…ये अलवर वाले कमाऊ अंगद है, इन्हें डीजीपी भी नहीं हिला पाते | these are the earning Angads of Alwar, even the DGP can’t shake them | Patrika News

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…ये अलवर वाले कमाऊ अंगद है, इन्हें डीजीपी भी नहीं हिला पाते | these are the earning Angads of Alwar, even the DGP can’t shake them | Patrika News

…ये अलवर वाले कमाऊ अंगद है, इन्हें डीजीपी भी नहीं हिला पाते | these are the earning Angads of Alwar, even the DGP can’t shake them | Patrika News

वहीं, पुलिस थानों में स्पेशल टीम में लगे काफी पुलिसकर्मी अधिकारियों के जुबानी या मौखिक आदेश पर लगे हुए हैं जबकि उनकी मूल पोस्टिंग पुलिस लाइन में है। अधिकांश पुलिसकर्मी पिछले कई सालों से एक ही थाने में जमे हुए हैं और थानाधिकारियों के चहेते बने हुए हैं। थानों में मंथली उगाही से लेकर जुआ, सट्टा, शराब, वेश्यावृत्ति और मादक पदार्थों की बेचान जैसे अवैध काम करा रहे हैं। इतना ही नहीं थानों में आने वाले प्रकरणों में भी पूरा दखल रखते हैं। मुकदमों में कार्रवाई, गिरफ्तारी, चालान, एफआर और राजीनामे के नाम पर खुला भ्रष्टाचार कर रहे हैं।

वापस घूम-फिरकर वहीं लौट आते हैं
जिले में सिपाही से लेकर आरपीएस रैंक के कई अधिकारी ऐसे हैं। जिनका अलवर से विशेष मोह है। काफी सिपाही, हैडकांस्टेबल, एएसआई, एसआई और इंस्पेक्टर ऐसे हैं जो कि कई सालों से एक ही जगह जमे हुए हैं। ट्रांसफर होने पर वापस अपनी पुरानी जगह पर लौट आते हैं। वहीं, आरपीएस स्तर के भी कई अधिकारी ऐसे हैं, जिनकी अलवर में कई पोस्टिंग रह चुकी है। कई अधिकारी तो ऐसे हैं, जिन्होंने अलवर में मकान और फ्लैट तक ले लिए हैं।

एसपी जोसफ ने खत्म की थी स्पेशल टीम

वर्ष 2007-08 में आईपीएस बीजू जॉर्ज जोसफ अलवर एसपी रहे थे। इस दौरान स्पेशल पुलिसिंग के नाम पर थानों में चल रहा भ्रष्टाचार तत्कालीन एसपी जोसफ के सामने आया। उन्होंने तत्काल प्रभाव से आदेश जारी कर सभी थानों से स्पेशल टीम को खत्म कर दिया था। हालांकि उनके जाने के बाद थानों में फिर स्पेशल टीमें बन गई और फिर से वही भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो गया।

तीन साल में ट्रांसफर का नियम
पुलिस मुख्यालय के नियमानुसार कोई भी पुलिसकर्मी एक थाने में 3 साल से अधिक नहीं रह सकता, लेकिन अलवर जिले में डीएसटी और स्पेशल टीम के नाम पर कई पुलिसकर्मी एक ही थानों में चार-पांच साल से जमे हैं। जब नियम-कायदों की बात आती है तो अधिकारी उनका नॉन फील्ड पोस्टिंग बताते हुए बचाव कर जाते हैं तथा जब इनके भ्रष्टाचार की शिकायत आती हैं तो थानाधिकारी इनके बचाव में उतर आते हैं और उच्चाधिकारियों को उनकी सिफारिशें करते नजर आते हैं।

अलग से पॉलिसी
जिला पुलिस में भ्रष्टाचार की स्पेशल टीम बन चुकी है। रेकॉर्ड में कई पुलिसकर्मियों की नॉन फील्ड पोस्टिंग है लेकिन डीएसटी, क्यूआरटी और स्पेशल टीम के नाम पर थानों और फील्ड में उनका पूरा दखल है। सालों से एक ही जगह अंगद बन बैठे ये पुलिसकर्मी भ्रष्टाचार का खुला खेल खेल रहे हैं। अधिकारियों के लिए ’कमाऊ पूत’ बने इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं होती। जरा सी शिकायत होने पर अधिकारी उनके बचाव में खड़े नजर आते हैं।

डीएसटी स्पेशल टीम में आती है। जो कि एसपी के सीधे सुपरविजन में होती है। ये फील्ड पोस्टिंग में नहीं आती है। एसपी चाहे तो इसे खत्म कर सकते हैं। वहीं, क्यूआरटी में कमांडो शामिल होते हैं जो कि स्पेशल कोर्स किए हुए होते हैं। डीएसटी और क्यूआरटी के लिए तीन साल का नियम नहीं है। इनके लिए अलग से पॉलिसी होती है।

– तेजस्वनी गौतम, जिला पुलिस अधीक्षक, अलवर।



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