राजस्थान कई जिलों में फैला टोमैटो फ्लू, लेकिन प्रशासन मौन, स्कूली बच्चों में संक्रमण का अधिक खतरा

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राजस्थान कई जिलों में फैला टोमैटो फ्लू, लेकिन प्रशासन मौन, स्कूली बच्चों में संक्रमण का अधिक खतरा

राजस्थान कई जिलों में फैला टोमैटो फ्लू, लेकिन प्रशासन मौन, स्कूली बच्चों में संक्रमण का अधिक खतरा

जयपुर: कोरोना और मंकी पॉक्स वायरस पर अभी पूरी तरह काबू पाया भी नहीं गया। इसी बीच देश में एक और नई बीमारी ने चिंता बढ़ा दी है। बच्चों में तेजी से फैलने वाला हैंड फुट एंड माउथ डिजीज टोमैटो फ्लू (tomato fever) यानी कॉक्ससैकी वायरस ए16 के मरीज तेजी से बढ़े लगे हैं। देश के कई राज्यों में टोमैटो फ्लू के मरीज मिलने पर केंद्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की है। केंद्र सरकार द्वारा एडवाइजरी जारी करने के बावजूद राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमण को गंभीरता से नहीं लिया। इसका नतीजा यह रहा कि टोमैटो फ्लू संक्रमण अब राज्य में भी पांव पसारने लगा है। जयपुर, कोटा सहित कई जिलों में टोमैटो फ्लू के मरीज मिले हैं। संक्रमण को रोकने के लिए राज्य सरकार ने अभी तक किसी तरह के निर्देश नहीं दिए हैं। ऐसे में अब बच्चों में संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। टोमेटो फ्लू का असर अब तक केरल, हरियाणा, तमिलनाडु, ओडिशा और दिल्ली में नजर आ चुका है।

अभी कोई दवा नहीं, लक्षणों से ही इलाज

एसएमएस अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दीपक माथुर ने बताया कि टोमैटो फ्लू सामान्य वायरस की तरह है। बीते कुछ दिनों से संक्रमण के केस अधिक आए हैं, जो चिंताजनक है। इसमें फ्लू में मरीज के शरीर पर रैशेस बनते हैं, बुखार आता है और शरीर पर गांठ जैसे महसूस होता है। त्वचा पर टमाटर की तरह चकते पड़ते हैं और उन पर तेज खुजली चलती है। डॉ. माथुर ने बताया कि वायरस का इन्फेक्शन अधिक होने पर कई बार थकावट, मिचली आना, पतली दस्त, बुखार, पानी की कमी, गांठों में सूजन, शरीर में दर्द और न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम भी बढ़ती है। डॉ. माथुर ने बताया कि टोमैटो फ्लू के इलाज के लिए अभी तक किसी तरह की दवा नहीं बनी है। लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जा रहा है। अभी तक वैक्सीन भी डेवलप नहीं है।
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स्कूली बच्चों में संक्रमण का अधिक खतरा

नवजात और कम उम्र के बच्चों में यह फ्लू अधिक पाया जाता है। स्कूल जाने वाले बच्चों में यह बीमारी सामान्य तौर पर कम होती है। बच्चों के नैपकिन इस्तेमाल करने, गंदी सतह छूने, चीजों को सीधे मुंह में डालने से यह संक्रमण होता है। डॉ. माथुर ने बताया कि मरीज को 5-7 दिन के लिए आइसोलेट किया जाता है ताकि यह संक्रमण अन्य लोगों में ना फैले। इस संक्रमण से बचने का सबसे अच्छा तरीका सफाई रखना, आस-पास गंदगी नहीं होने देना, बच्चों को कपड़े, खिलौने, खाना, आदि को संक्रमित होने से बचाना है।

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