योग के नाम पर आतंक की ट्रेनिंग? रियाज के गांव में PFI-SDPI पोस्टर की भरमार, पटना टेरर मॉड्यूल का वैशाली कनेक्शन

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योग के नाम पर आतंक की ट्रेनिंग? रियाज के गांव में PFI-SDPI पोस्टर की भरमार, पटना टेरर मॉड्यूल का वैशाली कनेक्शन

योग के नाम पर आतंक की ट्रेनिंग? रियाज के गांव में PFI-SDPI पोस्टर की भरमार, पटना टेरर मॉड्यूल का वैशाली कनेक्शन

हाजीपुर : जिहादी मंसूबा रखने वालों पर सुरक्षा एजेंसियों की पैनी नजर है। पटना के फुलवारीशरीफ में इस ‘मॉड्यूल’ का खुलासा हुआ था। इसके बाद इस केस से जुड़े हाई प्रोफाइल शातिरों की गिरफ्तारी भी हुई। बिहार के अलग-अलग जिलों के रहनेवाले 26 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई। इनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी भी की जा रही है। जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई हैं, उनमें वैशाली जिले का रियाज अहमद का भी नाम है। हालांकि अब तक रियाज से सुरक्षा एजेंसियों ने कॉन्टेट नहीं किया है, ना ही पूछताछ के लिए बुलाया गया है। फिलहाल वो किसी मीडियावालों से मिल भी नहीं रहा है। मगर घरवालों ने इतना जरूर कहा कि वो यहीं पर हैं।

गांव में जगह-जगह PFI-SDPI के पोस्टर

हाजीपुर से महुआ होते हुए मुजफ्फरपुर जानेवाली रोड पर करीब 35 किलोमीटर की दूरी पर रियाज अहमद का गांव है छोटकी छपड़ा। रोड के किनारे लगे बोर्ड बताते हैं कि छपड़ा गांव यही है। कटहरा थाने का ये गांव महुआ विधानसभा क्षेत्र में आता है और यहां से आरजेडी के मुकेश रोशन विधायक हैं। लोकसभा की बात की जाए तो हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में आता है, केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस यहां से सांसद हैं। छटकी छपड़ा गांव मुस्लिम बहुल है। गांव के करीब 70-80 फीसदी लोग मुसलमान हैं। यहां के ज्यादातर लोगों का घर पक्का का है। गांव में घुसते ही पीएफआई (Popular Front of India) और एसडीपीआई (Social Democratic Party of India) के पोस्टर दिख जाते हैं। जगह-जगह दीवारों में इन्हें चिपकाया गया है। इस पर भड़काऊ नारे भी लिखे हुए हैं। कोई भी इसे हटाने की जहमत नहीं उठाता है। आमतौर यहां के लोग खेती-बाड़ी या फिर बिजनेस करते हैं। मतलब की देश के दूसरे खुशहाल गावों की तरह छोटकी छपड़ा भी है। यहीं का रहनेवाला है रियाज अहमद। पक्का का मकान है। देखने से संपन्न लगता है। मगर देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में जिन 26 लोगों पर पटना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कराई है, उसमें रियाज का भी नाम है।
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पटना टेरर मॉड्यूल के FIR में रियाज अहमद का नाम
पटना के फुलवारीशरीफ में जिन लोगों की देश विरोधी साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तारी हुई है, वे सभी भी खाते-पीते परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक करोड़पति हैं। अच्छी तालीम मिली हुई है। अगर चाहते तो अपनी आनेवाली नस्लों की जीवन स्तर और बेहतर कर सकते थे। मगर उन्होंने इसके बारे में नहीं सोचा और देश को बर्बाद करने की फिराक में लग गए। वैशाली जिले के रियाज अहमद पर भी कुछ इसी तरह का इल्जाम है। मगर उसके लिए सुकून बस इतना है कि सुरक्षा एजेंसियों ने अब तक उसके दरवाजे पर दस्तक नहीं दी है। जबकि रियाज अहमद का नाम पटना टेरर मॉड्यूल की एफआईआर में शामिल है।
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बच्चों को योग सीखाने के नाम पर दे रहा था ट्रेनिंग?
गजवा-ए-हिंद (भारत में युद्ध के जरिए इस्लामिक राज्य की स्थापना करना) का मंसूबा रखनेवालों की लिस्ट में वैशाली का रियाज कब तक खैर मनाता है, देखनेवाली बात होगी। वैसे घरवालों के मुताबिक रियाज अपने गांव में ही रह रहा है लेकिन घर आने-जानेवाले लोगों से मुलाकात नहीं कर रहा। आरोपी रियाज अहमद के भाई मोहम्मद इम्तियाज ने कहा कि वो घर पर बच्चों को कसरत सिखाते थे। ज्यादातर बच्चे गांव के ही होते थे। उनके मुताबिक योग जैसी क्लास लगा कर स्थानीय मुस्लिम बच्चों को शारीरिक ट्रेनिंग दिया करते थे। खुद भी कसरत किया करते थे। रियाज के भाई ने बताया की मेडिकल दवाओं का काम करने वाला रियाज बच्चों को पढ़ाने का भी काम करते थे।
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SDPI की टिकट पर चुनाव लड़ चुका है रियाज
हालांकि, रियाज अहमद के साथ हमेशा रहने वाले उनके ड्राइवर इम्तियाज ने बताया की पार्टी की बैठकों के लिए कई जिलों में जाया करते थे। रियाज, पिछले दो विधानसभा चुनाव में महुआ सीट से SDPI का उम्मीदवार रह चुके हैं। हालांकि वो चुनाव हार गए। 5 भाइयों और एक बहन में रियाज सबसे छोटे हैं। उनकी पूरी पढ़ाई-लिखाई उत्तरप्रदेश से हुई है, जिसके बाद अपने गांव छोटकी छपड़ा लौटकर आए तो पार्टी (एसडीपीआई) का काम देखने लगे। स्थानीय स्तर पर आयुर्वेद दवाओं का काम भी करते हैं। गांव के लोगों को तो इस बात की भनक भी नहीं है कि रियाज अहमद पर देश के खिलाफ साजिश रचने का आरोप है। देश की बड़ी सुरक्षा एजेंसियां तलाश रही हैं। इसके गतिविधियों की भनक तक नहीं लगी। पटना पुलिस के एफआईआर में नाम होने के बावजूद स्थानीय कटहरा थाने की पुलिस ने भी खोजबीन करने की कोई जहमत नहीं उठाई।

रिपोर्ट- चंद्रमणि कुमार

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