ये जीत की सनक है या क्वॉलिटी क्यूरेटरों का अकाल… पिच से खिलवाड़ ने बर्बाद किया खेल!

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ये जीत की सनक है या क्वॉलिटी क्यूरेटरों का अकाल… पिच से खिलवाड़ ने बर्बाद किया खेल!


ये जीत की सनक है या क्वॉलिटी क्यूरेटरों का अकाल… पिच से खिलवाड़ ने बर्बाद किया खेल!

नई दिल्ली: वनडे 50-50 ओवरों का तो T20 20-20 ओवरों का होता है। इन दोनों ही फॉर्मेट में खेल का अलग रोमांच होता है। बल्लेबाज हो या गेंदबाज.. उसे कुछ पाने या खोने के लिए एक पारी लगती है। एक ही पारी में वह हीरो बन सकता है और वही पारी उसे विलेन भी बना सकती है, लेकिन टेस्ट की बात ही कुछ अलग है। इसका टेस्ट हर किसी को पसंद नहीं आता है। एक दिन में 90 ओवर फेंके जाते हैं और अधिकतम 5 दिन तक खेले जाने वाले टेस्ट में किसी भी खिलाड़ी को परीक्षा लेने और देने के लिए दो-दो पारियां मिलती हैं। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में आज भी टेस्ट को सर्वोपरि माना जाता है, इस फॉर्मेट को पसंद करने वालों की संख्या भारत में भी बड़ी है। बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी में हालांकि शुरुआती 3 टेस्ट में जो कुछ हुआ वो खेल प्रेमियों का मोह भंग करने वाला है।

किस दिन कितने विकेट?

  • पहले दिन: 14
  • दूसरे दिन: 16
  • तीसरे दिन: 1

किस पारी में कितने विकेट स्पिनरों के नाम?

  • भारत की पहली पारी: 9 विकेट
  • ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी: 7 विकेट
  • भारत की दूसरी पारी: 9 विकेट
  • ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी: एक विकेट

2-3 दिन में खेल हो रहा खत्म, इंदौर में पहले ही ओवर में पिच हुई एक्सपोज
नागपुर टेस्ट 3 दिन चला तो दिल्ली में लगभग ढाई दिन में खेल खत्म हो गया। इंदौर में इससे भी एक कदम आगे की सोच देखने को मिली। यहां तो दो दिन और सवा घंटे में काम तमाम हो गया। 5 दिवसीय टेस्ट को ढाई या 3 दिन का बनाने के पीछे सबसे बड़ी वजह औसत पिच रही। इसमें कोई शक नहीं कि हर टीम अपनी सहूलियत के अनुसार पिच तैयार करवाने की कोशिश करती है, जिससे कि उसे होम कंडीशन का फायदा मिल सके। इंदौर टेस्ट में जो कुछ देखने को मिला वह कतई खेल के लिहाज से ठीक नहीं कहा सकता है। टॉस के बाद फेंकी गई पहली बॉल से ही पिच एक्सपोज हो गई थी। यही वजह है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम के चतुर कप्तान स्टीव स्मिथ ने छठे ओवर से ही अपने स्पिन हथियारों को मोर्चे पर लगा दिया था।

पैट कमिंस की सोच से कहीं अधिक तेज निकले स्टीव स्मिथ, दांव पड़ गया उल्टा
नागपुर और दिल्ली में पैट कमिंस की तेज गेंदबाजी वाली सोच से ऑस्ट्रेलियाई टीम का घाटा हुआ था, लेकिन इंदौर में जब कमान स्मिथ के हाथ में आई तो उन्होंने नाथन लायन और दिल्ली टेस्ट में डेब्यू करने वाले कम अनुभवी मैथ्यू कुहनेमन का जबरदस्त इस्तेमाल करते हुए टीम इंडिया को सुखी और बेजान पिच पर पानी पिला दिया। पहले ही ओवर से गेंद गिरने के बाद न केवल नीची रह रही थी, बल्कि कैरी भी कर रही थी। स्मिथ को यह समझने में थोड़ी भी दिक्कत नहीं हुई। उनका पैंतरा काम भी आया और टीम इंडिया पहली पारी में 109 रनों पर ढेर हो गई। स्पिन खेलने में PhD माने जाने वाले चेतेश्वर पुजारा, कप्तान रोहित शर्मा, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर जैसे सूरमाओं ने घुटने टेक दिए।

शुभमन गिल की चोट सबसे बड़ा प्रमाण
पहली ही पारी में रन के लिए डाइव लगाने वाले शुभमन गिल की चोट काफी कुछ बयां कर रही थी। उनके पेट पर गहरी खरोंचें दिखाई दीं। गेंद औसतन 4.8 डिग्री टर्न ले रही थी। कई गेंदें तो लेग स्टंप के बाहर गिरने के बाद ऑफ स्टंप को छोड़कर निलकते दिखीं। हर बल्लेबाज का अंदाज गलत साबित हो रहा था। कई बार गेंद पैड पर लगती तो कई बार पैड को गच्चा देकर स्टंप्स ले उड़ी। ऐसा टर्निंग ट्रैक देखकर कमेंट्री कर रहे मैथ्यू हेडन का दिमाग चक्कर खाते दिखा तो पूर्व भारतीय कोच रवि शास्त्री और महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर भी दबी जुबां में उनसे सहमत नजर आए।

जीत की सनक या क्वॉलिटी क्यूरेटरों का अकाल?
पूरे मामले का लब्बोलुआब यह है कि इसमें कोई शक नहीं है कि ऑस्ट्रेलियाई टीम को स्पिन खेलने में समस्या होती है, जिसका फायदा उठाने के लिए टर्निंग विकेट का जाल बुना गया। नागपुर और दिल्ली में चाल कामयाब रही तो इंदौर में भी वैसी ही परिस्थितियां बनाई गईं। हालांकि, यहां खेल बिगड़ गया। इससे सवाल यह उठता है कि इस तरह के विकेट क्या सिर्फ जीत के लिए बनाए गए थे? या वाकई में दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के पास क्वॉलिटी क्यूरेटर नहीं हैं?

क्यों भारत में क्रिकेट के लिए ठीक नहीं ऐसी पिचें?
इनके जवाब तो BCCI ही दे सकती है, लेकिन कमेंट्री के दौरान हेडन ने जब पिच पर सवाल उठाए तो रवि शास्त्री ने होम कंडिशन की बात कही, जिससे हर कोई सहमत भी होगा। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया भी एशियाई टीमों के लिए तेज पिचें तैयार करते हैं। उनकी तेज गेंदबाजी से डराने की और जीतने की पूरी मंशा जगजाहिर है, लेकिन भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को यह समझना चाहिए कि अगर वह आज क्रिकेट के आसमान में चमकता हुआ तारा है तो इसके पीछे सिर्फ एक वजह हैं फैंस। हालांकि, जीत की सनक में जिस तरह की पिच तैयार हो रही है और मैच हो रहे हैं उससे फैंस अपने पसंदीदा खेल से दूरी बनाने के लिए मजबूर हो सकते हैं। यह ठीक वैसे ही हो सकता है, जैसा कि ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड या पाकिस्तान में हाल ही में देखने को मिला। वहां मुट्ठीभर क्राउड टेस्ट मुकाबलों को नहीं मिलता है, क्योंकि क्रिकेट बोर्डों का फोकस खेल से हटकर नतीजों पर हो गया है।
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