यात्रा से कांग्रेस के प्रति उत्सुकता और उम्मीद जागेगी | yatra give a ray of hope for congress | Patrika News

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यात्रा से कांग्रेस के प्रति उत्सुकता और उम्मीद जागेगी | yatra give a ray of hope for congress | Patrika News

यात्रा से कांग्रेस के प्रति उत्सुकता और उम्मीद जागेगी | yatra give a ray of hope for congress | Patrika News

कुछ स्थाई यात्रियों से जब चर्चा की तो उन्होंने बताया, यात्रा ने कांग्रेस के लिए उत्सुकता और उम्मीद जागी है। 2024 के लोकसभा चुनाव और 2023 में मप्र विधानसभा चुनाव से पहले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में यात्रा का परिणाम देखने को मिल जाएगा। इसके बाद दोनों चुनावों में कांग्रेस की चुनौती भी मजबूत होगी। यात्रा के साथ जुट रही भीड़ में लोग मन से आ रहे हैं। इन्हें बुलाया या एकत्रित नहीं किया जा रहा है।

कांग्रेस मुक्त भारत एक सपना
उत्तरभारतीय का अनुभव – यात्रा के साथ शुरूआत से रहे कन्हैया कुमार का कहना है, यात्रा का उदेश्य स्पष्ट है। नफरत छोड़ो, भारत जोड़ो है। वर्तमान में जनता के सवाल राजनीति से दूर होते जा रहे हैं। नफरत, आक्रोश व हिंसा बढ़ रही है। कांग्रेस मुक्त भारत बीजेपी का तानाशाही भरा सपना है। जो विपक्ष मुक्त भारत बना देगा। जन को तंत्र से दूर करेगा। जबकि हमारा मकसद जन को तंत्र से जोड़े रखना होना चाहिए। यात्रा से एक उम्मीद तो जागी है। यात्रा के साथ युवाओं के समूह जुड़ रहे हैं। यह कांग्रेस के लिए बड़ा परिवर्तन है। सबसे अच्छी बात यह है, लोग अपनी समस्या रखने के लिए आ रहे हैं। जनता-विपक्ष के बीच जो एक संवादहीनता की िस्थति बन गई थी, वह फिर संवाद में बदलने लगी है।

लोग मन से जुड़ रहे हैं
दक्षिण भारतीय कार्यकर्ता का अनुभव – केरल से साथ चल रहे डी गीता कृष्णा ने बताया, इसका आकलन और प्रभाव तो नजर आएगा। जिस तरह तस्वीर गांवों व शहरों से उभर कर आई है, निश्चित ही कांग्रेस व लोकतंत्र के लिए सकारात्मक होंगे। सबसे बड़ी बात लोग जुड़ रहे है। सरकार के प्रति अपनी नाराजगी को भी व्यक्त कर रहे है। इस यात्रा ने कांग्रेस को एक उम्मीद दी है। महाराष्ट्र व कर्नाटक में जिस तरह से गैर राजनीतिक संगठनों का समर्थन मिला है, जाहिर है, लोग असंतुष्ट है। मन से जुड़ रहे हैं। महाराष्ट्र के नांदेड में 100 स्टूडेंट का समूह आ कर मिला। अपनी रोजगार संबंधित समस्याएं गांधी से शेयर की। तेलंगना में भी यात्रा ने लोगों की मानसिकता में बदलाव लाया है। गुजरात के बारे में तो कुछ कहना अभी जल्दबाजी होगा, लेकिन जिस तरह का माहौल बन रहा है। कर्नाटक में इसका परिणाम देखने को मिल सकता है।

टूटो मत, बहको मत
प्रबुध्द प्रोफेसर का मत – आईआईटी के प्रोफेसर रहे विपिन कुमार त्रिपाठी का कहना है, वह तीन दिन से यात्रा से जुड़े है। मुझे यात्रा के उद्ेश्य ने प्रभावित किया है। टूटो मत, बहको मत, देश के लिए जुड़ो। 32 साल से सांप्रदायिकता के सवाल पर लगातार काम कर रहा हूं। जहां नफरत है, वहां जुड़ना मुश्किल होता है। यात्रा में जिस तेजी के साथ लोग जुड़ रहे हैं, निश्चित ही बदलती मानसिकता से संतुष्ट नहीं है।

डर की सोच के बीच उम्मीद की किरण
कांग्रेस के एक सामान्य कार्यकर्ता आसिफ का कहना है, लोगों से मिल कर एक बात मजबूत हो रही है, कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है, जो जोड़ कर रख सकती है।
भिंड के आईवानसिंह बघेल का कहना है, वर्तमान में लोगों की मानसिकता बदलने की जरूरत है। धर्म आधारित राजनीति ने आम आदमी की समस्याओं को छुपा दिया है। सरकार के भरोसे पर जीवन चल रहा है। उम्मीद है, यात्रा आम आदमी को अपनी बात रखने का साहस देगी।



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