रसूखदार मार रहे आदिवासियों के हक पर डाका | Influential people are being robbed on the rights of tribals | Patrika News

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रसूखदार मार रहे आदिवासियों के हक पर डाका | Influential people are being robbed on the rights of tribals | Patrika News

रसूखदार मार रहे आदिवासियों के हक पर डाका | Influential people are being robbed on the rights of tribals | Patrika News

– फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाण-पत्र बनवाकर झोंक रहे सरकार की आंख में धूल
– आदिवासियों के हक पर डाका, फर्जीवाड़े पाई नौकरी… पदोन्नति लेकर नौकरी पूरी
– अपना प्रदेश तो छोडि़ए पड़ोसी राज्य के भी चाप रहे मलाई
– विभागीय निष्क्रियता इतनी की कई तो जांच चलते-चलते सेवानिवृत्त हो गए

भोपाल@रूपेश मिश्रा

प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाकों में हक पर डाका डालने का खुला खेल चल रहा है। कई विभागों को लेकर पत्रिका टीम को लगातार मिल रही शिकायतों की पड़ताल में सामने आया कि अनुसूचित जनजाति के फर्जी प्रमाण-पत्र से न सिर्फ सरकारी नौकरी मिली बल्कि पदोन्नत होकर सुख-सुविधाएं भी भोग रहे हैं। अंधेरगर्दी का आलम देखिए कि पड़ोसी राज्य का एक व्यक्ति प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण-पत्र के आधार पर प्राचार्य बन गया। ऐसे लोग भी हैं जो पिछड़ा वर्ग के होने के बावजूद अनुसूचित जनजाति का प्रमाण-पत्र बनवाकर सरकारी नौकरी कर रहे हैं। अकेले डिंडौरी के 88 लोगों पर अनुसूचित जनजाति का फर्जी जाति प्रमाण-पत्र बनवाकर सरकारी नौकरी पाने का आरोप है। जांच में इन्हें दोषी भी पाया जा चुका है। इसके बावजूद इनके खिलाफ कार्रवाई करना किसी जिम्मेदार की प्राथमिकता में नहीं। आरटीआई कार्यकर्ता मुरलीधर मिश्रा का कहना है कि आदिवासी बहुल इलाकों में ऐसे हजारों मामले हैं। सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान छेड़ कर कार्रवाई करनी चाहिए।

हक पर डाका-01
नाम– दयाशंकर राव
पद– प्राचार्य जो कि प्रथम श्रेणी का पद है, जनजाति कार्य विभाग
रिटायरमेंट– 31 अगस्त 2022
आरोप– यूपी में अनुसूचित जनजाति का प्रमाण-पत्र, एमपी में आरक्षण का लाभ लेकर नौकरी
ये है मामला– उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिले के डुगौली ग्राम के रहने वाले दयाशंकर राव अनुसूचित जनजाति के हैं। नियमों के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को आरक्षण का लाभ सिर्फ अपने ही राज्य में मिलता है। राव ने उत्तरप्रदेश के अनुसूचित जनजाति प्रमाण-पत्र के बाद भी आरक्षण का लाभ लेते हुए मध्य प्रदेश में नौकरी के साथ ही चार बार पदोन्नति भी ली। इसकी शिकायत कलेक्टर से लेकर मुख्य सचिव तक से की गई लेकिन किसी ने कार्रवाई की जेहमत नहीं उठाई। इन पर सर्विस बुक से पूरे दस्तावेज गायब कराने के भी आरोप हैं। कलेक्टर और संभागायुक्त ने सर्विस बुक से खुद दस्तावेज लेने चाहे लेकिन नहीं दिए गए। वहीं सर्विस बुक के पहले पेज से भी छेड़छाड़ की। इनकी सर्विस बुक के पहले पेज में व्हाइटनर लगाकर जन्मतिथि को 1957 की जगह 1960 बना दिया गया। इस बात का खुलासा आरटीआई के जरिए हुआ है।

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