राकेश झुनझुनवाला वो नाम जो मिट्टी को छू ले तो बन जाती है सोना, 36 साल में 5,000 रुपये को कैसे बनाया 40,000 करोड़

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राकेश झुनझुनवाला वो नाम जो मिट्टी को छू ले तो बन जाती है सोना, 36 साल में 5,000 रुपये को कैसे बनाया 40,000 करोड़

राकेश झुनझुनवाला वो नाम जो मिट्टी को छू ले तो बन जाती है सोना, 36 साल में 5,000 रुपये को कैसे बनाया 40,000 करोड़

नई दिल्‍ली: राकेश झुनझुनवाला…दलाल स्‍ट्रीट का जाना-माना नाम… शख्‍स जिसके बारे में कहा जाता है कि वो मिट्टी भी छू ले तो सोना बन जाती है। 36 साल पहले राकेश झुनझुनवाला (Rakesh Jhunjhunwala) ने निवेश के सफर की शुरुआत की थी। सिर्फ 5,000 रुपये से। आज उनकी नेटवर्थ तकरीबन 40 हजार करोड़ रुपये की है। मंगलवार को बिग बुल 62 साल के हो गए। उनका जादुई हाथ जिस शेयर पर पड़ जाता है वो रातोंरात बुलंदियों पर पहुंच जाता है। यही कारण है कि उनकी हर चाल पर निवेशकों की नजर रहती है। शेयरों को चुनने में उनकी पैनी नजर बेजोड़ है। जब उन्‍होंने निवेश की शुरुआत (Jhunjhunwala investment journey) की थी तभी से यह बात सच साबित होने लगी थी। इसी के चलते राकेश झुनझुनवाला भारत के वॉरेन बफे (Warren Buffet) के नाम से मशहूर हो गए।

बात 1985 की है। तब बंबई शेयर बाजार (बीएसई) का सेंसेक्‍स 150 अंकों के करीब था। उन दिनों लोग शेयर बाजार को बहुत कम समझते थे। आम लोगों की तो यह धारणा थी कि ये सट्टा के सिवा कुछ नहीं है। बाजार आज की तरह बहुत रेगुलेटेड भी नहीं था। निवेश के विकल्‍प बहुत सीमित थे। लोगों का भरोसा बैंक एफडी वगैरह पर ही होता था। उस समय राकेश झुनझुनवाला ने दलाल स्‍ट्रीट में एंट्री मारी थी। निवेश के लिए उनके हाथों में 5,000 रुपये की पूंजी थी। वह एक मध्‍यम परिवार से आते थे। 1985 से ही झुनझुनवाला ने ट्रेडिंग की शुरुआत की थी।

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शुरुआत करते ही म‍िली बड़ी सफलता
ट्रेडिंग शुरू करने के एक साल बाद यानी 1986 में झुनझुनवाला के हाथों में बड़ी सफलता लगी। इस सौदे में उन्‍होंने 5 लाख रुपये का मुनाफा कमाया था। उन्‍होंने टाटा टी के 5 हजार शेयर 43 रुपये के भाव पर खरीदे थे। तीन महीनों में शेयर का भाव बढ़कर 143 रुपये हो गया था। यानी उनके निवेश का मूल्‍य तीन गुना बढ़ गया था।

झुनझुनवाला ने कॉलेज में पढ़ते हुए ही शेयर बाजार में दस्‍तक दे दी थी। इंस्‍टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट से उन्‍होंने सीए की डिग्री ली। हालांकि, उन्‍हें दलाल स्‍ट्रीट से मोहब्‍बत हो गई थी। उन्हें यकीन था क‍ि अगर कहीं से बड़ा पैसा बनाया जा सकता है तो वह सिर्फ यही जगह है। शेयर बाजार में झुनझुनवाला की दिलचस्‍पी पिता के कारण हुई। उनके पिता टैक्‍स ऑफिसर थे। वह अक्‍सर अपने दोस्‍तों के साथ शेयर बाजार की बातें किया करते थे। झुनझुनवाला को इसमें बड़ा मजा आता था।

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पिता की कही इस बात को हमेशा रखते हैं याद
अपने पिता का हवाला देकर झुनझुनवाला एक किस्‍सा बताते रहते हैं। उन्‍होंने बेटे को रोजाना अखबार पढ़ने की सलाह दी थी। पिता का कहना था कि खबरों के कारण ही बाजार में उठापटक होती है। वैसे तो शेयर बाजार में उतरने से पिता ने कभी मना नहीं किया, लेकिन उन्‍होंने इसके लिए झुनझुनवाला की कोई वित्‍तीय मदद भी नहीं की।

हालांकि, राकेश झुनझुनवाला को शेयर बाजार का चस्‍का लग चुका था। वह शुरुआत से जोखिम लेने वाले थे। उन्‍होंने भाई के क्‍लाइंटों से पैसा उधार लिया। वादा किया कि वह इस पैसे पर उन्‍हें बैंक के फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट से ज्‍यादा रिटर्न देंगे। उनका हर दांव सही पड़ा। उनके पोर्टफोलियो में आज करीब 33 शेयर हैं। इनका मूल्‍य 25 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा है। इन शेयरों में टाइटन, टाटा मोटर्स, स्‍टार हेल्‍थ एंड एलायड इंश्‍योरेंस कंपनी, मेट्रो ब्रांड्स, फोर्टिस हेल्‍थकेयर, नजारा टेक्‍नोलॉजीज, डीबी रियल्‍टी और टाटा कम्‍यूनिकेशंस शामिल हैं। उनका सबसे ज्‍यादा निवेश टाइटन में है। इसके बाद स्‍टार हेल्‍थ और मेट्रो ब्रांड्स का नंबर आता है।

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झुनझुनवाला के धैर्य में छुपा है सफलता का राज
राकेश झुनझुनवाला की सफलता का सबसे बड़ा राज है उनका धैर्य। 2008 की मंदी के बाद उनके शेयरों का भाव 30 फीसदी लुढ़क गया था। हालांकि, उन्‍होंने धैर्य नहीं खोया। सार्वजनिक मंचों पर भी निवेशकों को वह यही राय देते हैं। सिर्फ चार साल में उन्‍होंने अपने नुकसान की पूरी भरपाई कर ली। 2012 में वह अपने पूरे नुकसान से उबर गए। इस दौरान झुनझुनवाला ने न तो कभी रोना रोया न कभी कोई शिकायत की।

5 जुलाई 1960 को जन्‍मे झुनझुनवाला RARE एंटरप्राइजेज नाम की निजी ट्रेडिंग फर्म चलाते हैं। इसकी नींव उन्‍होंने 2003 में रखी थी। इस कंपनी के पहले दो शब्‍द ‘RA’ उनके नाम पर हैं। वहीं, ‘RE’ उनकी पत्‍नी रेखा के नाम के शुरुआती शब्‍द हैं। हाल में राकेश झुनझुनवाला ने एविएशन इंडस्‍ट्री में कदम रखे हैं। उनकी एयरलाइन का नाम आकासा है। यह एयरलाइन इस महीने के अंत तक अपनी सेवाएं शुरू कर सकती है। 21 जून को कंपनी को अपने पहले बोइंग 737 मैक्‍स एयरक्राफ्ट की डिलीवरी मिली थी।

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