रोपवे अंतरिम व्यवस्था…वैशाली से मोहन नगर के बीच मेट्रो परियोजना स्थगित नहीं, जानिए क्या है योजना

124

रोपवे अंतरिम व्यवस्था…वैशाली से मोहन नगर के बीच मेट्रो परियोजना स्थगित नहीं, जानिए क्या है योजना

गाजियाबाद: गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने वैशाली और मोहन नगर के बीच मेट्रो परियोजना को पूरी तरह से स्थगित नहीं किया है। इन दोनों स्थानों के बीच रोपवे परियोजना सिर्फ एक अंतरिम व्यवस्था है। दोनों स्थानों पर कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने और फास्ट ट्रांसपोर्टेशन के लिए इस योजना को तेज किया गया है। दरअसल, जीडीए बोर्ड ने वैशाली से मोहन नगर रोपवे परियोजना के लिए पहले ही अपनी मंजूरी दे दी है। इसके अलावा अन्य तीन मार्गों पर व्यवहार्यता को एक समिति की ओर से तय की जानी है, इसमें गाजियाबाद डीएम, जीडीए उपाध्यक्ष, मुख्य टाउन प्लानर और जीएमसी के एक सदस्य शामिल हैं।

जीडीए के चीफ इंजीनियर राकेश कुमार गुप्ता ने इस संबंध में कहा कि इस आशय की एक बैठक शनिवार को होने वाली थी, लेकिन इसे स्थगित करना पड़ा। डीएम तहसील दिवस कार्यक्रम में व्यस्त थे। चीफ इंजीनियर ने कहा कि जीडीए बोर्ड ने रोपवे मार्ग को पहले ही सैद्धांतिक अनुमति दे दी है। इसलिए इस बैठक को एक औपचारिकता भर माना जा रहा है। वहीं, रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर लोगों का विरोध शुरू हो गया है। लखनऊ तक विरोध प्रदर्शन किए जाने की बात कही जा रही है। लोग मेट्रो प्रोजेक्ट की मांग कर रहे हैं। स्थानीय लोगों की ओर से किए जा रहे विरोध पर चीफ इंजीनियर ने साफ किया कि रोपवे प्रोजेक्ट मेट्रो कनेक्टिविटी का विकल्प नहीं है, बल्कि एक स्टॉपगैप व्यवस्था है।

मेट्रो परियोजना पर 18 सौ करोड़ की लागत
जीडीए के चीफ इंजीनियर ने कहा कि मेट्रो परियोजना पर 1800 करोड़ रुपये की लागत आएगी। जीडीए अभी इस राशि को देने की स्थिति में नहीं है। इसलिए अथॉरिटी ने परियोजना के लिए धन का अनुरोध करते हुए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है। जिस दिन इसे मंजूरी मिल जाएगी, परियोजना फिर से पटरी पर आ जाएगी। उन्होंने कहा कि जब तक मेट्रो परियोजना को पटरी पर लाया नहीं जाता है, तब तक रोपवे प्रोजेक्ट बेहतर कनेक्टिविटी देने का कार्य करेगी। आर्थिक रूप से भी जीडीए इस परियोजना को पूरा कराने में कामयाब होगा।

एनएचएआई के नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड ने हाल ही में वैशाली मेट्रो स्टेशन और मोहन नगर मेट्रो स्टेशन के बीच जमीन का सर्वेक्षण किया है। वहीं, वैशाली से मोहन नगर रोपवे परियोजना के लिए 450 करोड़ रुपये की फंडिंग की गई है। गाजियाबाद के सांसद जनरल (रिटायर्ड) वीके सिंह केंद्र से अनुमोदित परियोजना की लागत का एक हिस्सा हासिल करने में जीडीए कामयाब रहा है।

एनओसी के लिए रिमाइंडर भेजने की तैयारी
वैशाली से मोहननगर के बीच पैसेंजर रोपवे की एनओसी के लिए जीडीए नगर निगम और पीडब्ल्यूडी को दोबारा रिमाइंडर भेजेगा। जीडीए ने फिजिबिलिटी रिपोर्ट बनाकर नैशनल हाइवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) को पहले ही सौंप दी थी। रिपोर्ट में पैसेंजर रोपवे के लिए 450 करोड़ के धनराशि की बात कही गई थी। काम जल्द शुरू हो सके इसलिए जीडीए ने डेढ़ महीने पहले पीडब्ल्यूडी और नगर निगम से एनओसी मांगी थी। जीडीए अधिकारियों का कहना था कि वैशाली से मोहननगर के बीच में किसी भी प्राइवेट बिल्डर की जमीन नहीं है। जहां कहीं भी पिलर या फिर स्टेशन बनाया जाना है, वह नगर निगम या पीडब्ल्यूडी का ग्रीन बेल्ट एरिया आता है।

इसलिए एनओसी के लिए डेढ़ महीने पहले ही पत्र लिख दिया था, क्योंकि इस प्रॉजेक्ट पर जल्द से जल्द काम शुरू करने का आदेश हैं। अभी तक एनओसी नहीं मिली है। जीडीए के चीफ इंजीनियर राकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि वह जल्द ही पीडब्ल्यूडी और नगर निगम को इस मामले में दोबारा रिमाइंडर भेजेंगे, ताकि किसी भी प्रकार की देरी न हो। लगभग दो महीने के सर्वे के बाद 32 लाख रुपये खर्च करके वैशाली से मोहननगर के बीच में फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार की गई थी। अगर इस रूट पर यह परियोजना सफल रही तो अन्य 4 रूटों पर भी काम किया जाएगा।

249 कैब चलाने की है योजना
वैशाली से मोहन नगर के बीच रोपवे प्रोजेक्ट को मंजूरी इसलिए दी गई है, क्योंकि यह एक गलियारा एक सीधी रेखा में है। रोपवे का संचालन करने के लिए जगह भी पर्याप्त है। रोपवे प्रोजेक्ट के तहत 249 कैब संचालित किए जाएंगे और प्रत्येक कैब में 10 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। कैब एक मिनट के अंतराल पर उपलब्ध होंगी। दो मेट्रो स्टेशनों के बीच की दूरी को कवर करने में 15 मिनट का समय लगेगा। इससे दोनों इलाकों के बीच की कनेक्टिविटी को बढ़ाने और फास्ट ट्रैफिक में मदद मिलेगी।

उत्तर प्रदेश की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Uttar Pradesh News