राजस्थान में बड़ा नवाचार : सस्ती बिजली से करेंगे ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन | Product of green summary from cheap electricity | Patrika News
प्रदेश में बड़े उद्योगों में यह हाइड्रोजन उपयोग में आएगी और इससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा।
इसके लिए प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट और पार्क विकसित होंगे। अभी 1 लाख 30 हजार करोड़ निवेश के लिए सात कंपनियां पहुंच भी चुकी है। राजस्थान देश में पहला राज्य है, जहां यह पॉलिसी लागू हो रही है। अभी तक केन्द्र सरकार ने यह पॉलिसी लागू की है। खास यह है कि इसकी उत्पादन दर और कम हो, इसके लिए विश्वविद्यालयों, रिसर्च इंस्टीट्यूट में अनुसंधान भी होगा।
वित्त विभाग के पास ड्राफ्ट ऊर्जा विभाग ने पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार करवाकर मंजूरी के लिए वित्त विभाग को भेजा है। इस तरह बनेगी ग्रीन हाइड्रोजन बिजली जब पानी से होकर गुजारी जाती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है। इस हाइड्रोजन का इस्तेमाल ज्यादतर इण्डस्ट्रीज मेंह होता है। यदि हाइड्रोजन बनाने में इस्तेमाल होने वाली बिजली अक्षय ऊर्जा से ले रहे हैं तो इससे प्रदूषण नहीं होता। इस तरह बनी हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है। इसी से अमोनिया भी बनाई जाती है।
इन इण्डस्ट्री में होगा उपयोग -पेट्रोलियम
-स्टील प्लांट
-रिफायनरी
-फर्टीलाइजर
-सीमेंट
-परिवहन
-विमानन क्षेत्र
(अभी हाइड्रोजन और अमोनिया आयात करनी पड़ रही है) कार्बन उत्सर्जन होगा कम सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। भारी उद्योगों को कार्बन मुक्त करने में मददगार साबित होने का दावा किया जा रहा है। स्टील और आयरन सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री में शामिल है।
सस्ती और ग्रीन दोनों फायदे -राज्य में सौर ऊर्जा की भरमार है। अभी क्षमता के अनुपात में 7 फीसदी भी उत्पादन नहीं किया जा रहा। इसी कारण ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का प्लान बनाया गया।
-अक्षय ऊर्जा 2.50 से 3 रुपए प्रति यूनिट मिल जाएगी, जबकि यही बिजली डिस्कॉम से लेते हैं तो 8 रुपए यूनिट पड़ती है।
फैक्ट फाइल -1 किलो हाइड्रोजन बनाने के लिए 50 यूनिट बिजली चाहिए
-25 मेगावाट क्षमता का प्लांट चाहिए एक किलो टन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए
छूट का पिटारा : शुरुआती 50 किलो टन प्लांट (प्रति वर्ष) क्षमता वाले प्लांट लगाने वाली कंपनियों के लिए ड्राफ्ट में विशेष छूट का प्रावधान किया है।
-ट्रांसमिशन और व्हिलिंग चार्ज से 100 प्रतिशत छूट। यह अभी एक से सवा रुपए प्रति यूनिट है।
-इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी माफ, यह 60 पैसे प्रति यूनिट है।
-अनुबंध डिमांड से तीन गुना तक अक्षय ऊर्जा प्लांट क्षमता की अनुमति
-क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज और अतिरिक्त सरचार्ज से छूट
-राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी डवलपमेंट फण्ड के रूप में 1 लाख रुपए प्रति मेगावाट (प्रति वर्ष) ही लेंगेँ जबकि, यह 2 लाख रुपए है।
प्रदेश में बड़े उद्योगों में यह हाइड्रोजन उपयोग में आएगी और इससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा।
इसके लिए प्रदेश में ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट और पार्क विकसित होंगे। अभी 1 लाख 30 हजार करोड़ निवेश के लिए सात कंपनियां पहुंच भी चुकी है। राजस्थान देश में पहला राज्य है, जहां यह पॉलिसी लागू हो रही है। अभी तक केन्द्र सरकार ने यह पॉलिसी लागू की है। खास यह है कि इसकी उत्पादन दर और कम हो, इसके लिए विश्वविद्यालयों, रिसर्च इंस्टीट्यूट में अनुसंधान भी होगा।
वित्त विभाग के पास ड्राफ्ट ऊर्जा विभाग ने पॉलिसी ड्राफ्ट तैयार करवाकर मंजूरी के लिए वित्त विभाग को भेजा है। इस तरह बनेगी ग्रीन हाइड्रोजन बिजली जब पानी से होकर गुजारी जाती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है। इस हाइड्रोजन का इस्तेमाल ज्यादतर इण्डस्ट्रीज मेंह होता है। यदि हाइड्रोजन बनाने में इस्तेमाल होने वाली बिजली अक्षय ऊर्जा से ले रहे हैं तो इससे प्रदूषण नहीं होता। इस तरह बनी हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है। इसी से अमोनिया भी बनाई जाती है।
इन इण्डस्ट्री में होगा उपयोग -पेट्रोलियम
-स्टील प्लांट
-रिफायनरी
-फर्टीलाइजर
-सीमेंट
-परिवहन
-विमानन क्षेत्र
(अभी हाइड्रोजन और अमोनिया आयात करनी पड़ रही है) कार्बन उत्सर्जन होगा कम सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे कार्बन उत्सर्जन नहीं होता है। भारी उद्योगों को कार्बन मुक्त करने में मददगार साबित होने का दावा किया जा रहा है। स्टील और आयरन सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री में शामिल है।
सस्ती और ग्रीन दोनों फायदे -राज्य में सौर ऊर्जा की भरमार है। अभी क्षमता के अनुपात में 7 फीसदी भी उत्पादन नहीं किया जा रहा। इसी कारण ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का प्लान बनाया गया।
-अक्षय ऊर्जा 2.50 से 3 रुपए प्रति यूनिट मिल जाएगी, जबकि यही बिजली डिस्कॉम से लेते हैं तो 8 रुपए यूनिट पड़ती है।
फैक्ट फाइल -1 किलो हाइड्रोजन बनाने के लिए 50 यूनिट बिजली चाहिए
-25 मेगावाट क्षमता का प्लांट चाहिए एक किलो टन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए
छूट का पिटारा : शुरुआती 50 किलो टन प्लांट (प्रति वर्ष) क्षमता वाले प्लांट लगाने वाली कंपनियों के लिए ड्राफ्ट में विशेष छूट का प्रावधान किया है।
-ट्रांसमिशन और व्हिलिंग चार्ज से 100 प्रतिशत छूट। यह अभी एक से सवा रुपए प्रति यूनिट है।
-इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी माफ, यह 60 पैसे प्रति यूनिट है।
-अनुबंध डिमांड से तीन गुना तक अक्षय ऊर्जा प्लांट क्षमता की अनुमति
-क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज और अतिरिक्त सरचार्ज से छूट
-राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी डवलपमेंट फण्ड के रूप में 1 लाख रुपए प्रति मेगावाट (प्रति वर्ष) ही लेंगेँ जबकि, यह 2 लाख रुपए है।