रोशनी गंवाई, ह‍िम्‍मत नहीं… फिल्‍म अंधाधुन के उस असली हीरो की कहानी जिससे आयुष्‍मान खुराना ने ली ट्रेनिंग

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रोशनी गंवाई, ह‍िम्‍मत नहीं… फिल्‍म अंधाधुन के उस असली हीरो की कहानी जिससे आयुष्‍मान खुराना ने ली ट्रेनिंग


रोशनी गंवाई, ह‍िम्‍मत नहीं… फिल्‍म अंधाधुन के उस असली हीरो की कहानी जिससे आयुष्‍मान खुराना ने ली ट्रेनिंग

लखनऊ: हेमेंद्र जब मुंबई में पढ़ते थे तो अपनी क्‍लास के सबसे स्‍मार्ट और होनहार छात्रों में से एक थे। क्र‍िकेट तो ऐसा खेलते थे क‍ि लोग उन्‍हें पोलार्ड कहके पुकारते थे। सोचिए तब उनकी आंखों की रोशनी कितनी अच्‍छी रही होगी। फिर कुछ ऐसा हुआ क‍ि हेमेंद्र को परछाई के अलावा सब कुछ दिखना बंद हो गया। चमकीली दुनिया घूप स्‍याह हो गई। मन इतना टूटा क‍ि दो बार आत्‍महत्‍या करने की भी कोश‍िश की। लेकिन अब ये बीती बात हो गई है। हेमेंद्र ने अपनी इस कमजोरी को अपनी सबसे बड़ी ताकत बना ली।

उत्‍तर प्रदेश के जिला जौनपुर के मड़‍ियाहूं के रहने वाले हेमेंद्र प्रताप सिंह (Hemendra Pratap Singh) आज न देखते हुए भी लखनऊ में बैंक मैनेजर हैं और साथ ही दृष्टिबाधति लोगों को ट्रेनिंग देते हैं। उन्‍होंने अंधाधुन फिल्‍म में ब्‍लाइंड किरदार के लिए आयुष्‍मान खुराना (Ayushmann Khurran) को तीन महीने की ट्रेनिंग दी। इसके अलावा वे वेब सीरीज ब्रीद इनटू दी शैडो-सीजन-3 में अभ‍िषेक बच्‍चन के साथ काम कर रहे हैं तो वे कई मराठी फिल्‍मों में भी काम कर रहे हैं।

लेकिन क्‍या ये सब इतना आसान था। जो आंखें दुनिया की खूबसूरती देख चुकी हों, उसके लिए हमेशा अंधेरे में रहना क‍ितना कठ‍िन होता है? हेमेंद्र ने इस चुनौती को न सिर्फ स्‍वीकार किया, आज वे अपने जैसे हजारों लोगों के लिए नजीर हैं।

आयुष्‍मान खुराना के साथ हेमेंद्र प्रताप सिंह।

16 साल की उम्र में गई रोशनी
हेमेंद्र प्रताप सिंह ऑप्टिक न्यूराइटिस नाम की बीमारी से पीड़ित हैं। दुनियाभर में इस बीमारी के लगभग 25,000 हजार मामले हर साल सामने आते हैं। वे दृष्‍टिहीन नहीं, दृष्‍ट‍िबाधि‍त हैं। उन्‍हें परछाई दिखती है। स्‍कूल के दिनों में ही जब वे 16 साल के थे, तभी उनकी आंखों की लगभग 95 फीसदी रोशनी चली गई। उस दिन को याद करते हुए हेमेंद्र बताते हैं, ‘एक दिन मैं क्‍लास में बैठा था। टीचर ब्लैकबोर्ड पर कुछ लिख रही थीं। मुझे लगा कि धुंधला दिखाई दे रहा है। मैंने उसे अनदेखा कर दिया किया। लेकिन अगले ही दिन फिर यही दिक्कत हुई तो मैं पीछे से आगे आकर बैठ गया। उसके बाद से दिन-ब-दिन मेरी आंखों की रोशनी कम होती गई। क्रिकेट खेलने के दौरान भी मुझे बॉल दिखाई देनी बंद हो गई। बॉलिंग करने उतरता था तो हर गेंद वाइड हो जाती थी। तब मुझे अहसास हो गया कि अब मेरी आंखों की रोशनी जा रही हैं।’

hemendra in film andhadhun

हेमेंद्र ने फ‍िल्‍म अंधाधुन में काम भी किया है।

लेकिन उन्‍होंने हार नहीं मानी। खुद को संभाला और पढ़ाई जारी रखी। स्‍नातक करने के बाद महाराष्‍ट्र से डीएड की पढ़ाई की और स्‍पेशल बच्‍चों को पढ़ाने लगे। इसके बाद 2016 में एक एनजीओ से जुड़े और स्पेशल एजुकेटर का काम करने लगे। अपने जैसे लोगों को उन्‍होंने ट्रेनिंग देनी शुरू की। कुछ महीनों में प्रमोशन हो गया और वे बच्‍चों को मैथ भी पढ़ाने लगे।

सब कुछ खत्‍म करने की कोश‍िश
हेमेंद्र क्रिकेट खेलते थे। अपनी टीम के अच्‍छे ह‍िटर थे। लेकिन आंखों की रोशनी जाने के बाद वे जीवन से निराश हो गये। उन्‍होंने एनबीटी ऑनलाइन को बताया, ‘जिसे लोग पोलार्ड बुलाते हों, अचानक से उसे दिखना ही बंद हो जाए तो वह दुखी तो होगा ही। जब परेशान होने लगा तो मम्‍मी, पापा को लगा क‍ि शायद मेरे लिए गांव अच्‍छा रहेगा। मैं गांव आ तो गया। लेकिन वहां भी लोग मुझे ताने मारते। बोलते क‍ि इसे देखो, देखने में स्‍मार्ट है। क्र‍िकेट खेलता था। लेकिन अब देख नहीं पाता।’

hemendra pratap singh training

अपने जैसे लोगों को ट्रेंड करते हैं हेमेंद्र।

‘इलाज के दौरान मुझे स्टेरॉयड दिया जाने लगा जिसकी वजह से मेरा वजन बढ़कर 126 किलो हो गया। तीन महीने अस्पताल में रहा। मैं यकीन नहीं कर पा रहा था कि बिना आंखों के मुझे दुनिया में जीना होगा। मैं इतना डिप्रेशन में चला गया कि दो बार सुसाइड की कोशिश की।’ हेमेंद्र दुखी होते हुए कहते हैं।

स्‍टेशन मास्‍टर ने दिखाई राह
चारों ओर अंधेरा था। हेमेंद्र फिर से अपना पुराना समय चाहते थे। एक दिन वे मुंबई के एक रेलवे स्‍टेशन पर बैठकर अपने भैया का इंतजार कर रहे थे। ‘उनके हाथ में केन थी जिसे दृष्‍टिबाध‍ित लोग लेकर चलते हैं। मैंने उन्‍हें बैठने के लिए कहा तो उन्‍होंने मना कर दिया। उन्‍होंने बताया क‍ि वे इस स्‍टेशन के स्‍टेशन मास्‍टर हैं। उनके इस शब्‍द मेरी सोच बदल दी। तब मुझे लगा क‍ि जब यह व्‍यक्‍ति संघर्ष कर सकता है तो मैं क्‍यों नहीं कर सकता।’

हेमेंद्र बताते हैं क‍ि इस घटना के बाद उन्‍होंने ऐसे लोगों की मदद करने की ठानी जो देख नहीं सकते। इसी दौरान वे नेशनल ब्लाइंड असोसिएशन से जुड़े और वहां उन्‍होंने अपने जैसे लोगों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया।

hemendra with amit sad

हेमेंद्र जल्‍द ही अमित साध के साथ एक फिल्‍म में नजर आएंगे।

अंधाधुन के लिए आयुष्‍मान को किया ट्रेंड
ये हेमेंद्र के लिए टर्निंग प्‍वाइंट साब‍ित हुआ। वे बताते हैं क‍ि एक दिन वे देशभर से आए दृष्‍टिबाध‍ितों को टेनिंग दे रहे थे। तभी अचानक से क्‍लास में चहल-पहल बढ़ गई। कुछ देर बाद मुझे पता चला क‍ि फिल्‍म अंधाधुन की पूरी टीम मेरा काम देख रही है। मैंने काम जारी रखा। क्‍लास खत्‍म होने के बाद आयुष्‍मान खुराना और फिल्‍म के डायरेक्‍टर श्रीराम मेरे पास आए। मैं उन लोगों को कॉफी पिलाने के लिए अपने एनजीओ के ही कैंटिन में ले गया। उस कैंटिन की सबसे खास बात यह थी क‍ि वहां काम करने वाले सभी लोग मेरे जैसे ही थे। ये जानकर श्रीराम सर और आयुष्‍मान खुराना को हैरानी हुई क‍ि उन लोगों को मैंने ही ट्रेंड किया है।

ये देखने के बाद तय हुआ क‍ि मैं अंधाधुन के लिए आयुष्‍मान को ट्रेंनिंग दूंगा। करीब तीन महीने तक आयुष्मान खुराना को ट्रेनिंग दी कि दृष्टिहीन असल जिंदगी को कैसे जीते हैं। वे कैसे चलते हैं, सीढ़ी से कैसे उतरते हैं, केन की इस्‍तेमाल कैसे करते हैं। ऐसी बहुत सी बारीकियां मैंने उनको सिखाईं। फिल्म आई और हिट हो गई। इसके बाद आयुष्मान ने फोन करके मुझे बधाई भी दी थी। हेमेंद्र ने इसके अलावा मराठी फिल्म 21 दिवस के लिए शशांक केतकर और हिरोइन रीना अग्रवाल को ट्रेनिंग दी।

मराठी फिल्‍म की, अब अभ‍िषेक बच्‍चन के साथ नजर आएंगे
हेमेंद्र ने हाल ही में मराठी फिल्‍म दृष्टांत में सामान्‍य व्‍यक्‍ति का रोल किया। 2019 में आई फिल्‍म में शुभो बिजॉय के लिए उन्‍होंने गुरमीत चौधरी को दृष्टिहीन किरदार के लिए ट्रेनिंग दी। इसके अलावा वे वेब सीरीज ब्रीद: इन टु द शैडोज के तीसरे सीजन में अभ‍िषेक बच्‍चन के साथ नजर आएंगे जिसमें उन्‍होंने एक साइबर ऑफिसर का रोल किया है। इस फिल्‍म में अमित साध भी हैं। एक दूसरी वेब सीरज धारावी बैंक आ रही है जिसमें सुनील शेट्टी और विवेक ओबेरॉय जैसे बॉलीवुड कलाकर हैं। इसमें एक किरदार है ल्यूक कैनी का जो देख नहीं सकते, उन्‍हें हेमेंद्र ने ही ट्रेनिंग दी है।

hemendra pratap singh

हेमेंद्र प्रताप स‍िंह।

फिटनेस प्रेमी, 42 किलोमीटर मैराथन पर फोकस
हेमेंद्र की दिन की शुरुआत रनिंग और जिम से होती है। वे 42 किलोमीटर मैराथन की तैयारी कर रहे हैं। मुंबई मैराथन, दिल्ली मैराथन, बंगलुरु मैराथन सहित कई प्रतियोगताओं में भाग ले चुके हैं। फिटनेस के वे सोशल मीडिया पर लोगों को मोटिवेट करते हैं। इंस्‍टाग्राम पर रील बनाते हैं और जिम की तस्‍वीरें शेयर करते हैं। वे अपनी मैराथन पारी को आगे बढ़ाना चाहते हैं।



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