यूजर्स को अपनी पसंद का कंटेंट खोजने में मदद करेगा ’टॉपिक्स’ | ‘Topics’ to help users find content of their choice | Patrika News
दिलचस्पी का कंटेंट खोजने में मदद करता है
कू एप के सह-संस्थापक मयंक बिदावतका का कहना है कि यह फीचर ना केवल यूजर्स को उनकी दिलचस्पी का कंटेंट खोजने में मदद करता है, बल्कि प्रासंगिक यूजर्स द्वारा कई क्रिएटर्स को खोजने में भी मदद करता है। यूजर्स के लिए इस फीचर की प्रासंगिकता काफी ज्यादा है, क्योंकि हर महीने हमारे मंच पर 2 करोड़ से ज्यादा टॉपिक्स को फॉलो किया जाता है। हम टॉपिक को वर्गीकृत करने के लिए कॉम्प्लेक्स मशीन लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें सटीकता का स्तर बेहद ज्यादा होता है। अस्तित्व में आने के बाद काफी कम वक्त में इस तरह की जटिलता में महारत हासिल करने पर हमें गर्व है। कू एप के मशीन लर्निंग के प्रमुख हर्ष सिंघल ने कहा कि कई भाषाओं में टॉपिक्स लाने के लिए कई अत्याधुनिक मशीन लर्निंग और नेचुरल लैंग्वेंज प्रोसेसिंग तकनीकों का एक संयोजन किया गया है। अंग्रेजी भाषाओं के उलट भारतीय भाषाओं के लिए एनएलपी तकनीक में व्यापक इकोसिस्टम उपलब्ध नहीं है। कू एप ने भारतीय भाषाओं में टॉपिक्स के निर्माण के लिए भारतीय भाषा की एनएलपी को लागू करने के लिए तमाम क्षेत्रों में नवाचार किया है।
न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर को प्रशिक्षित किया कू एप की मशीन लर्निंग टीम ने लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स और कुछ सबसे जटिल न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर को प्रशिक्षित किया है, जो मंच पर सबसे ज्यादा चर्चा किए जाने वाले विषयों को ढूंढ़ते हैं। शायद कू एप पर भारत में हर रोज चर्चा किए जाने वाले विषयों की सबसे ज्यादा विविधता है। इस वास्तविकता को देखते हुए, हमारे पास जो कुछ भी है उसे हासिल करना भारत के लिए बहुत बड़ी बात है। सबसे रोमांचक बात तो यह है कि यह सिर्फ हमारी शुरुआत भर है। कू एप ने हाल ही में साढ़े चार करोड़ डाउनलोड का आंकड़ा हासिल किया है, जो एक साल पहले केवल एक करोड़ था और यह इसके तेजी से आगे बढ़ने वाल वाले वक्त को पेश करता है। बिदावतका कहते हैं, ’कू एप भविष्य में दस करोड़ डाउनलोड हासिल करने की इच्छा रखता है और ऐसी तकनीक का निर्माण करता है, जो दुनिया में हर जगह देसी भाषा बोलने वाले को सशक्त बना सके। भारत की तरह, दुनिया के लगभग 80 फीसदी लोग अपनी मातृभाषा बोलते हैं। भारत से आने वाला एक मंच होने के नाते, कू एप बहुभाषी समाजों की बारीकियों और लोकाचार को समझता है और हमारी तकनीक वैश्विक स्तर पर भारत का सीना गर्व से चौड़ा कर सकती है। टॉपिक्स, किसी भी वक्त कू एप पर 10 भाषाओं में यूजर्स द्वारा की जा रही चर्चा को दर्शाते हैं। इसमें विभिन्न श्रेणियों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, फिल्में, खेल, प्रतिष्ठित शख्सियतों, संगठनों जैसे इसरो, आईएमएफ आदि।
दिलचस्पी का कंटेंट खोजने में मदद करता है
कू एप के सह-संस्थापक मयंक बिदावतका का कहना है कि यह फीचर ना केवल यूजर्स को उनकी दिलचस्पी का कंटेंट खोजने में मदद करता है, बल्कि प्रासंगिक यूजर्स द्वारा कई क्रिएटर्स को खोजने में भी मदद करता है। यूजर्स के लिए इस फीचर की प्रासंगिकता काफी ज्यादा है, क्योंकि हर महीने हमारे मंच पर 2 करोड़ से ज्यादा टॉपिक्स को फॉलो किया जाता है। हम टॉपिक को वर्गीकृत करने के लिए कॉम्प्लेक्स मशीन लर्निंग मॉडल का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें सटीकता का स्तर बेहद ज्यादा होता है। अस्तित्व में आने के बाद काफी कम वक्त में इस तरह की जटिलता में महारत हासिल करने पर हमें गर्व है। कू एप के मशीन लर्निंग के प्रमुख हर्ष सिंघल ने कहा कि कई भाषाओं में टॉपिक्स लाने के लिए कई अत्याधुनिक मशीन लर्निंग और नेचुरल लैंग्वेंज प्रोसेसिंग तकनीकों का एक संयोजन किया गया है। अंग्रेजी भाषाओं के उलट भारतीय भाषाओं के लिए एनएलपी तकनीक में व्यापक इकोसिस्टम उपलब्ध नहीं है। कू एप ने भारतीय भाषाओं में टॉपिक्स के निर्माण के लिए भारतीय भाषा की एनएलपी को लागू करने के लिए तमाम क्षेत्रों में नवाचार किया है।
न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर को प्रशिक्षित किया कू एप की मशीन लर्निंग टीम ने लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स और कुछ सबसे जटिल न्यूरल नेटवर्क आर्किटेक्चर को प्रशिक्षित किया है, जो मंच पर सबसे ज्यादा चर्चा किए जाने वाले विषयों को ढूंढ़ते हैं। शायद कू एप पर भारत में हर रोज चर्चा किए जाने वाले विषयों की सबसे ज्यादा विविधता है। इस वास्तविकता को देखते हुए, हमारे पास जो कुछ भी है उसे हासिल करना भारत के लिए बहुत बड़ी बात है। सबसे रोमांचक बात तो यह है कि यह सिर्फ हमारी शुरुआत भर है। कू एप ने हाल ही में साढ़े चार करोड़ डाउनलोड का आंकड़ा हासिल किया है, जो एक साल पहले केवल एक करोड़ था और यह इसके तेजी से आगे बढ़ने वाल वाले वक्त को पेश करता है। बिदावतका कहते हैं, ’कू एप भविष्य में दस करोड़ डाउनलोड हासिल करने की इच्छा रखता है और ऐसी तकनीक का निर्माण करता है, जो दुनिया में हर जगह देसी भाषा बोलने वाले को सशक्त बना सके। भारत की तरह, दुनिया के लगभग 80 फीसदी लोग अपनी मातृभाषा बोलते हैं। भारत से आने वाला एक मंच होने के नाते, कू एप बहुभाषी समाजों की बारीकियों और लोकाचार को समझता है और हमारी तकनीक वैश्विक स्तर पर भारत का सीना गर्व से चौड़ा कर सकती है। टॉपिक्स, किसी भी वक्त कू एप पर 10 भाषाओं में यूजर्स द्वारा की जा रही चर्चा को दर्शाते हैं। इसमें विभिन्न श्रेणियों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, फिल्में, खेल, प्रतिष्ठित शख्सियतों, संगठनों जैसे इसरो, आईएमएफ आदि।