राजस्थान से सऊदी गए मजदूर की कहानी सुनकर भर जाएंगी आंखें, मौत के 50 दिनों बाद नसीब हुई मुखाग्नि

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राजस्थान से सऊदी गए मजदूर की कहानी सुनकर भर जाएंगी आंखें, मौत के 50 दिनों बाद नसीब हुई मुखाग्नि

प्रमोद तिवारी, भीलवाड़ा: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के पोटला गांव का गरीब मजदूर नारायण रेगर सात समंदर पार सऊदी अरब में गया, तो अपने परिवार की माली हालत सुधारने। मगर वतन वापसी के 2 दिन पूर्व भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई और उसके शव को अग्नि मिलने में लगे पूरे 50 दिन लग गए। ऐसा इसलिए क्योंकि सऊदी अरब की कानूनी प्रक्रिया में लगने वाले 1 लाख 71 हजार उसके परिवार के पास नहीं थे। बताया जा रहा है कि जिस मालिक के पास वह काम करता था ,उसकी वहां 2 महीने की मजदूरी ₹64500 भी बाकी ही रह गई।

2 दिन पूर्व अपने परिजनों को फोन कर कहा था- घर आ रहा हूं
मजदूर नारायण रेगर सऊदी अरब के शहर बीशा में अपने मालिक के बगीचे की देखभाल करता था । उसने वतन वापसी के लिए 27 दिसंबर 2021 को टिकट भी बुक करवा लिया था । साथ ही 2 दिन पूर्व अपने परिजनों को फोन कर सूचना भी दे दी थी, मगर 25 दिसंबर 2021 को ही संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी मौत हो गई। उसका शव सऊदी अरब के जेद्दाह से नई दिल्ली एयरपोर्ट पर शनिवार को पहुंचा ।

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50 दिन बाद हुआ अंतिम संस्कार
इसके बाद भीलवाड़ा जिला कलेक्टर आशीष मोदी के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर मुस्ताक खान नई दिल्ली पहुंचे। यहां एयरपोर्ट पर एंबुलेंस भिजवा कर उसका शव पैतृक गांव पोटला पहुंचाया। इसी तरह 50 दिन बाद उसका अंतिम संस्कार हो सका।

नारायण की मौत की वजह बताई जा रही है सुसाइड
पता चला है कि नारायण रेगर की मौत के दस्तावेज पर सुसाइड का ठप्पा लगा हुआ है। शव के भारत पहुंचाने के लिए सऊदी अरब की कानूनी प्रक्रिया और इसमें लगने वाली ₹1,71, 000 की राशि नारायण के परिजनों के पास उपलब्ध नहीं थी। इसके कारण इस के शव को अग्नि मिलने में पूरे 50 दिन इंतजार करना पड़ा।

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ऐसे पहुंच पाया नारायण का शव पैतृक गांव तक
नारायण के शव को भारत लेने परिजनों ने अखिल भारतीय रैगर महासभा युवा प्रकोष्ठ संपर्क किया था। इसके बाद जिला अध्यक्ष सोहन लाल रेगर के सहयोग से भीलवाड़ा लोकसभा सदस्य सुभाष बहेडिया ,सहाड़ा विधायक गायत्री त्रिवेदी और जिला कलेक्टर आशीष मोदी से संपर्क किया। कलेक्टर के निर्देश पर ही नारायण का शव दिल्ली से उसके पैतृक गांव पोटला लाया गया। इसमें सऊदी अरब में मार्बल व्यापार करने वाले भेरु लाल माली का भी बड़ा सहयोग रहा।

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