राष्ट्रपति चुनाव में BJP ने नीतीश कुमार ऐसे उलझाया, मुंह बाए रह गए तेजस्वी और तेजप्रताप यादव!

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राष्ट्रपति चुनाव में BJP ने नीतीश कुमार ऐसे उलझाया, मुंह बाए रह गए तेजस्वी और तेजप्रताप यादव!

पटना: राष्ट्रपति चुनाव में NDA की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समर्थन दे दिया है। द्रौपदी मुर्मू को जेडीयू का समर्थन मिलने से बिहार में मुख्य विपक्षी दल आरजेडी को सबसे ज्यादा निराशा हुई होगी। इफ्तार पार्टी के बहाने नीतीश कुमार से रिश्ते सुधारने में जुटे लालू प्रसाद यादव की फैमिली को राष्ट्रपति चुनाव के बहाने जेडीयू ने संदेश दे दिया है। इफ्तार पार्टी के बाद तेजप्रताप यादव जहां बिहार में सरकार बदलने की भविष्यवाणी कर रहे थे, वहीं तेजस्वी यादव जातीय जनगणना जैसे मुद्दे के जरिए नीतीश कुमार से अपने रिश्ते सुधरने का संकेत दे रहे थे। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव के जरिए जेडीयू ने आरजेडी को संदेश दे दिया है कि कुछ मुद्दों पर बीजेपी के साथ मतभेद जरूर हैं लेकिन आखिरकार बिहार में एनडीए एकजुट है। इसके साथ दोबारा से आरजेडी के साथ जेडीयू गठबंधन की संभावना भी खत्म होती दिख रही है।

पिछले एक सप्ताह से तीनों सेनाओं में बहाली की प्रक्रिया अग्निपथ को लेकर जेडीयू और बीजेपी में तलवारें खींच गई थी। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह के बीच बेहद तीखी बयानबाजी हुई थी। इसके बाद बीजेपी कोटे के बिहार सरकार में मंत्री नीरज कुमार बबलू ने जेडीयू को गठबंधन से अलग होने तक की चुनौती दे दी थी। इन बयानबाजी के बाद बिहार की राजनीति में अटकलों का बाजार गरम था। हालांकि नीतीश कुमार ने राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की प्रत्याशी को समर्थन देकर विरोधियों को साफ मैसेज दिया है।

बीजेपी ने खेला ऐसा दांव फंस गए नीतीश!
सियासत में शह-मात का खेल कोई नई बात नहीं है। राष्ट्रपति चुनाव की सुगबुगाहट के बाद से ही बिहार में प्रत्याशी को लेकर कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन सबकी नजर जेडीयू के नेता नीतीश कुमार पर टिकी थी। इस बीच, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार बना कर ऐसी सधी चाल चली की जेडीयू के सामने मुर्मू के समर्थन के अलावा कोई रास्ता ही नहीं बचा।

राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए जेडीयू के नेताओं ने नीतीश कुमार को योग्य उम्मीदवार बता चुके थे। बाद में हालांकि नीतीश कुमार ने खुद को इससे किनारा कर लिया था। दरअसल, नीतीश कुमार राष्ट्रपति चुनाव में अपने निर्णयों से चौंकाते रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते पर भी गौर करें, तो विभिन्न मुद्दों को लेकर दोनों दलों के नेता आमने सामने आते रहे हैं, जिस कारण कहा जाता है कि दोनों के रिश्ते में गांठ पड़ी हुई है। इस कारण लोगों की खास नजर नीतीश पर टिकी हुई थी।

पिछले राष्ट्रपति चुनाव में जब नीतीश कुमार आरजेडी के साथ मिलकर सरकार चला रहे थे तो उन्होंने अलग लाइन लेते हुए राजग उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन किया था। इससे पहले, 2012 में जब नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के साथ सरकार चला रहे थे और उस वक्त प्रणब मुखर्जी यूपीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार बने थे तो नीतीश ने बीजेपी से अलग लाइन लेते हुए प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति चुनाव के लिए समर्थन किया था।
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इस चुनाव में बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू के नाम पर ऐसी चाल चली की, जेडीयू को भी समर्थन देने के लिए विवश होना पड़ा। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने बुधवार को अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट कर लिखा, ‘राष्ट्रपति के चुनाव में गरीब परिवार में जन्मी एक आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिद्धांतत: महिला सशक्तिरण एवं समाज के शोषित वर्गों के प्रति समर्पित रहे हैं। जेडीयू मुर्मू की उम्मीदवारी का स्वागत एवं समर्थन करती है।’ लोजपा (रामविलास) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा पहले ही मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है।
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द्रौपदी मुर्मू के नाम पर नीतीश ने पीएम को दिया धन्यवाद
राष्ट्रपति चुनाव में NDA की ओर से झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाए जाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है। नीतीश कुमार ने बुधवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा, ‘द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जाना खुशी की बात है। द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला हैं। एक आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च पद के लिए उम्मीदवार बनाया जाना अत्यंत प्रसन्नता की बात है।’

उन्होंने आगे लिखा है कि द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा सरकार में मंत्री और इसके बाद झारखण्ड की राज्यपाल भी रह चुकी हैं। उन्होंने बताया कि मंगलवार को प्रधानमंत्री ने बात कर इसकी जानकारी दी थी कि द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री को भी इसके लिए हृदय से धन्यवाद। इससे पहले जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को पार्टी द्वारा समर्थन दिए जाने की घोषणा की है। ललन सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति के चुनाव में गरीब परिवार में जन्मी एक आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू उम्मीदवार हैं।
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सिद्धांतत: महिला सशक्तिरण एवं समाज के शोषित वर्गों के प्रति समर्पित रहे हैं। जनता दल (यू) मुर्मू की उम्मीदवारी का स्वागत एवं समर्थन करती है। विपक्षी दलों ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद के लिए अपना सर्वसम्मत उम्मीदवार घोषित किया। राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जून है, जबकि मतदान 18 जुलाई को होगा। मतों की गिनती 21 जुलाई को होगी।

मुर्मू को समर्थन देने के लिए क्यों मजबूर हुए नीतीश कुमार?
नीतीश कुमार ने 2005 में सत्ता संभालने के बाद से ही समाज में महिलाओं को आगे लाने के लिए शराबबंदी, दहेज प्रथा उन्मुलन, पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण, बिहार सरकार की नौकरियों में महिलाओं के लिए सीटें रिजर्व करना जैसे कई कदम उठा चुके हैं। इन फैसलों के जरिए नीतीश कुमार अपनी छवि महिला सशक्तिकरण के पक्षकार के रूप में बनाए हुए हैं। ऐसे में अगर वह द्रौपदी मुर्मू का विरोध करते तो शायदा वह बैठे बिठाए बीजेपी को मुद्दा दे सकते थे। इसके अलावा नीतीश सरकार में आने के साथ ही खुद को दलित हितैषी के रूप में पेश करते रहे हैं। इसी के तहत उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री तक बनाया था। इसके अलावा दशरथ मांझी को अपनी कुर्सी पर बिठाया था। साथ ही नीतीश कुमार ने महादलित कैटेगरी बनाकर बिहार के दलितों को विशेष सुविधाएं मुहैया कराई थी। वहीं द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समाज की महिला हैं। ऐसे में अगर नीतीश कुमार द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ जाते तो ना केवल विरोधी पार्टियां बल्कि सहयोगी बीजेपी भी इन मुद्दों को उछालकर उनके खिलाफ माहौल बना सकती थी।

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