राजस्थान का चमत्कारी पत्थर! दूध को बना देता है दही

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राजस्थान का चमत्कारी पत्थर! दूध को बना देता है दही

जैसलमेर: रामचरित मानस की कहानियों में आपने सुना होगा कि नल और नील जिस पत्थर को छू लेते थे वह पानी में तैरने लगता था। इसके अलावा नेपाल के पारस पत्थर की कहानी सुनी होगी जिसके बारे में कहा जाता है उसके संपर्क में आने पर लोहा भी सोना बन जाता है। पत्थर के चमत्कार की ये दोनों बातें किंवदंतियों और किस्से कहानियों में सुनने को मिलती है। हम आपको एक ऐसे पत्थर पत्थर के चमत्कार के बारे में बता रहे हैं जिसे आप कभी भी खुद करके देख सकते हैं। राजस्थान में पाए जाने वाले इस पत्थर का चमत्कार है कि उसे दूध में डालते ही वह उसे दही बना देता है।

जैसलमेर में पाया जाता है चमत्कारी पत्थर

आमतौर पर दूध को दही जमाने के लिए जामन के रूप में छाछ, दही, नींबू का प्रयोग किया जाता है, लेकिन इस चमत्कारी पत्थर का कमाल है कि यह दूध को दही बना देता है। यह चमत्कारी पत्थर राजस्थान के जैसलमेर में पाया जाता है। इसे स्थानीय भाषा में ‘हाबूरिया भाटा’ कहा जाता है। अगर आप इस पत्थर को अपने पास लाना चाहते हैं तो आपको जैसलमेर से 50 किलोमीटर दूर हाबूरगांव जाना होगा।

पत्थर से क्यों दूध बन जाता है दही

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हाबूरगांव के लोग इसी पत्थर की मदद से दूध से दही जमाते हैं। यूं कहें कि गांव के लोग ‘हाबूरिया भाटा’ का प्रयोग जामन के रूप में करते हैं। जानकार बताते हैं कि ‘हाबूरिया भाटा’ में एमिनो एसिड, फिनायल एलिनिया, रिफ्टाफेन टायरोसिन पाए जाते हैं जो दूध से दही जमाने में सहायक होते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि प्राचीन काल में जैसलमेर में समंदर था, जिसका नाम तैती सागर। मौसम में परिवर्तन के चलते यहां से पानी खत्म हो गया लेकिन समंदर में पाई जाने वाली रेत रेगिस्तान में बदल गया। इलाके पानी के खत्म होने चलते समंदर में पाए जाने वाले जीवाश्म जैसे घास आदि चीजें मिट्टी में दब गई। करोड़ों वर्ष में यह पत्थर में तब्दील हो गया। ऐसे पत्थरों को फासिल्स कहते हैं। फासिल्स पत्थर में समुंदरी जीवाश्म की मात्रा होने की चलते यह दही जमा देता है। खास बात यह है कि इस चमत्कारी पत्थर की मदद से जमने वाला दही सौंधी खूशबू वाला होता है, जिसके चलते यहां आने वाले पर्यटक इसकी लस्सी को बेहद चाव से गटकते हैं। यहां के लोग इस पत्थर से बने बर्तन में दूध डालकर रातभर के लिए रख देते हैं सुबह वह दही बन जाता है।

हाबूरिया भाटा पत्थर से तैयार होते हैं बर्तन और मूर्ति

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चमत्कारी पत्थर ‘हाबूरिया भाटा’ में कलाकारी करना भी आसान होता है। इस वजह से इससे सुंदर नक्काशी वाले बर्तन, मूर्ति और खिलौने तैयार किए जाते हैं। इस पत्थर का रंग हल्का सुनहरा और चमकीला होता है। इस वजह से इससे बने सामान बेहद आकर्षक होते हैं। बताया जाता है कि विदेशों में इस पत्थर और इससे बने सामान की भारी डिमांड है। यहां तक कि ताजमल में भी कई जगह नक्काशी वाली जगहों पर इस पत्थर का प्रयोग है।

विदेशों में है चमत्कारी पत्थर की भारी डिमांड

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इस चमत्कारी पत्थर को देखने व खरीदने के लिए पर्यटकों को लाइन लगी रहती है. इस पत्थर से बर्तन, मूर्ति और खिलौने भी बनाए जाते हैं जिनकी बिक्री भारी मात्रा में होती है. इस पत्थर का रंग हल्का सुनहरा और चमकीला होता है. इससे बनी मूर्तियां लोगों को खूब आकर्षित करती हैं. ग्रामीणों के मुताबिक यह पत्थर ताजमहल सहित कई जगहों पर लगा हुआ है. हाबूर गांव के लोग इसी पत्थर के उपयोग से दूध से दही जमाते हैं और सैकड़ो सालों से इस चमत्कारी पत्थर का प्रयोग करते आ रहे हैं. यहां आने वाले सैलानी हाबूर पत्थर के बने बर्तन भी अपने साथ ले जाते हैं. इस पत्थर से बने बर्तनों की मांग यहां हमेशा बनी रहती है.

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