रिश्वतकांड में पकड़ा गया तो चबा गया था ACB अधिकारी की उंगली, मामले में कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

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रिश्वतकांड में पकड़ा गया तो चबा गया था ACB अधिकारी की उंगली, मामले में कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

रिश्वतकांड में पकड़ा गया तो चबा गया था ACB अधिकारी की उंगली, मामले में कोर्ट ने लिया बड़ा फैसला

अजमेर : राजस्थान के अजमेर जिले में एसीबी के विशेष न्यायालय ने लगभग 18 साल पुराने मामले में फैसला सुनाते हुए आरोपी चिकित्सक को बरी किया है। चिकित्सक पर इलाज के नाम पर 3 सौ रुपए की रिश्वत लेने और एसीबी की टीम को देखते ही नोट मुंह में खाने और इन्हें निकलवाने का प्रयास करने वाले एसीबी के अधिकारी की उंगली चबाने का भी आरोप था। एडीपी सत्यनारायण चितारा ने बताया कि सितंबर 2004 में मालपुरा के चांदसेन प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर पदस्थापित चिकित्सक डॉ. हरिशंकर पारीक को रिश्वत लेते पकड़ने के लिए एसीबी की टीम गई थी। इसके लिए परिवादी कन्हैयालाल ने एसीबी को रिपोर्ट दी थी।

मिली जानकारी के अनुसार कन्हैयालाल को जब ट्रेप किया गया, और जैसे ही उसने रिश्वत की राशि ली तो चिकित्सक ने एसीबी से बचने के लिए नोटों को चबाने की कोशिश की। इस दौरान एसीबी के अधिकारी ने उसके मुंह से नोट निकालने की कोशिश की, तो आरोपी ने अधिकारी की उंगली चबा डाली थी। घटना के बाद एसीबी की ओर से मुकदमा दर्ज किया गया। रिपोर्ट में एसीबी अधिकारी के साथ आरोपी चिकित्सक की ओर से किए गए कृत्य का भी जिक्र किया गया था। इस आरोप के तहत न्यायालय में चालान पेश किया गया और इसी के आधार पर दलीलें दी गई।

आरोपी के एडवोकेट प्रीतम सिंह सोनी ने कहा कि उन्होंने आरोपी की पैरवी करते हुए तकनीकी तथ्यों के आधार पर न्यायाधीश के समक्ष दलीलें दी। साथ ही परिवादी के दोस्त की ओर से रंजिशजन कार्रवाई करने के तथ्य भी पेश किए।

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अतिक्रमण हटवाने का लिया बदला
एडवोकेट प्रीतम सिंह सोनी ने बताया कि परिवादी कन्हैयालाल के दोस्त रूपनारायण ने अस्पताल के पास अतिक्रमण कर रखा था। जिसे डॉ. पारीक ने हटवा दिया था। इससे रूपनारायण उससे रंजिश रखने लगा और इसका बदला लेने के लिए उसने स्वयं अपने दोस्त परिवादी कन्हैयालाल की ओर से डॉक्टर पारीक के खिलाफ रिपोर्ट लिख कर दी थी, जो एसीबी अधिकारी ने भी कोर्ट के समक्ष कबूल की।

गवाहों ने नहीं देखा रिश्वत प्राप्त करते
एडवोकेट सोनी ने कहा कि मामले में किसी भी गवाह ने चिकित्सक को रिश्वत राशि प्राप्त करते हुए नहीं देखा था। क्योंकि चेंबर में केवल परिवादी ही गया था। इसे भी न्यायाधीश के समक्ष आधार बनाया गया।

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कुल 11 गवाह और 29 दस्तावेज
मामले में कुल 11 गवाह और 29 दस्तावेज पेश किए गए। सोनी ने कहा कि उनके सभी तर्कों और गवाहों से सहमत होकर विशिष्ठ सेशन न्यायाधीश संदीप शर्मा ने आरोपी डॉ. हरिशंकर पारीक को दोष मुक्त करने का फैसला सुनाया।

रिपोर्ट: नवीन वैष्णव

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