राम मंदिर लिए नहीं दिया चंदा तो स्कूल हेडमिस्ट्रेस को किया सस्पेंड? दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

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राम मंदिर लिए नहीं दिया चंदा तो स्कूल हेडमिस्ट्रेस को किया सस्पेंड? दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी किया नोटिस

हाइलाइट्स

  • दिल्ली की महिला हेडमिस्ट्रेस का आरोप- कम चंदा देने पर किया सस्पेंड
  • हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा- मेरा सस्पेंशन खत्म करवाया जाए
  • हेडमिस्ट्रेस ने कहा- पिछले साल जानबूझकर भलस्वा किया था ट्रांसफर

नई दिल्ली
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक स्कूल की प्रधानाध्यापिका की तरफ दायर एक याचिका पर नोटिस जारी किया है। नोटिस में आरोप लगाया गया है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए धन दान नहीं करने के लिए उसे प्रशासन की तरफ से सस्पेंड कर दिया गया था। महिला ने यह भी दावा किया कि सैलरी भी कम मिल रही है। हेडमिस्ट्रेस ने अपना सस्पेंशन खत्म करने और पूरे वेतन के साथ अपनी नौकरी बहाल करने के निर्देश देने की मांग की है।

बिना किसी कारण भलस्वा ब्रांच में किया ट्रांसफर
हेडमिस्ट्रेस ने आरोप लगाया कि मंदिर परियोजना के लिए पैसे दान करने में सक्षम नहीं होने के कारण उसे दंडित किया जा रहा है। महिला टीचर का दावा है कि पिछले साल अगस्त में बिना किसी कारण के उसका अचानक स्कूल की भलस्वा ब्रांच में ट्रांसफर कर दिया गया था। याचिका में आरोप लगाया गया कि उसे स्कूल से उसकी सभी डायरी और अन्य सामान लेने का समय नहीं दिया गया।

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70 हजार से 1 लाख रुपये जुटाने को कहा
महिला टीचर ने कहा कि स्कूल सोसायटी की तरफ से सभी स्टाफ को फरवरी 2021 में राम मंदिर निर्माण के उद्देश्य से सभी स्टाफ को 70 हजार रुपये से 1 लाख रुपये तक इकट्ठा करने को कहा गया था। याचिका में आरोप लगाया गया कि स्कूल स्टाफ को छात्रों या उनके माता-पिता से या बाजार जाकर दुकानदारों या आम जनता से पैसे जुटाने के लिए कहा गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि किसी भी क्लास की क्लास टीचर नहीं होने के कारण और अपने परिवार की खराब वित्तीय स्थिति के कारण उन्होंने खुद 70 हजार रुपये देने में असमर्थता जाहिर की।

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महिला टीचर ने सिर्फ 2100 रुपये का दिया दान
याचिका में कहा गया कि यह राशि समर्पण के नाम पर वार्षिक दान राशि के अतिरिक्त थी। याचिकाकर्ता को राम मंदिर के लिए 70,000 रुपये और समर्पण के लिए 15,000 रुपये का योगदान करने के लिए मजबूर किया गया। महिला टीचर के अनुसार उसने पैसे की बेहद तंगी के बावजूद 03.03.2021 को राम मंदिर के लिए 2,100 रुपये का दान दिया। इसके बाद उसने समर्पण में किसी भी तरह की राशि देने से इनकार कर दिया।

जातिवादी टिप्पणी करने का झूठा आरोप
याचिका में आगे दावा किया गया है कि शिक्षक पर स्कूल के इशारे पर कुछ पैरंट्स की तरफ से जातिवादी टिप्पणी करने का “झूठा आरोप” लगाया जा रहा है। याचिका में कहा गया है कि 20 साल का अनुभव होने के बावजूद उन पर अक्षम होने का भी आरोप लगाया गया था। उच्च न्यायालय ने स्कूल और समाज के रुख को सुनने के लिए 17 दिसंबर की तारीख तय की है।



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