लालू यादव का विरोध कर राजनीति में चमके आनंद मोहन, अब आरजेडी ने ही करवाई रिहाई, जानें क्यों

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लालू यादव का विरोध कर राजनीति में चमके आनंद मोहन, अब आरजेडी ने ही करवाई रिहाई, जानें क्यों

लालू यादव का विरोध कर राजनीति में चमके आनंद मोहन, अब आरजेडी ने ही करवाई रिहाई, जानें क्यों

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Anand Mohan News: बिहार के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद आनंद मोहन की जेल से रिहाई पर सवाल उठ रहे हैं। आनंद मोहन गोपालगंज के डीएम रहे दलित आईएएस जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। हाल ही में नीतीश सरकार ने उनकी रिहाई के आदेश जारी किए हैं। बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के बाद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हुआ। इसके लिए नीतीश सरकार ने कारा नियमों में बदलाव किया। चर्चा है कि आरजेडी के कहने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आनंद मोहन को रिहा करने का फैसला लिया है। खास बात यह है कि एक समय ऐसा था जब आनंद मोहन ने आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की जमकर मुखालफत की थी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर आरजेडी लालू के विरोधी रहे आनंद मोहन की रिहाई के पक्ष में क्यों है?

आनंद मोहन सहरसा जिले के रहने वाले हैं। उनका कोसी क्षेत्र में खासा प्रभाव है। आनंद मोहन स्वतंत्रता सेनानी रामबहादुर राय के परिवार से हैं। हालांकि, उन्होंने अपने करियर के शुरुआत के दौर में गैंगस्टर की छवि बनाई। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हुए। जेपी आंदोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और दो साल जेल गए। इसके बाद सक्रिय राजनीति में कदम रखा और जनता दल के टिकट पर 1990 में पहली बार विधायक बने। 

सवर्णों की राजनीति, लालू यादव की मुखालफत

90 के दशक में बिहार में जब जातिगत राजनीति और हिंसा का दौर चरम पर था, तब आनंद मोहन ने बिहार पीपल्स पार्टी बनाई। इसके जरिए आनंद मोहन ने राजपूत सवर्णों के हक में आवाज उठाई और उस समय की लालू प्रसाद यादव सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। इससे पहले वे सामाजिक क्रांति सेना भी बना चुके थे, जिसका मकसद पिछड़ी जातियों के उत्थान का विरोध करना और सवर्णों का दबदबा कायम रखना था। कहा जाए तो लालू यादव की मुखालफत करके ही उन्होंने अपनी राजनीति चमकाई। 

डीएम की हत्या और आनंद मोहन को सजा

5 दिसंबर 1994 को मुजफ्फरपुर जिले में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। तभी गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की गाड़ी वहां से गुजरी। भीड़ को लगा कि गाड़ी में मुजफ्फरपुर का डीएम बैठा है। लोगों ने आव देखा न ताव, आईएएस जी कृष्णैया पर हमला कर दिया और मॉब लिंचिंग कर उन्हें मार डाला। इस केस में आनंद मोहन और उनके समर्थकों को मुख्य आरोपी बनाया गया। 2007 में अदालत ने आनंद मोहन को डीएम की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई। हालांकि इसके एक साल बाद उनकी सजा उम्रकैद में बदल दी गई।

आनंद मोहन की रिहाई से आरजेडी को क्या लाभ? 

जेल जाने के बाद भी आनंद मोहन का राजनीतिक रसूख कम नहीं हुआ। धीरे-धीरे उनकी आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से नजदीकियां बढ़ती गईं। आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद आरजेडी से जुड़ गए। 2020 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी ने चेतन को शिवहर सीट से टिकट दिया और वे जीत गए। कुछ महीने पहले आनंद मोहन की बेटी की शादी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी पहुंचे थे। हाल ही में चेतन की सगाई में भी तेजस्वी शरीक हुए।

चर्चा है कि आरजेडी के कहने पर ही नीतीश कुमार ने कारा नियमों में बदलाव किया और इससे आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हुआ। अब सवाल है कि जो शख्स एक समय में लालू यादव के खिलाफ जहर उगलता था, उसी को जेल से बाहर निकालने में आरजेडी सपोर्ट क्यों कर रही है?

आनंद मोहन को 2024 में चुनाव लड़ाने की तैयारी, क्या है प्लानिंग?

राजनीतिक जानकारों की मानें तो आरजेडी मुस्लिम-यादव यानी MY समीकरण को केंद्र में रखकर राजनीति करती है। इसके बावजूद राजपूतों में भी उसकी अच्छी खासी पकड़ है। राजपूत समाज से आने वाले जगदानंद सिंह अभी आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इसके अलावा भी कई राजपूत नेता आरजेडी में बड़े पद पर रह चुके हैं। माना जाता है कि राजपूत समाज का एक बड़ा धड़ा चुनाव में आरजेडी के पक्ष में वोट करता है। इसलिए पार्टी हमेशा इस समाज को ध्यान में रखते हुए ही राजनीति करती है। 

अभी के माहौल में बीजेपी राजपूत वोटबैंक में अपनी पकड़ मजबूत करने के जमकर प्रयास कर रही है। ऐसे में महागठबंधन सरकार आनंद मोहन के जरिए राजपूतों को खुश करने में लगी है। राजपूत भले ही आनंद मोहन को अब अपना नेता न मानते हों, लेकिन उनमें सहानुभूति फैक्टर जरूर है। कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि आनंद मोहन जेल से निकलकर सक्रिय राजनीति का रूख करेंगे और आरजेडी ज्वाइन करके 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, अभी उन्होंने इस मामले पर चुप्पी साधे रखी है। 

 

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