राष्ट्रपति चुनाव: मत के मूल्य बदले, NDA कैंडिडेट की राह फिर भी आसान; जानें पूरा गणित

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राष्ट्रपति चुनाव: मत के मूल्य बदले, NDA कैंडिडेट की राह फिर भी आसान; जानें पूरा गणित

जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) में इस बार सांसदों के मतों का मूल्य कम होना तय माना जा रहा है। इससे राष्ट्रपति चुनाव रोचक हो सकता है, बावजूद इसके चुनावी समीकरण ज्यादा प्रभावित नहीं होंगे। बीजद और वाईएसआर कांग्रेस जैसे तटस्थ दलों की मदद से एनडीए के लिए अपने उम्मीदवार को जिता लेना जरा भी कठिन नहीं होगा।

दरअसल, जम्मू-कश्मीर विधानसभा के भंग होने के कारण इस बार राज्य विधानसभाओं के सदस्यों (विधायकों) का मत मूल्य 5,49,595 से घटकर 5,43,231 रह गया है। इसका सीधा असर सांसदों के मत मूल्य पर पड़ा है, जो प्रति सांसद 708 से घटकर 700 रह जाएगा। इस प्रकार 776 सांसदों का कुल मत मूल्य 5,43,200 रह जाएगा, जबकि पूर्व में यह 5,49,408 था।

मतों का कुल मूल्य 10.86 लाख के करीब

इस प्रकार इसबार राष्ट्रपति चुनावों के लिए सांसदों एवं विधायकों के मतों का कुल मूल्य 10,86,431 होगा। जीतने के लिए किसी एक पक्ष को इसका 50 फीसदी यानी 5,43,216 संख्या हासिल करनी होगी। यदि जम्मू-कश्मीर विधानसभा मौजूद होती तो कुल 4,120 विधायकों एवं 776 सांसदों (लोकसभा 543 तथा राज्यसभा 233) की कुल वोट वैल्यू 10,98,903 बैठती है। जीत के लिए 5,49,452 मतों की जरूरत होती।

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एनडीए के पास 454 सांसदों का समर्थन

सूत्रों की मानें तो एनडीए के पास लोकसभा के 336 तथा राज्यसभा के 118 सांसदों का समर्थन हासिल होने की संभावना है। इस प्रकार उसके कुल मतों का मूल्य 5,14,063 के करीब बनता है। ऐसे में जीत के लिए उसे करीब 29-30 हजार मतों की अैर जरूरत होगी।

BJD-YSR का समर्थन

सूत्रों की मानें तो बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस इस मामले में सरकार को समर्थन दे सकते हैं, जिनके विधायकों एवं सांसदों की संख्या से आसानी से यह समर्थन हासिल किया जा सकता है। हाल में इन दलों की तरफ से ऐसे संकेत भी दिए गए हैं। संसद में कई मौकों पर ये सरकार के संकटमोचक बने हैं।

हालांकि, जम्मू-कश्मीर विधानसभा के भंग होने के कारण मत मूल्य में अंतर होने से चुनाव रोचक होता दिख रहा है। क्योंकि, जम्मू-कश्मीर की चार राज्यसभा सांसदों की सीटें भी खाली हैं। इसके अलावा जब चुनाव होंगे तो उस दौरान भी सांसदों एवं विधायकों की कुछ सीटें रिक्त हो सकती हैं। उधर, विपक्ष की तरफ से अपना उम्मीदवार उतारे जाने की पूरी संभावना है। जानकारों का कहना है कि नतीजे जो भी विपक्ष इस बहाने एकजुट होकर संदेश देने की कोशिश करेगा। विपक्ष सिर्फ सरकार के पत्ते खोले जाने का इंतजार कर रहा है।



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