रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत किया, वृद्धि दर का अनुमान घटाया

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रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत किया, वृद्धि दर का अनुमान घटाया

रिजर्व बैंक ने रेपो दर को 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत किया, वृद्धि दर का अनुमान घटाया

मुंबई, सात दिसंबर (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुख्य रूप से महंगाई को काबू में लाने के मकसद से बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो 0.35 प्रतिशत और बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दी।

इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है।

रेपो दर वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। इसमें वृद्धि का मतलब है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा होगा और मौजूदा ऋण की मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ेगी।

मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सोमवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने टेलीविजन पर प्रसारित बयान में कहा, ‘‘मौजूदा आर्थिक स्थिति पर विचार करते हुए एमपीसी ने नीतिगत दर रेपो 0.35 प्रतिशत बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत करने का निर्णय किया है।’’

रेपो दर में इस वृद्धि दर के साथ स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर समायोजित होकर छह प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर तथा बैंक दर 6.50 प्रतिशत हो गयी है।

हालांकि, रेपो दर में वृद्धि की यह गति पिछली चार बार की वृद्धि के मुकाबले कम है और बाजार इसकी उम्मीद कर रहा था।

आरबीआई मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये इस साल मई से लेकर अबतक कुल पांच बार में रेपो दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है। इससे पहले, मई में रेपो दर 0.40 प्रतिशत तथा जून, अगस्त तथा सितंबर में 0.50-0.50 प्रतिशत बढ़ाई गयी थी।

केंद्रीय बैंक नीतिगत दर पर निर्णय करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई पर गौर करता है और यह पिछले 11 महीने से रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति अक्टूबर महीने में 6.7 प्रतिशत रही थी।

आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।

दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने बहुमत के आधार पर नीतिगत दर में वृद्धि का निर्णय किया।

आरबीआई के बयान के अनुसार, एमपीसी सदस्य डॉ. शशांक भिडे, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देबव्रत पात्रा और शक्तिकांत दास ने नीतिगत दर 0.35 प्रतिशत बढ़ाने के पक्ष में मतदान किया, वहीं प्रोफेसर जयंत आर वर्मा ने इसके खिलाफ वोट किया।

इसके साथ एमपीसी ने मौद्रिक नीति को लेकर उदार रुख वापस लेने पर ध्यान देते रहने का भी निर्णय किया।

आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को सात प्रतिशत से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है।

इससे पहले, सितंबर में भी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में भी आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत किया गया था।

हालांकि, दास ने कहा, ‘‘ आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को मामूली रूप से घटाकर 6.8 प्रतिशत करने के बावजूद भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था बना हुआ है और वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था आकर्षक गंतव्य बनी हुई है।’’

वहीं आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। साथ 2022-23 की चौथी तिमाही में इसके छह प्रतिशत की उच्च सीमा से नीचे आने का अनुमान जताया है।

दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने कीमत स्थिति से निपटने के लिए तेजी से कदम उठाने के साथ लचीला रुख बनाये रखा है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि नकदी समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत अक्टूबर नवंबर के दौरान दैनिक आधार पर औसतन 1.4 लाख करोड़ रुपये वापस लेने के बावजूद बैंकों में नकदी के स्तर पर अधिशेष की स्थिति बनी हुई है। जबकि अगस्त-सितंबर के दौरान 2.2 लाख करोड़ औसतन रोजाना वापस लिये गये थे।

मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक छह से आठ फरवरी, 2023 को होगी।

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