राकेश टिकैत बोले- 1 साल के आंदोलन के साथ कड़ी ट्रेनिंग करके आए किसान, 30-40 साल तक करते रहेंगे ये काम
किसानों की घर वापसी के बाद भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोमवार को अमृतसर में कहा कि किसान एक साल के आंदोलन की ट्रेनिंग करके आए हैं। हर मौसम में उनकी फिजिकल ट्रेनिंग हुई और इस ट्रेनिंग में वो कामयाब भी रहे। अब आगे 30-40 साल तक ये काम करते रहेंगे। टिकैत ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में दर्शन करने के बाद यह बात कही।
जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानून वापस लिए जाने और किसानों की अन्य मांगें स्वीकार करने के बाद किसान अब अपने-अपने घरों को वापस लौट गए हैं। सर्दी, गर्मी, बारिश और कोरोना महामारी के बावजूद एक साल से भी अधिक समय तक दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करने वाले किसान इसे अपनी जीत के तौर पर देख रहे हैं।
राकेश टिकैत ने शनिवार को बताया था कि अब किसान अपने-अपने घर जा रहे हैं, लेकिन हम 15 दिसंबर को घर जाएंगे क्योंकि देश में हजारों धरने चल रहे हैं, हम पहले उन्हें समाप्त करवाएंगे और उन्हें घर वापस भेजेंगे। लोगों ने प्रदर्शन स्थल खाली करने भी शुरू कर दिए हैं, इसमें 4-5 दिन लगेंगे। मैं 15 दिसंबर को निकलूंगा।
Amritsar | Farmers trained for the movement for a year. This physical training under all weather conditions has been completed now. They have succeeded in the training, can now work for the next 30-40 years: BKU leader Rakesh Tikait on farm movement pic.twitter.com/c2GBqZ4g05
— ANI (@ANI) December 13, 2021
राकेश टिकैत ने कहा था कि किसानों के आंदोलन को सफल बनाने में डॉक्टरों, अस्पतालों, खाप पंचायतों, सफाई कर्मियों, गुरुद्वारा समिति और अन्य गुरुधामों ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि आंदोलन सफल हुआ क्योंकि गुरु साहिब की कृपा थी। यहां तक कि तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषण भी गुरुपरब को हुई। किसान आंदोलन ने भाईचारे को और मजबूत किया है।
गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 19 नवंबर को किसानों की मुख्य मांगों में से एक विवादास्पद तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की गई थी। इसके लिए 29 नवंबर को संसद में एक विधेयक पारित किया गया था। हालांकि, किसानों ने यह मांग करते हुए अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त करने से इनकार कर दिया था कि सरकार उनकी अन्य मांगों को पूरा करे जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी और किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेना शामिल है। उसके बाद किसानों की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी व अन्य मांगों पर संयुक्त किसान मोर्चा व केंद्र सरकार के बीच समझौता होने के बाद किसान नेताओं ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से चल रहे आंदोलन को समाप्त करने की घोषणा की थी।
किसानों की घर वापसी के बाद भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सोमवार को अमृतसर में कहा कि किसान एक साल के आंदोलन की ट्रेनिंग करके आए हैं। हर मौसम में उनकी फिजिकल ट्रेनिंग हुई और इस ट्रेनिंग में वो कामयाब भी रहे। अब आगे 30-40 साल तक ये काम करते रहेंगे। टिकैत ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में दर्शन करने के बाद यह बात कही।
जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानून वापस लिए जाने और किसानों की अन्य मांगें स्वीकार करने के बाद किसान अब अपने-अपने घरों को वापस लौट गए हैं। सर्दी, गर्मी, बारिश और कोरोना महामारी के बावजूद एक साल से भी अधिक समय तक दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करने वाले किसान इसे अपनी जीत के तौर पर देख रहे हैं।
राकेश टिकैत ने शनिवार को बताया था कि अब किसान अपने-अपने घर जा रहे हैं, लेकिन हम 15 दिसंबर को घर जाएंगे क्योंकि देश में हजारों धरने चल रहे हैं, हम पहले उन्हें समाप्त करवाएंगे और उन्हें घर वापस भेजेंगे। लोगों ने प्रदर्शन स्थल खाली करने भी शुरू कर दिए हैं, इसमें 4-5 दिन लगेंगे। मैं 15 दिसंबर को निकलूंगा।
Amritsar | Farmers trained for the movement for a year. This physical training under all weather conditions has been completed now. They have succeeded in the training, can now work for the next 30-40 years: BKU leader Rakesh Tikait on farm movement pic.twitter.com/c2GBqZ4g05
— ANI (@ANI) December 13, 2021
राकेश टिकैत ने कहा था कि किसानों के आंदोलन को सफल बनाने में डॉक्टरों, अस्पतालों, खाप पंचायतों, सफाई कर्मियों, गुरुद्वारा समिति और अन्य गुरुधामों ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि आंदोलन सफल हुआ क्योंकि गुरु साहिब की कृपा थी। यहां तक कि तीनों कानूनों को वापस लेने की घोषण भी गुरुपरब को हुई। किसान आंदोलन ने भाईचारे को और मजबूत किया है।
गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले साल 26 नवंबर से राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 19 नवंबर को किसानों की मुख्य मांगों में से एक विवादास्पद तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की गई थी। इसके लिए 29 नवंबर को संसद में एक विधेयक पारित किया गया था। हालांकि, किसानों ने यह मांग करते हुए अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त करने से इनकार कर दिया था कि सरकार उनकी अन्य मांगों को पूरा करे जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी और किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेना शामिल है। उसके बाद किसानों की फसल पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी व अन्य मांगों पर संयुक्त किसान मोर्चा व केंद्र सरकार के बीच समझौता होने के बाद किसान नेताओं ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से चल रहे आंदोलन को समाप्त करने की घोषणा की थी।