राजस्थान : उपनेता प्रतिपक्ष Rajendra Rathore के खिलाफ पेश किया विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव, सदन में जमकर हुआ हंगामा
राठौड़ और स्पीकर जोशी के बीच हुई तकरार
अध्यक्ष डॉ जोशी ने मंगलवार को लोढ़ा को राजस्थान विधानसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 157 के तहत प्रस्ताव पढ़ने की अनुमति दी। लेकिन जैसे ही उन्होंने अनुमति दी राठौड़ ने आपत्ति शुरू कर दी। मामले के अदालत में विचाराधीन होने का जिक्र किया। भाजपा के कई और विधायक भी बोलने लगे। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने इस संबंध में विरोध जताया। इस दौरान जोशी और राठौड़ में तीखी नोक झोंक हुई। राठौड़ ने कहा, ‘आप सत्ता पक्ष की अंदरूनी लड़ाई को ऐसा करके ढक नहीं सकते, विशेषाधिकार पर टुकड़ों में फैसला गलत है।’
20 मिनट तक सत्ता पक्ष और विपक्ष चली तकरार
जोशी ने कहा, ‘मैंने सोच समझकर इस प्रस्ताव की अनुमति दी है। इस पर अभी चर्चा नहीं हो रही है। अभी वह लोढ़ा को अपनी बात कहने की अनुमति दे रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘सदन के सदस्यों को मालूम होना चाहिए कि विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव कैसे आता है। बहुत से लोगों को मालूम नहीं है। विशेषाधिकार प्रस्ताव नियम कानून के तहत आता है यह लोगों को सिखाना जरूरी है।’ उन्होंने विपक्षी सदस्यों को फटकार लगाते हुए कहा कि वह ‘आसन को निर्देशित नहीं कर सकते।’ इसको लेकर लगभग 20 मिनट तक सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के विधायकों के बीच तनातनी और नोक झोंक होती रही।
संयम लोढ़ा ने कही ये बातें
अपना प्रस्ताव पढ़ते हुए लोढ़ा ने कहा, ‘अध्यक्ष महोदय मुझे सिर्फ यही कहना है कि क्या इस सदन में बैठकर हम सब लोग अपने संस्थान को कमजोर करने का काम कर रहे हैं। क्या यह सदन राजस्थान उच्च न्यायालय के अधीन है कि राजस्थान उच्च न्यायालय इस सदन को निर्देशित करेगा। क्या हम विधानसभा में किसी प्रश्न का जवाब नहीं मिलने पर, किसी प्रस्ताव का जवाब नहीं आने पर इसके लिए उच्च न्यायालय में जाएंगे।’ उन्होंने कहा, ‘उच्च न्यायालय में किसी मामले का निर्णय नहीं हो तो क्या यह विधानसभा उच्च न्यायालय को कह सकती है कि आप फैसला करिए। जब यह विधानसभा नहीं कह सकती तो उच्च न्यायालय कैसे इस विधानसभा को निर्देशित कर सकता है।’
लोढ़ा ने कहा, ‘सदन के बहुत वरिष्ठ सदस्य राठौड़ के आचरण ने राजस्थान की सात करोड़ जनता को अपमानित किया है। लांछित किया है, जिनकी आकांक्षाओं की पूर्ति का यह सदन माध्यम है… इसलिए इसकी जांच और इसका प्रतिवेदन सदन में प्रस्तुत किया जाए।’ इसके बाद जोशी ने कहा, ‘आप और हम सब जानते हैं कि संविधान के अंतर्गत विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका की शक्तियां परिभाषित हैं। मैं इस प्रस्ताव पर सोचकर निर्णय करूंगा।’
राठौड़ ले गए थे विधायकों के इस्तीफे के मुद्दा कोर्ट में
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समर्थक विधायकों के 25 सितंबर को दिए गए इस्तीफों के मुद्दे को उपनेता राजेंद्र राठौड़ उच्च न्यायालय में ले गए थे। यह मामला अदालत में विचाराधीन है। इस मामले में विधानसभा सचिव की ओर से सोमवार को अदालत में बताया गया कि विधायकों ने स्वेच्छा से इस्तीफे नहीं दिए थे, इसलिए डॉ जोशी ने इन्हें स्वीकार नहीं किया।
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