राइट टु हेल्थ बिल प्रोटेस्ट में हो गई गुटबाजी, जानिए किस मांग की वजह से अलग हुए प्राइवेट और रेजिडेंट डॉक्टर्स

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राइट टु हेल्थ बिल प्रोटेस्ट में हो गई गुटबाजी, जानिए किस मांग की वजह से अलग हुए प्राइवेट और रेजिडेंट डॉक्टर्स

राइट टु हेल्थ बिल प्रोटेस्ट में हो गई गुटबाजी, जानिए किस मांग की वजह से अलग हुए प्राइवेट और रेजिडेंट डॉक्टर्स


जयपुर: प्राइवेट डॉक्टरों और निजी अस्पताल संचालकों की हड़ताल के दौरान मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों के रेजिडेंट्स ने भी कार्य बहिष्कार किया। इस दौरान निजी अस्पताल संचालकों का दावा था कि राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में रेजिडेंट्स डॉक्टर्स प्राइवेट डॉक्टरों का समर्थन कर रहे हैं। जबकि ऐसा नहीं था। पिछले एक सप्ताह के दो दो घंटे का कार्य बहिष्कार करने वाले रेजिडेंट्स अपनी मांगे मनवा कर काम पर लौट आए हैं। जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट्स डॉक्टर्स (जार्ड) और अलग- अलग जिलों की रेजिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों की बुधवार 29 मार्च को चिकित्सा विभाग के सचिव टी. रविकांत के साथ वार्ता की। वार्ता के बाद कार्य बहिष्कार को स्थगित करके गुरुवार 30 मार्च की सुबह से काम पर लौटने का वादा किया।

निजी अस्पताल संचालकों के साथ नहीं रेजिडेंट डॉक्टर्स

रेजिडेंट डॉक्टर्स की अलग -अलग एसोसिएशन के प्रतिनिधियों का कहना है कि वे रेजिडेंट्स की विभिन्न मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार कर रहे थे। जो मांगे थी, वे सरकार के सामने रखी गई। 4 मांगों पर सहमति बन गई है। इसके बाद कार्य बहिष्कार का निर्णय स्थगित कर दिया गया। रेजिडेंट्स की मांगों को देखकर स्पष्ट हो रहा है कि इनके कार्य बहिष्कार का राइट टू हेल्थ बिल से कोई वास्ता नहीं था। रेजिडेंट डॉक्टर्स इस बिल के खिलाफ नहीं हैं। निजी डॉक्टर जिन्हें अपने समर्थन में बता रहे थे, वे अब उनके साथ नहीं है।

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ये मांगे थी रेजिडेंट डॉक्टर्स की

रेजिडेंट डॉक्टर्स की एसोसिएशन के विभिन्न पदाधिकारियों के मुताबिक सीनियर रेजिडेंट्स के पदों पर नियुक्त डॉक्टर को वर्तमान वेतन में डीए के साथ एचआरए का प्रस्ताव वित्त विभाग को जल्द भेजा जाए। 2020 और उसके बाद के रेजिडेंट्स के लिए बांड पॉलिसी में सीनियर रेजिडेंट की अलॉटमेंट प्रक्रिया की प्रभावी नीति बनाने के लिए रेजिडेंट्स एसोसिएशन के पदाधिकारी शामिल होंगे। रेजिडेंट्स, सीनियर रेजिडेंट्स और डीएनबी रेजिडेंट्स के कार्य बहिष्कार, डे-ऑफ, राजकीय अवकाश में समायोजित होंगे। रेजिडेंट्स के एचआरए में बढोतरी के लिए प्रस्ताव वित्त विभाग को तत्काल प्रेषित किया जाएगा। डॉक्टरों की हड़ताल पर राज्य मानवाधिकार आयोग ने स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है। जस्टिस जीके व्यास ने चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग के तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है।

रेजिडेंट्स का एक गुट अभी भी कर रहा विरोध

रेजिडेंट्स डॉक्टर की एसोसिएशन के पदाधिकारियों द्वारा कार्य बहिष्कार का स्थगित करने और काम पर लौटने के ऐलान को कुछ रेजिडेंट्स ने गलत बताया है। दर्जनों रेजिडेंट्स बुधवार देर रात को मेडिकल होस्टल के बाहर एकत्रित हुए । उन्होंने कहा कि उनका कार्य बहिष्कार राइट टू हेल्थ के खिलाफ है। ऐसे में उनका कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। रेजिडेंट्स ने एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि उनकी यूनियन के पदाधिकारियों का अपहरण हो गया है। वे दो दिन से हमारे संपर्क में नहीं है। कार्य बहिष्कार का निर्णय किस दबाव में लिया गया, यह तो पदाधिकारियों के सामने आने के बाद ही पता चलेगा। रेजिडेंट्स के दो धड़ों में बंटने पर चिकित्सा व्यवस्थाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। (रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)

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