यहां हुआ था परशुराम का जन्म, यहीं से निकली है सात नदियां | birth place of parshuram Janapav hills near mhow Indore | Patrika News

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यहां हुआ था परशुराम का जन्म, यहीं से निकली है सात नदियां | birth place of parshuram Janapav hills near mhow Indore | Patrika News

यहीं से निकली है चंबल नदी – जानापाव पहाड़ी से साढ़े सात नदियां निकली हैं। इनमें कुछ यमुना व कुछ नर्मदा में मिलती हैं। यहां से चंबल, गंभीर, सुमरिया और अंगरेड़ नदियां और बिरम, चोरल, कारम और नेकेड़ेश्वरी नदियां भी निकली हैं। यह नदियां करीब 740 किमी बहकर अंत में यमुनाजी में और तीन नदियां नर्मदा में मिल जाती हैं।

प्रचलित हैं यह कथाएं

– परशुरामजी के पिता भृगुवंशी ऋषि जमदग्रि और माता राजा प्रसेनजीत की पुत्री रेणुका थीं। ऋषि जमदग्रि तपस्वी थे। ऋषि जमदग्रि और रेणुका के पांच पुत्र रुक्मवान, सुखेण, वसु, विश्ववानस और परशुराम हुए। एक बार रेणुका स्नान के लिए नदी किनारे गईं। संयोग से वहीं पर राजा चित्ररथ भी स्नान करने आया था। राजा को देख रेणुका उस पर मोहित हो गईं। ऋषि ने योगबल से पत्नी के इस आचरण को जान लिया। उन्होंने अपने पुत्रों को मां का सिर काटने का आदेश दिया। किंतु परशुराम के अलावा सभी ने ऐसा करने से मना कर दिया। परशुराम ने पिता के आदेश पर मां का सिर काट दिया। क्रोधित पिता ने आज्ञा का पालन न करने पर अन्य पुत्रों को चेतना शून्य होने का श्राप दिया, जबकि परशुराम को वर मांगने को कहा। तब परशुराम ने तीन वरदान मांगे…
– पहला, माता को फिर से जीवन देने और माता को मृत्यु की पूरी घटना याद न रहने का वर मांगा।
– दूसरा, अपने चारों चेतना शून्य भाइयों की चेतना फिर से लौटाने का वरदान मांगा।
– तीसरा, वरदान स्वयं के लिए मांगा, जिसके अनुसार उनकी किसी भी शत्रु से या युद्ध में पराजय न हो और उनको लंबी आयु प्राप्त हो।
– पिता जमदग्रि अपने पुत्र परशुराम के ऐसे वरदानों को सुनकर गदगद हो गए और उनकी कामना पूर्ण होने का आशीर्वाद दिया।

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प्राण-प्रतिष्ठा समारोह हुआ लेट

जानापाव में भगवान परशुराम का मंदिर बनकर तैयार है। अब प्राण-प्रतिष्ठा की जाना है। लेकिन प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कुछ न कुछ विघ्न आने से आयोजन लगातार लेट होते जा रहा है। ट्रस्ट द्वारा रविवार को प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर 10 जून की तारीख तय की गई थी, लेकिन आसपास के ग्रामीणों और सेवादारों द्वारा एक खास अखाड़े की मौजूदगी को लेकर विरोध किया गया। जिसके सोमवार श्री जमदिग्न आश्रम जानापाव ट्रस्ट द्वारा आचार संहिता का हवाला देकर समारोह निरस्त कर दिया गया है। ट्रस्ट द्वारा 8 से 10 जून तक प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजित किया जा रहा था, जिसमें तीन दिन तक अलग-अलग आयोजन होने थे। पहले इस आयोजन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल होने जा रहे थे। लेकिन आचार संहिता लगने से अब ट्रस्ट द्वारा ही आयोजन किया जाएगा।

भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाव में ट्रस्ट द्वारा निर्मित भगवान परशुराम का मंदिर और प्रतिमा तैयार की गई है। मई माह में ही प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी थी। लेकिन इस आयोजन में मुख्यमंत्री की सहभागिता को लेकर 4 जून तारीख तय की गई। इसके बाद ट्रस्टियों ने मिलकर अंतिम तारीख 10 जून तय की। रविवार को इस तीन दिनी समारोह को लेकर जानकारी साझा की गई। इस दौरान आसपास के ग्रामीणों और सेवपादरों ने समारेाह में एक अखाड़े को लेकर आपत्ति ली और आयोजन निरस्त करने की मांग की। सोमवार दोपहर में ट्रस्ट ने आचार संहिता का हवाला देकर आयोजन निरस्त कर दिया गया।

समिति को लेकर उठाए सवाल

रविवार को ग्रामीणों ने एक पत्र कलेक्टर के नाम लिखा, जिसमें समारोह में पंच अग्नि अखाड़े की मौजूदगी को लेकर सवाल खड़े किए। इसके साथ मंदिर निर्माण समिति ने जांच करवाने की बता कही है। जानापाव को प्रशासन के अंडर में लाने के लिए कुछ माह पूर्व मनीष सिंह, कलेक्टर मनीष सिंह, एसडीएम अक्षत जैन सहित ट्रस्टियों ने जानापाव का निरीक्षण भी किया था।

आचार संहिता का दिया हवाला

सोमवार को श्री जमदग्नि आश्रम जानापाव ट्रस्ट की ओर से राम किशोर शुक्ला द्वारा जानकारी दी गई कि 10 जून को होने वाला प्राण प्रतिष्ठा आयोजन निरस्त कर दिया गया है। इसके पीछे कारण आचार संहिता को बताया गया है। ट्रस्टी शुक्ला ने बताया कि मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री की मौजूदगी में कार्यक्रम किया जाएगा।

इनका कहना है

जानापाव में हो रहे प्राण-प्रतिष्ठा समारोह को लेकर किसी तरह का आवेदन नहीं आया है। और न ही हमने किसी आयोजन को निरस्त किया है।
अक्षत जैन, एसडीएम, महू



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