‘लालू से दुश्मनी के 49 साल… बिहार में सियासी हैसियत 3 नंबर से ऊपर नहीं’, शिवानंद तिवारी का सुशील मोदी पर तंज

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‘लालू से दुश्मनी के 49 साल… बिहार में सियासी हैसियत 3 नंबर से ऊपर नहीं’, शिवानंद तिवारी का सुशील मोदी पर तंज

‘लालू से दुश्मनी के 49 साल… बिहार में सियासी हैसियत 3 नंबर से ऊपर नहीं’, शिवानंद तिवारी का सुशील मोदी पर तंज

नील कमल, पटना: सुशील कुमार मोदी ( Sushil Modi ) को छपास का रोग है। सुशील कुमार मोदी म्यूजियम में रखने लायक वस्तु हैं। सुशील मोदी तो लालू प्रसाद के स्टेपनी रह चुके हैं। सुशील मोदी किसी दिन बयान नहीं दे तो उनका खाना हजम नहीं होता। इस तरह के कई और बयान आरजेडी के उन नेताओं का है, जो सुशील कुमार मोदी के लगातार लालू प्रसाद यादव ( Lalu Yadav ) और उनके परिवार के साथ आरजेडी पर किए जा रहे हमले के बाद दिए गए हैं। एक बार फिर आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ( Shivanand Tiwari ) ने सुशील कुमार मोदी पर निशाना साधा है।

‘सुशील मोदी तो 1973 से ही लालू प्रसाद के पीछे पड़े हैं’
राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी का कहना है कि सुशील मोदी को राजनीति करते आधी सदी गुजर गई। उन्होंने कहा कि संभवतः 1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव चुने गए थे। यह संयोग है कि उसी वर्ष लालू प्रसाद यादव उसी छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे। ऐसे में लालू यादव से सुशील मोदी का राजनीतिक टकराव स्वभाविक था। क्योंकि दोनों दो विपरीत विचारधारा के संगठनों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। शिवानंद तिवारी ने कहा कि तब से अब तक लालू प्रसाद से सुशील मोदी का टकराव लगातार जारी रहा है।

‘सुशील मोदी और लालू प्रसाद की राजनीतिक हैसियत में है बड़ा फासला’
शिवानंद तिवारी का कहना है कि भले ही सुशील कुमार मोदी और लालू प्रसाद यादव में 1973 से ही टकराव चल रहा है। लेकिन दोनों की राजनीतिक हैसियत में बहुत बड़ा फासला है। शिवानंद तिवारी ने कहा कि सबकुछ के बावजूद लालू यादव आज भी राष्ट्रीय राजनीति में दखल रखते हैं लेकिन, सुशील मोदी का दुर्भाग्य यह है कि बिहार की राजनीति में इतने दिनों बाद भी तीसरे स्थान से ऊपर नहीं चढ़ पाए। उन्होंने कहा कि इस बीच सुशील मोदी के लिए राजनीतिक स्थिति और अपमानजनक हो गई है।

तेजस्वी यादव के राजनीतिक हैसियत सुशील मोदी से ऊपर
आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव, जिनकी उम्र महज 32-33 वर्ष है। उनकी राजनीतिक हैसियत आधी सदी से राजनीति के अखाड़े में पसीना बहाने वाले सुशील मोदी से ऊपर हो गई है। तेजस्वी यादव विधायकों की संख्या और वोट के प्रतिशत के हिसाब से बिहार की सबसे बड़ी पार्टी के वे स्वभाविक नेता हो गए हैं। शिवानंद तिवारी ने कहा कि स्वभाविक इसलिए कि 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने न सिर्फ अपनी पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व किया बल्कि पूरे गठबंधन का स्वभाविक नेतृत्व भी उनके ही कंधों पर था। इसका परिणाम सबके सामने है। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के बढ़ते कद से सुशील मोदी की मनोस्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।

आधी सदी बाप से लड़ने के बाद तेजस्वी यादव को जेल जाने का श्राप दे रहे सुशील मोदी
शिवानंद तिवारी ने कहा कि हमारे समाज में जिस प्रकार पुण्य हीन, लाचार और बेबस पुरनिया खीज में श्राप देता है, आज वही स्थिति सुशील मोदी की हो गई है। शिवानंद ने कहा कि आधी सदी तक बाप से लड़ते-लड़ते बिहार की राजनीति में सुशील मोदी की राजनीतिक हैसियत तीन नंबर से ऊपर नहीं पहुंच पाई! आज बेबस और लाचार वही सुशील मोदी तेजस्वी को जेल जाने का श्राप दे रहे हैं। लेकिन श्राप भी उसी का फलता है, जिसमें पुण्य की ताकत होती है।

आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि उन्हें सुशील मोदी की इस अपमान जनक स्थिति को देखकर पीड़ा होती है। उन्होंने कहा कि लंबे अरसे तक हमलोगों ने साथ काम किया है। इसलिए सुशील मोदी को मेरी मित्रवत सलाह होगी कि उन्होंने राजनीति की मुख्य धारा से अलग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कई क्षेत्रों में भी काम है। उन्हीं में से किसी एक क्षेत्र को चुनकर सुशील राजनीति की सक्रिय धारा से किनारे हो जाएं।

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