राशन में गड़बड़ी, नहीं दे रहे गेहूं, महंगा बेच रहे नमक | FIR on ration shop seller in Satna | Patrika News
जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने राशन दुकान में खाद्यान्न की जांच जब पीओएस मशीन में दर्ज स्टाक से जांच की तो 173 क्विंटल गेहूं, 311 क्विंटल चावल, 0.78 क्विंटल शक्कर और 32 क्विंटल मूंग कम पाई गई। कम मिली खाद्यान्न सामग्री के प्रचलित बाजार मूल्य या ईकोनॉमिक कास्ट की गणना में 19,63,460 रुपए बकाया के रूप में वसूली योग्य पाए गए।
बता दें कि गरीबों को बंटने के लिए आया राशन हितग्राहियों को न देकर गल्ला कारोबारी दिये जाने की सूचना स्थानीय ग्रामीणों से मिलने पर एसडीएम एचके धुर्वे ने 13 अक्टूबर को मौके पर पहुंच कर जांच की थी। जांच में बड़े पैमाने पर सरकारी खाद्यान्न सड़क पर अन्यत्र पाया गया था। इसकी जब्ती बनाते हुए सरपंच सहित स्थानीय जनों के सुपुर्द कर दिया था। इसके बाद कनिष्ट आपूर्ति अधिकारियों ने मामले की विस्तृत जांच की। पत्रिका ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
यह कमी भी मिली
जांच में मिला कि विक्रेता पीओएस मशीन से मिलने वाली विक्रय पर्ची नहीं देता है। अक्टूबर का गेहूं वितरित नहीं किया है। नमक ज्यादा महंगी दर पर दिया जा रहा है। दुकान भी नियमित नहीं खोली जाती है। इन सबके आधार पर माना गया कि विक्रेता रामशिरोमणि तिवारी द्वारा खाद्यान्न वितरण में अनियमितता करते हुए सतीश गुप्ता के साथ मिलीभगत कर शासकीय खाद्यान्न की कालाबाजारी की गई है। जो म.प्र. सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश की कंडिका 16 व आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत दण्डनीय है। इस आधार पर दोनों के विरुद्ध उचेहरा थाने में एफआइआर दर्ज की गई है।
कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों ने जब विक्रेता रामशिरोमणि तिवारी के बयान लिए तो उसने बताया कि खाद्यान्न हितग्राहियों को ही दिया था और हितग्राही आगे जाकर यह खाद्यान्न गल्ला व्यापारी को बेच रहे थे। उधर गल्ला व्यापारी ने भी विक्रेता सतीश गुप्ता के सुर में सुर मिलाते हुए यही बात कही। जब गल्ला व्यापारी से उपज क्रय करने का लाइसेंस मांगा गया तो वह प्रस्तुत नहीं कर सका।
जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने राशन दुकान में खाद्यान्न की जांच जब पीओएस मशीन में दर्ज स्टाक से जांच की तो 173 क्विंटल गेहूं, 311 क्विंटल चावल, 0.78 क्विंटल शक्कर और 32 क्विंटल मूंग कम पाई गई। कम मिली खाद्यान्न सामग्री के प्रचलित बाजार मूल्य या ईकोनॉमिक कास्ट की गणना में 19,63,460 रुपए बकाया के रूप में वसूली योग्य पाए गए।
बता दें कि गरीबों को बंटने के लिए आया राशन हितग्राहियों को न देकर गल्ला कारोबारी दिये जाने की सूचना स्थानीय ग्रामीणों से मिलने पर एसडीएम एचके धुर्वे ने 13 अक्टूबर को मौके पर पहुंच कर जांच की थी। जांच में बड़े पैमाने पर सरकारी खाद्यान्न सड़क पर अन्यत्र पाया गया था। इसकी जब्ती बनाते हुए सरपंच सहित स्थानीय जनों के सुपुर्द कर दिया था। इसके बाद कनिष्ट आपूर्ति अधिकारियों ने मामले की विस्तृत जांच की। पत्रिका ने इस मामले को प्रमुखता से प्रकाशित किया था।
यह कमी भी मिली
जांच में मिला कि विक्रेता पीओएस मशीन से मिलने वाली विक्रय पर्ची नहीं देता है। अक्टूबर का गेहूं वितरित नहीं किया है। नमक ज्यादा महंगी दर पर दिया जा रहा है। दुकान भी नियमित नहीं खोली जाती है। इन सबके आधार पर माना गया कि विक्रेता रामशिरोमणि तिवारी द्वारा खाद्यान्न वितरण में अनियमितता करते हुए सतीश गुप्ता के साथ मिलीभगत कर शासकीय खाद्यान्न की कालाबाजारी की गई है। जो म.प्र. सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश की कंडिका 16 व आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की धारा 3/7 के तहत दण्डनीय है। इस आधार पर दोनों के विरुद्ध उचेहरा थाने में एफआइआर दर्ज की गई है।
कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारियों ने जब विक्रेता रामशिरोमणि तिवारी के बयान लिए तो उसने बताया कि खाद्यान्न हितग्राहियों को ही दिया था और हितग्राही आगे जाकर यह खाद्यान्न गल्ला व्यापारी को बेच रहे थे। उधर गल्ला व्यापारी ने भी विक्रेता सतीश गुप्ता के सुर में सुर मिलाते हुए यही बात कही। जब गल्ला व्यापारी से उपज क्रय करने का लाइसेंस मांगा गया तो वह प्रस्तुत नहीं कर सका।