रिश्वतखोरी पर टेक्नोलॉजी से कर रहे प्रहार: लोकायुक्त के बाद अब ईओडब्ल्यू भी वॉइस रिकॉर्डिंग पर दे रही ध्यान | Technology attacking bribery | Patrika News
ट्रेस नहीं होने वाले सरकारी कर्मचारी के मामले में आवाज का नमूना बना था अहम सबूत, हुई थी पांच साल की सजा – अब एमआइजी के सिपाही की आवाज का नमूना लेगी जांच एजेंसी
इंदौर
Published: September 12, 2022 11:35:28 am
इंदौर. जांच एजेंसियों के लिए रिश्वतखोरी के मामले में आवाज का नमूना अहम हो गया है। लोकायुक्त के एक केस में सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते नहीं पकड़ाया, लेकिन उसकी आवाज रिकॉर्ड हुई और कोर्ट ने इस अहम सबूत के आधार पर ५ साल का सजा दी। अब हर केस में आवाज का नमूना लिया जा रहा है। जिस केस में कर्मचारी ट्रेस नहीं हुआ उसमें तो आवाज का नमूना अहम सुराग बन गया है। तकनीकी का इस्तेमाल करने में लोकायुक्त के बाद अब ईओडब्ल्यू भी इस राह पर है।
ईओडब्ल्यू ने रिश्वत के मामलों में ट्रेप करने की कार्रवाई डेढ़ साल से शुरू कर दी है। पिछले साल एक और इस साल दो मामले पकड़े हैं। अफसरों के मुताबिक, सभी मामलों में पहले आवाज की रिकाॅर्डिंग होती है और फिर संबंधित कर्मचारी को बुलाकर आवाज के नमूने लिए जाते हैं। कई हाई प्रोफाइल और बड़े चर्चित मामलों की जांच करने वाली केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) भी इसे अपना चुकी है। वह तकनीकी की मदद से कई केस में पुख्ता सबूत जुटा चुकी है। एमआइजी थाने में ऑटो डील संचालक को छोड़ने के लिए ४० हजार रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में दो सिपाही श्याम जाट व नीरेंद्र दांगी पर लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा में केस दर्ज किया था। सिपाही को ट्रेस करने के लिए डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल की टीम लगी थी लेकिन वह १५ हजार रुपए लेकर फरार हो गया। चूंकि रिश्वत मांगने की बात रिकॉर्ड हो गई थी इसलिए केस दर्ज हुआ। अब सिपाही को नोटिस देकर लोकायुक्त कार्यालय बुलाया जाएगा। यहां रिश्वत मांगने की जो बातें हुईं वही बातें फिर करवाकर आवाज रिकॉर्ड होगी और फिर दोनों रिकॉर्डिंग की लैब से जांच कराई जाएगी। वैसे लोकायुक्त काफी समय से आवाज रिकॉर्ड कर रही है लेकिन पिछले ३ से ४ साल में केस दर्ज होने के बाद फिर आवाज का नमूना रिकॉर्ड कराया जा रहा है।
इसलिए यह फैसला अहम
लोकायुक्त ने शासकीय कर्मचारी सुरेश सिंह जादौन को रिश्वत के मामले में आरोपी बनाया था। वह रिश्वत लेते नहीं पकड़ाया था, लेकिन उसकी आवाज की रिकार्डिंग थी। इसकेे आधार पर कोर्ट ने उसे ५ साल की सजा सुना दी। जिस मामले में कर्मचारी ट्रेस नहीं हुआ उसमें भी रिकार्डिंग अहम सबूत बन गई है। यही वजह है कि हर बार सैंपल लेकर जांच कराई जा रही है।
इस साल २२ मामले
इस साल रिश्वत के २२ मामले लोकायुक्त ने वर्ष २०२१ में रिश्वत के २४ मामले पकड़े थे और इस साल २०२२ में अभी तक २२ मामले हो गए हैं। सभी मामलों में वाॅइस रिकाॅर्डिंग ली जा रही है।
रिश्वतखोरी पर टेक्नोलॉजी से कर रहे प्रहार: लोकायुक्त के बाद अब ईओडब्ल्यू भी वॉइस रिकॉर्डिंग पर दे रही ध्यान
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ट्रेस नहीं होने वाले सरकारी कर्मचारी के मामले में आवाज का नमूना बना था अहम सबूत, हुई थी पांच साल की सजा – अब एमआइजी के सिपाही की आवाज का नमूना लेगी जांच एजेंसी
इंदौर
Published: September 12, 2022 11:35:28 am
इंदौर. जांच एजेंसियों के लिए रिश्वतखोरी के मामले में आवाज का नमूना अहम हो गया है। लोकायुक्त के एक केस में सरकारी कर्मचारी रिश्वत लेते नहीं पकड़ाया, लेकिन उसकी आवाज रिकॉर्ड हुई और कोर्ट ने इस अहम सबूत के आधार पर ५ साल का सजा दी। अब हर केस में आवाज का नमूना लिया जा रहा है। जिस केस में कर्मचारी ट्रेस नहीं हुआ उसमें तो आवाज का नमूना अहम सुराग बन गया है। तकनीकी का इस्तेमाल करने में लोकायुक्त के बाद अब ईओडब्ल्यू भी इस राह पर है।
ईओडब्ल्यू ने रिश्वत के मामलों में ट्रेप करने की कार्रवाई डेढ़ साल से शुरू कर दी है। पिछले साल एक और इस साल दो मामले पकड़े हैं। अफसरों के मुताबिक, सभी मामलों में पहले आवाज की रिकाॅर्डिंग होती है और फिर संबंधित कर्मचारी को बुलाकर आवाज के नमूने लिए जाते हैं। कई हाई प्रोफाइल और बड़े चर्चित मामलों की जांच करने वाली केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) भी इसे अपना चुकी है। वह तकनीकी की मदद से कई केस में पुख्ता सबूत जुटा चुकी है। एमआइजी थाने में ऑटो डील संचालक को छोड़ने के लिए ४० हजार रुपए की रिश्वत मांगने के मामले में दो सिपाही श्याम जाट व नीरेंद्र दांगी पर लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा में केस दर्ज किया था। सिपाही को ट्रेस करने के लिए डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल की टीम लगी थी लेकिन वह १५ हजार रुपए लेकर फरार हो गया। चूंकि रिश्वत मांगने की बात रिकॉर्ड हो गई थी इसलिए केस दर्ज हुआ। अब सिपाही को नोटिस देकर लोकायुक्त कार्यालय बुलाया जाएगा। यहां रिश्वत मांगने की जो बातें हुईं वही बातें फिर करवाकर आवाज रिकॉर्ड होगी और फिर दोनों रिकॉर्डिंग की लैब से जांच कराई जाएगी। वैसे लोकायुक्त काफी समय से आवाज रिकॉर्ड कर रही है लेकिन पिछले ३ से ४ साल में केस दर्ज होने के बाद फिर आवाज का नमूना रिकॉर्ड कराया जा रहा है।
इसलिए यह फैसला अहम
लोकायुक्त ने शासकीय कर्मचारी सुरेश सिंह जादौन को रिश्वत के मामले में आरोपी बनाया था। वह रिश्वत लेते नहीं पकड़ाया था, लेकिन उसकी आवाज की रिकार्डिंग थी। इसकेे आधार पर कोर्ट ने उसे ५ साल की सजा सुना दी। जिस मामले में कर्मचारी ट्रेस नहीं हुआ उसमें भी रिकार्डिंग अहम सबूत बन गई है। यही वजह है कि हर बार सैंपल लेकर जांच कराई जा रही है।
इस साल २२ मामले
इस साल रिश्वत के २२ मामले लोकायुक्त ने वर्ष २०२१ में रिश्वत के २४ मामले पकड़े थे और इस साल २०२२ में अभी तक २२ मामले हो गए हैं। सभी मामलों में वाॅइस रिकाॅर्डिंग ली जा रही है।
रिश्वतखोरी पर टेक्नोलॉजी से कर रहे प्रहार: लोकायुक्त के बाद अब ईओडब्ल्यू भी वॉइस रिकॉर्डिंग पर दे रही ध्यान
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