युवक को लगा था 11 हजार वॉल्ट का करंट, एम्स के डॉक्टरों ने बचाई जान

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युवक को लगा था 11 हजार वॉल्ट का करंट, एम्स के डॉक्टरों ने बचाई जान

हाइलाइट्स:

  • राजस्थान के श्रीगंगानगर में लाइनमैन का काम करते हैं गौरव भारद्वाज
  • ट्रांसफार्मर बदल रहे थे और अचानक लाइन चालू होने की वजह से लग गया झटका
  • स्थानीय अस्पताल में नहीं मिला अच्छा इलाज तो दिल्ली एम्स में किया गया शिफ्ट
  • इलाज के दौरान दाएं हाथ की कोहनी से नीचे वाले पूरे हिस्से को काटना पड़ा

नई दिल्लीः क्या हो अगर किसी को 11 हजार वॉल्ट का करंट लग जाए? शायद इस स्थिति में व्यक्ति का बचना मुश्किल होगा, लेकिन एम्स के डॉक्टरों ने हाल ही में एक व्यक्ति को नया जीवन दिया है जिसे 11 हजार वॉल्ट करंट लगा था। हालांकि, ट्रीटमेंट के दौरान दाएं हाथ की कोहनी से नीचे वाले पूरे हिस्से को काटना पड़ा। फिलहाल मरीज को चलने-फिरने में थोड़ी परेशानी है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि वह जल्द ही चलने-फिरने भी लगेंगे।

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11 हजार वॉल्ट करंट का झटका झेलने वाले गौरव भारद्वाज बताते हैं कि वह राजस्थान के श्रीगंगानगर में लाइनमेन का काम करते हैं। इसी महीने की शुरुआत में वह एक ट्रांसफार्मर को बदल रहे थे। ऑफिस से संपर्क था और पूरी लाइन की लाइट बंद करवा दी गई थी। मैंने ट्रांसफार्मर बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इसी दौरान गलती से उस लाइन को चालू कर दिया गया और तभी मुझे करंट लग गया। यह 11 हजार वॉल्ट का करंट था। इसके बाद मुझे स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया लेकिन वहां सही ट्रीटमेंट नहीं मिल पाया। इसके बाद 4 जून को एम्स में रेफर किया गया। एम्स में आने पर डॉक्टरों ने देखा और इलाज शुरू कर दिया। सर्जरी करनी पड़ी और मेरे दाएं हाथ की कोहनी से नीचे के हिस्से को काटना पड़ा। दो सर्जरी 12 घंटे से भी अधिक चली। बिजली का एग्जिट दोनों जांघ में था। मरे हुए टिश्यू में से ब्लड वेसेल्स को काट फिर जोड़ा और दोनों टांगों को कटने से बचाया। अगर टांगे कटती तो जान जाने का जोखिम सबसे ज्यादा था। सर्जरी के बाद मुझे अस्पताल में ही भर्ती कर लिया गया और करीब 19 दिन बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया।

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फिलहाल मैं एम्स के पास बनी सराय में रह रहा हूं क्योंकि अभी फॉलोअप चल रहा है। ऐसे में राजस्थान से आना मुमकिन नहीं है। गौरव का कहना है कि पूरा परिवार परेशान हो गया था लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। हालांकि एक हाथ कटने का दुख है लेकिन यह भी गनीमत है कि मेरी जान बच गई। कुछ दिन काम करने में परेशानी होगी लेकिन धीरे-धीरे चीजों की आदत पड़ जाएगी।

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