as commodity prices decline

Our inflation numbers will be fine.

We already know we we will survive.

If we pull together, we will thrive.

Unitedly we should strive

For a brighter India at 75.

(दुनिया में कई समस्याएं हैं
हर साल हम झेल रहे हैं जलवायु परिवर्तन
महामारी ने भी दिखाया अपना व्यापक रूप।
दुनिया में असमानता है बहुत
जो ले रही है विकराल रूप।
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से
दुनिया जूझेगी एक अप्रत्याशित
कमोडिटी बूम से पैदा होनेवाले खतरे से।
हम पर मंडरा रहे हैं संकट कई
कुछ देशों ने घुटने दिए हैं टेक
लेकिन इन उथल-पुथल के आगे
बेहतर स्थिति में हैं हम।
जैसे ही कमोडिटी की कीमतें घटेंगी
महंगाई के आंकड़े भी ठीक हो जाएंगे।
हमें पता है कि हम इस संकट से भी बच निकलेंगे।
अगर हम एक साथ इसे खींचेंगे, तो हम आगे बढ़ेंगे।
आइए, हम मिलकर प्रयास करें
75 वर्ष, एक उज्जवल भारत के लिए।)

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