राज ठाकरे की सभा के पहले MNS ऑफिस क्यों पहुंचे एकनाथ शिंदे, आगामी चुनाव में होगा गठबंधन? समझिये सियासी मायने

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राज ठाकरे की सभा के पहले MNS ऑफिस क्यों पहुंचे एकनाथ शिंदे, आगामी चुनाव में होगा गठबंधन? समझिये सियासी मायने

राज ठाकरे की सभा के पहले MNS ऑफिस क्यों पहुंचे एकनाथ शिंदे, आगामी चुनाव में होगा गठबंधन? समझिये सियासी मायने


मुंबई: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने गुड़ी पाडवा की शाम शिवाजी पार्क में एक जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान राज ठाकरे ने जमकर लाउडस्पीकर सहित मौजूदा राजनीतिक हालात पर बयानबाजी की। हालांकि, राज ठाकरे के भाषण में यह सब होगा, इस बात को लोग लगभग जानते थे। मगर इससे भी ज्यादा हैरान कर देने वाली बात यह है कि राज ठाकरे की जनसभा के पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई से कुछ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद डोंबिवली में एमएनएस की शाखा में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। हालांकि, इस तरह से अचानक एकनाथ शिंदे का एमएनएस कार्यालय में जाना महाराष्ट्र की सियासत में चर्चा का विषय बना हुआ है। अभी तक इसके पीछे की असल वजह भी सामने नहीं आई है। बावजूद इसके राज्य की सियासत में इसके सियासी मायने निकालने की कवायद शुरू हो गई है। शिंदे के इस कदम के बाद यह चर्चा भी शुरू हो गई है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और एकनाथ शिंदे गुट आगामी चुनावों में हाथ मिला सकते हैं। खासतौर पर बीएमसी इलेक्शन में इसकी बानगी देखने को मिल सकती है।

खैर इस तरह की चर्चा इसके पहले भी छिड़ी थी, जब कुछ महीने पहले मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री दोनों लोगों ने राज ठाकरे के एक कार्यक्रम में शिरकत कर मंच साझा किया था। हालांकि, उसके बाद यह बात महज एक अफवाह ही साबित हुई थी।

गठबंधन पर वरिष्ठ लेंगे फैसला
इस मुद्दे पर एमएनएस विधायक राजू पाटिल ने कहा कि गठबंधन के मुद्दे पर फैसला पार्टी के प्रमुख राज ठाकरे ही लेंगे। पाटिल ने कहा की सीएम डोंबिवली में आये हुए थे। इसलिए मैंने उनसे विनती की थी कि वो एकबार हमारे एमएनएस के कार्यालय में आएं। उन्होंने मेरी विनती को स्वीकार किया और हमारे डोंबिवली के पार्टी कार्यालय पर आए। यह उनका बड़प्पन है कि उन्होंने अपने व्यस्त कार्यक्रम में से मेरे लिए भी वक्त निकाला।

एमएनएस के साथ गठबंधन करेगी शिंदे सेना
जहां तक बात एमएमएस के साथ गठबंधन की है तो फिलहाल इसके आसार नजर नहीं आ रहे हैं। बीएमसी चुनाव को अभी होने में कुछ महीनों के समय है। इसके साथ ही अगले साल विधानसभा और लोकसभा के चुनाव भी होने हैं। ऐसे में भविष्य गठबंधन होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है। बीएमसी चुनाव में बीजेपी यह जानती है कि शिंदे सेना का मुंबई में कोई बड़ा वर्चस्व नहीं है। ऐसे में एमएनएस के साथ गठबंधन से उनके नेता कभी इनकार नहीं करते हैं।

हालांकि, यह भी सही है कि अगर बीजेपी एमएनएस के साथ खुलेआम गठबंधन का ऐलान करती है तो उसे मुंबई में उत्तरभारतीय मतदाताओं की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। इस वजह से बीजेपी के नेता कई यह कह चुके हैं कि एमएनएस को गठबंधन के लिए अपना एजेंडा बदलना होगा। राज ठाकरे भी अब मराठी मानुस की राजनीति से कुछ कदम आगे आकर अब हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने के लगे हुए हैं।

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